अखिलेश के 'कौन राजा भैया' पर रघुराज प्रताप ने रामायण का जिक्र क्यों किया?
अखिलेश को अवधी भाषा का ज्ञान भी समझाया.
रघुराज प्रताप उर्फ राजा भैया. उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की कुंडा सीट के बाहुबली विधायक. हालांकि राजा भैया खुद के बाहुबली होने से इन्कार करते हैं. वो यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन फिर समाजवादी पार्टी के मुखिया से उनका ऐसा विवाद हुआ कि जब पिछले दिनों अखिलेश प्रतापगढ़ आए तो राजा भैया को पहचानने से ही इन्कार कर दिया. जब पत्रकारों ने अखिलेश यादव से राजा भैया से नाराज़गी और गठबंधन को लेकर सवाल पूछा तो समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष ने कहा, 'ये कौन है, ये है कौन.'
अब जब राजा भैया 'द लल्लनटॉप' के खास चुनावी शो ‘जमघट’ में पहुंचे तो अखिलेश के इस बयान पर हमने उनसे सवाल पूछा. जमघट में हम चर्चित नेताओं का इंटरव्यू कर उनसे आपसे जुड़े मुद्दों पर सवाल पूछते हैं. और बात करते हैं चुनावी सियासी सरगर्मी की. तो इस बार बारी थी राजा भैया की. हमारे संपादक सौरभ द्विवेदी ने राजा भैया से पूछा,
अखिलेश यादव प्रतापगढ़ आए आपके बारे में सवाल पूछा गया, उन्होंने कहा 'कौन राजा भैया'. इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
जवाब-
कोई प्रतिक्रिया नहीं है. उनको जो समझ आया, जिस भाषा में उन्होंने जवाब दिया, वो अलग बात है कि कई लोगों ने इसे अच्छा नहीं माना. हर क्षेत्र की अपनी भाषा और तेवर होता है. हम अवध के निवासी हैं. यहां भाषा की शिष्टता और मर्यादा बहुत मायने रखती है. अवधी में गोस्वामी तुलसीदास ने रामायण की रचना की. तो हमारे विचार से अगर किसी पत्रकार ने पूछा कि आपका (अखिलेश यादव का) उनके (राजा भैया के) साथ गठबंधन हो रहा है या नहीं, तो हां या नहीं में जवाब दे देते तो वही पर्याप्त होता. उस बयान को लोगों ने अच्छा नहीं माना.
समाजवादी पार्टी से गठबंधन के प्रयास के सवाल पर राजा भैया ने इससे इंकार किया. उन्होंने कहा कि उनकी तरफ से ऐसा कोई प्रयास नहीं किया गया है. राजा भैया ने बताया कि नेताजी (मुलायम सिंह यादव) के जन्मदिन पर वो हर साल मिलने जाते हैं, इसमें गठबंधन की कोई बात नहीं थी. उनके मुताबिक नेताजी और अखिलेश की बात अलग है.