तमाम बवाल के बीच रिलीज़ हुए '72 हूरें' के ट्रेलर में क्या दिखा?
सेंसर बोर्ड ने ट्रेलर को सर्टिफिकेट नहीं दिया. इस वजह से मेकर्स ने ऑनलाइन रिलीज़ किया.

72 Hoorain फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ हो गया है. पहले इसे लेकर मामला फंसा हुआ था. सेंसर बोर्ड का कहना था कि हम इसे सर्टीफिकेट नहीं देंगे. मेकर्स ने इस वजह से सीधा ऑनलाइन ही ट्रेलर रिलीज़ कर दिया है. कुछ महीने पहले आई ‘द केरला स्टोरी’ बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई थी. मेकर्स को उम्मीद है कि आज की पॉलिटिक्स के हिसाब से ये फॉर्मूला सही बैठ रहा है. उसी का एग्ज़ाम्पल लेते हुए अब ’72 हूरें’ भी सिनेमाघरों में रिलीज़ होने को तैयार है. ये नई फिल्म नहीं. साल 2019 के IFFI फेस्टिवल में इसे स्क्रीन किया गया था.
फिल्म का ट्रेलर देखकर भी इसके डेटेड होने का एहसास होता है. कहानी दो आतंकियों पर केंद्रित है. हम उन्हें स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के सिर पर बैठे हुए पाते हैं. वहीं से अमेरिका पर होने वाले हमले का अंदेशा हो जाता है. इन दोनों लोगों को सुसाइड बॉम्बर बनने के लिए ट्रेन किया जा रहा है. सिर्फ एक मकसद के लिए. कि मरने के बाद जन्नत में 72 हूरें मिलेंगी. ट्रेलर में दिखता है कि इन दोनों लोगों की गलतफहमी क्लियर हो जाती है. ऐसा लगता है कि ये दोनों लोग मारे जाते हैं. उसके बाद अपने किए का नतीजा देखते हैं. लोग पीड़ा में हैं. बिलख रहे हैं.
उन्हें जिन हूरों का वादा किया गया था, उनका कहीं अता-पता नहीं. दोनों लोग खीज खाने लगते हैं. जिस एक मकसद की वजह से ऐसा किया, वो कभी पूरा नहीं होने वाला. ट्रेलर उनके इसी रियलाइज़ेशन पर खत्म हो जाता है. ’72 हूरें’ को एक प्रॉपगेंडा फिल्म की तरह देखा जा रहा है. ऐसा आज के पॉलिटिकल माहौल की वजह से भी है. ऊपर से फिल्म का सब्जेक्ट एक धर्म से आने वाले लोगों पर भी है. मेकर्स का कहना है कि वो ऐसे लोगों की कहानी बताना चाहते हैं, जिन्हें धर्म के नाम पर बरगलाया जाता है. बस यहां ऐसा एक धर्म के लिए हो रहा है.
फिल्म की पॉलिटिक्स पर बात होनी ज़रूरी है. आतंकियों और उनके आकाओं को बुरे मुसलमान के रूपक की तरह दिखाया गया. फिर आते हैं अच्छे मुसलमान, जिन्हें अपनी देशभक्ति का प्रमाण देते रहना पड़ता है. ट्रेलर के एक शॉट में जहां लिखा होता है,
हम आतंकियों को अपनी ज़मीन में दफन करने की जगह नहीं देंगे.
हम देखते हैं कि ये स्टेटमेंट भारतीय मुसलमानों ने जारी किया है. ट्रेलर में मुसलमानों के दो पक्ष दिखाए. बाकी फिल्म अपने मुसलमानों को कैसे देखती है, ये रिलीज़ के बाद ही साफ होगा. फिल्म को ब्लैक एंड व्हाइट में शूट किया गया है. कुछ जगहों पर विज़ुअल इम्पैक्ट डालने के लिए रंगों का इस्तेमाल हुआ है. जैसे किसी बच्ची की लाल रंग की ड्रेस दिखती है. ये स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म Schindlers List की याद दिलाती है. वो पूरी फिल्म भी ब्लैक एंड व्हाइट में थी. अंत में एक लाल ड्रेस पहने बच्ची प्रतीकात्मक रूप से दिखाई गई थी.
’72 हूरें’ 07 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली है. आमिर बशीर और पवन मल्होत्रा ने दोनों आतंकियों का रोल किया है. फिल्म को डायरेक्ट और एडिट किया है संजय पूरन सिंह चौहान ने. वो इससे पहले नैशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्म ‘लाहौर’ भी बना चुके हैं.
वीडियो: 72 हूरें नाम की फिल्म आ रही है, जिसमें इतनी भारी तथ्यात्मक चूक है जिसे मेकर्स भी पकड़ नहीं पाए