The Lallantop
Advertisement

मूवी रिव्यू: एयर

फ़िल्म इस कोट का विस्तार है -- "जूता तब तक महज़ एक जूता है, जब तक कोई उसमें क़दम नहीं रखता और उसे मायने नहीं देता."

Advertisement
air-movie-review
एक ज़रूरी सूचना: जो लोग स्पोर्ट्स फ़ॉलो करते हैं, उनको तो मज्जा ही आ जाएगा.
font-size
Small
Medium
Large
16 मई 2023 (Updated: 29 मई 2023, 13:37 IST)
Updated: 29 मई 2023 13:37 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

शुरुआत में ही एक डिस्क्लेमर देना ज़रूरी है. मैंने बास्केटबॉल रज के देखा है. स्कूल से पहले, 6:30 बजे उठकर. किसी भी और खेल से ज़्यादा. मैं 'सचिन बनाम धोनी' या 'धोनी बनाम कोहली' से ज्यादा 'जॉर्डन बनाम लेब्रॉन' और 'लेब्रॉन बनाम करी' पर बात कर सकता हूं. अपनी पसंदीदा टीम के जर्सी, जूते और हुडीज़ ख़रीद रखे हैं. यानी टुरू फ़ैन. उम्मीद थी कि बेन अफ्लेक की 'एयर' एक अच्छी स्पोर्ट्स फ़िल्म होगी. मगर फ़िल्म में खेल के न्यूनतम शॉट्स हैं. फ़िल्म को स्पोर्ट्स फ़िल्म कहना ही बेमानी है. 'एयर' किसी कंपनी, व्यक्ति या खेल के बारे में नहीं है; ये एक जूते के बारे में है. जिसने फुटवियर और स्पोर्ट्स मार्केटिंग के इतिहास को हमेशा के लिए बदल दिया.

स्पोर्ट्स इतिहास का सबसे बड़ा दांव - जो मैदान से बाहर खेला गया

फ़िल्म एक मार्केटिंग रिवॉल्यूशन के बारे में है. जूते और स्पोर्ट्स अपैरल की कंपनी है, नाइकी. अलग-अलग खेलों के हिसाब से जूते, कपड़े और एक्सेसरीज़ बनाती है. पहले भी बनाती थी, आज भी बनाती है. लेकिन पहले नाइकी 'कूल' नहीं था. फिर 1984 में कुछ ऐसा हुआ, जिसने नाइकी को अभूतपूर्व पहचान दिलवाई.

मंज़र समझिए: बास्केट बॉल मार्केट में कनवर्स ब्रैंड का दबदबा है. कनवर्स के बाद, ऐडीडास. नाइकी स्पोर्ट्स में अच्छा प्लेयर था, लेकिन उसे रनिंग शूज़ के लिए जाना जाता था. बास्केटबॉल जूते बिकते थे, पर पहली पसंद नहीं थे. कंपनी में एक मार्केटिंग एक्ज़ीक्यूटिव है, सॉनी वकारो. पुराना चावल है. लगता नहीं कि कभी गेम खेला होगा. पर खेल समझता है. जुआरी है, सो दांव खेलना जानता है. वो अपने काम और अपनी डिवीज़न से हताश है. कंपनी में कुछ नया नहीं हो रहा. सब लाल-फीताशाही और स्टैट्स के चक्कर में पड़े हुए हैं. कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं है. सॉनी के दिमाग़ में एक आइडिया आता है, कि जूतों को पर्सनलाइज़ किया जाए. प्लेयर के नाम पर जूते बनें. और इसके लिए उसे चाहिए एक प्लेयर. उसे दांव खेलना है - शायद स्पोर्ट्स इतिहास में सबसे बड़ा - उसे ये दांव जीतना है. वो 18 साल के एक लड़के का गेम देखकर उस पर दांव लगाता है. इस युवा तुर्क का नाम है, माइकल जेफ़री जॉर्डन.

फ़िल्म सॉनी के संघर्ष की कहानी है. अपने आइडिया पर विश्वास करने की, अपने दोस्तों और सीनियर्स को मनाने की, अपने आइडिया के लिए पर्याप्त लड़ाई लड़ने की कहानी. उसकी छठी इंद्री उससे चीख कर कह रही है कि ये दांव सही है.

इस कहानी का महात्म्य क्या है? सॉनी जो दांव खेल रहा है, उसमें इतना बड़ा क्या है? इसको मार्केटिंग फ़ील्ड वालों की नज़र से देखें, तो एक प्लेयर के नाम पर पूरी सीरीज़ हो,  ये किसी ने सोचा नहीं था. और ये आइडिया मार्केटिंग जीनियस इसलिए बना, कि जिस प्लेयर पर ये शय खेली गई वो 'ग्रेटेस्ट ऑफ़ ऑल टाइम्स' बन गया. मतलब, मार्केटिंग क्षेत्र की क्रांति और बॉल गेम की क्रांति. दोनों में से कुछ भी कमतर होता, तो ये इत्तेफ़ाक़ महानता में जगह न बना पाता.

इन जूतों की वजह से नाइकी को हर मैच के लिए 5000 डॉलर जुर्माना देना पड़ता था.
जूता तब तक सिर्फ़ एक जूता है..

फ़िल्म में जॉर्डन को देखने का उत्साह बना रहता है. और, जॉर्डन दिखता नहीं है. आपका उत्साह ठंडा नहीं होता क्योंकि कहानी जॉर्डन की नहीं है. जॉर्डन की उड़ान के साथ उड़े एक ब्रैंड, एक आइडिया की है. बास्केटबॉल खेले जाने के बहुत कम फुटेज हैं. यहां-वहां असली माइकल जॉर्डन के कुछ आर्काइवल वीडियो हैं. मगर फ़िल्म आपको कॉन्फ्रेंस रूम, मीटिंग हॉल और ऑफिस क्यूबिकल्स के बंद दायरे में ही मिलेगी है. पिक्चर में अनुपम संवाद हैं. हल्का और ड्राई ह्यूमर है. और ये सारे सब-प्लॉट्स इसी बात के इर्द-गिर्द हैं कि जॉर्डन साइन करेगा या नहीं. और, इस तरह की फ़िल्म्स में सबसे दिलचस्प बात ये होती है कि दर्शक को भविष्य पता है. आज आप देखते हैं कि एयर जॉर्डन कितना पॉपुलर है, तब किसी को अंदाज़ा थोड़ी था. इसीलिए जब-जब सॉनी के मुंह पर दरवाज़ा बंद होता है, आपके भीतर का दर्शक सोचता है कि 'कर लो यााााार! इतिहास बनने वाला है.'

बतौर डायरेक्टर बेन अफ्लेक की ये पांचवी फ़ीचर फ़िल्म है. अपने पुराने जिगरी मैट डेमन के साथ बनाई. ख़ुद को भी कास्ट किया और क्रिस टकर, जेसन बेटमैन, क्रिस मेस्सिना और मैथ्यू मेहर जैसे शानदार ऐक्टर्स को भी. और, इन ऐक्टर्स ने बेन के दोस्तों की भूमिका निभाई है. इन सब के और बेन के संवाद बहुत महीन हैं.

एक ऐक्टर का काम क़ाबिल-ए-ज़िक्र से भी ज़्यादा है: वायोला डेविस. ‘फ़ेंसेज़’, ‘द वुमन किंग’ और ‘हाऊ टू गेट अवे विद मर्डर’ में वायोला ने बहुत मज़बूत किरदार निभाए हैं. इस फ़िल्म में क्या जादू किया? उन्होंने 'शी रन्स द बिज़नेस' के किरदार में अपना एलिमेंट जोड़ा है. एक मज़बूत ज़हन की महिला, जो पुरुषों की दुनिया में स्टैंड-आउट करती है.  

कहानी अपने समय के संदर्भ नहीं छोड़ती (फोटो - IMDB)

फ़िल्म एक मायने में एक ट्रिब्यूट भी है. केवल नाइकी या जॉर्डन को नहीं. लेट कैपिटलिज़्म के करिश्मे को भी. उस दौर में जिसने-जिसने पूंजी के साथ सही दांव खेला, आज वो 'पावर्स दैट बी' बने बैठे हैं.

40 साल बाद, ये तय करना तो बेहद मुश्किल है कि एयर-जॉर्डन डील से ज़्यादा नफ़ा किसे हुआ? नाइकी और माइकल जॉर्डन, दोनों ने ही करोड़ों कमाए और अपने नाम का एम्पायर बनाया. लेकिन ये तो कहा ही जा सकता है कि बेन अफ्लेक ने जिस तरह ये कहानी बांची, वो कमाल है!

'एयर' प्राइम वीडियो पर मिल जाएगी. पहली फ़ुर्सत में देख डालिए.

वीडियो: दहाड़ वेब सीरीज रिव्यू

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement

Advertisement