The Lallantop
Advertisement

पंजाब: भगवंत मान की कैबिनेट में कोई वकील, कोई डॉक्टर तो कोई किसान

भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार में 10 कैबिनेट मंत्रियों ने ली शपथ.

Advertisement
पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्रियों की शपथ लेने वाले हरपाल चीमा, बलजीत कौर, हरजोत बैंस, हरभजन सिंह और लालजीत सिंह भुल्लर. (फोटो: सोशल मीडिया)
पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्रियों की शपथ लेने वाले हरपाल चीमा, बलजीत कौर, हरजोत बैंस, हरभजन सिंह और लालजीत सिंह भुल्लर. (फोटो: सोशल मीडिया)
19 मार्च 2022 (Updated: 19 मार्च 2022, 10:02 IST)
Updated: 19 मार्च 2022 10:02 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व वाली नई नवेली सरकार के कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ले ली है. इन मंत्रियों में एक महिला चेहरा भी शामिल है. कैबिनेट मंत्रियों का शपथ समारोह 19 मार्च को पंजाब राजभवन के गुरु नानक ऑडिटोरियम में हुआ. इससे पहले सीएम भगवंत मान ने 18 मार्च को ही अपने ट्विटर अकाउंट से शपथ लेने वाले कैबिनेट मंत्रियों के नाम की घोषणा कर दी थी. इस बार पंजाब कैबिनेट में अलग-अलग पेशों से आने वाले विधायक शामिल हैं, जिनमें दो किसान, तीन अधिवक्ता, दो डॉक्टर, एक सामाजिक कार्यकर्ता, एक इंजीनियर और एक बिजनसमैन शामिल है. यही नहीं, आम आदमी पार्टी के टिकट से इस बार 10 डॉक्टरों ने चुनाव जीता है, जिनमें से दो महिलाएं हैं- मोगा से अमनदीप कौर अरोड़ा और मलौत से बलजीत कौर.
1. हरपाल सिंह चीमा लगातार दूसरी बार विधायक बनने वाले हरपाल सिंह चीमा (Harpal Singh Cheema) नाभा के रहने वाले हैं और पेशे से वकील हैं. उन्होंने संगरूर के रणबीर कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और पंजाब यूनिवर्सिटी (Punjab University) से एलएलबी की पढ़ाई की है. पढ़ाई के दौरान की हरपाल को राजनीति ने आकर्षित किया. कॉलेज के दिनों में वो छात्र राजनीति से भी जुड़े रहे. हरपाल चीमा संरूगर के बार काउंसिल के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
मालेरकोटला बेअदबी मामले में आम आदमी पार्टी के दिल्ली से विधायक नरेश कुमार का नाम आने के बाद हरपाल चीमा AAP के संपर्क में आए थे. उस समय वो नरेश कुमार के केस की पैरवी कर रहे थे. मामला आगे बढ़ा तो 2017 में हरपाल सिंह ने पहली बार AAP के टिकट पर संगरूर जिले के दिड़बा सीट से चुनाव लड़ा. उस चुनाव में हरपाल सिंह चीमा ने कड़े मुकाबले में अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के अजैब सिंह रटौल को चार हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त दी थी.
पहली जीत हासिल करने के बाद हरपाल सिंह को पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया. आम आदमी पार्टी ने चीमा के प्रदर्शन को देखते हुए 2022 में विधानसभा चुनावों में फिर से दिड़बा सीट से मैदान में उतारा. इस बार चीमा ने अपने प्रतिद्वंद्वी शिरोमणि अकाली दल के गुलजार सिंह को करारी शिकस्त दी और दोबारा पंजाब विधानसभा पहुंचे.
1. हरपाल सिंह चीमा
हरपाल सिंह चीमा (फोटो: फेसबुक)

2. बलजीत कौर बलजीत कौर (Baljit Kaur) पंजाब कैबिनेट की एकमात्र महिला सदस्य हैं. पेशे से नेत्र रोग विशेषज्ञ बलजीत को उनके पिता से राजनीति विरासत में मिली है. बलजीत कौर के पिता प्रोफेसर साधु सिंह 2014 से 2019 तक फरीदकोट के सांसद रहे. अपना पहला चुनाव लड़ने के लिए बलजीत नवंबर 2021 में पंजाब सरकार की नौकरी से रिटायर हो गईं. सरकारी नौकरी से इस्तीफे के बाद, बलजीत कौर वर्तमान में मुक्तसर शहर के एक धर्मार्थ अस्पताल में प्रैक्टिस कर रही हैं. बलजीत ने बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज से एमएस (नेत्र विज्ञान) किया. रिटायरमेंट लेने से पहले लगभग आठ सालों तक सिविल अस्पताल, मुक्तसर में प्रैक्टिस की है.
इसके साथ ही उन्होंने फ्री मुफ्त कन्सल्टेंसी और सर्जरीज़ कीं, जिस कारण से लोगों के बीच उनका कद बढ़ा. चुनाव प्रचार के दौरान, बलजीत कौर ने महिलाओं को सशक्त बनाने, स्वास्थ्य और शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की बात की. बलजीत ने एक चुनावी भाषण में कहा था,
"अपनी सरकारी नौकरी के दौरान जब मैं मुफ्त सर्जरी कर रही थी, निजी अस्पतालों ने मेरे खिलाफ एक अभियान शुरू किया था. लेकिन लोगों ने पेशे के प्रति मेरी भक्ति को पहचाना. मुझे उम्मीद है कि वो राजनीति में भी मेरे ऊपर विश्वास करेंगे. हमें लगा कि अगर हमारे पास यहां उचित बुनियादी ढांचा हो, तो हम बेहतर कर सकते हैं. मैं एक सरकारी नौकरी कर रही थी और वहां कमियां देखीं, जिन्हें हम अब ठीक कर देंगे." 
2. बलजीत कौर
बलजीत कौर  
(फोटो: फेसबुक)

3. हरभजन सिंह ETO अमृतसर (Amritsar) जिले के जंडियाला (Jandiala) विधानसभा के विधायक हरभजन सिंह ETO (Harbhajan Singh ETO) के पास कई क्षेत्रों का अनुभव है. हरभजन सिंह ने टीचर, PCS ऑफिसर और एक वकील के रूप में काम किया है. 2017 में पहली बार चुनावी मैदान में उतरने वाले हरभजन को हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन, उन्होंने 2022 में एक बार फिर से किस्मत आजमाई और इस बार जीत हासिल की.
जंडियाला स्थित सरकारी स्कूल में एक भाषण के दौरान हरभजन सिंह ने बताया था कि पढ़ाई पूरी करने के बाद वे टीचर बने, लेकिन उनमें आगे बढ़ने की इच्छा थी, इसलिए 2012 में PCS का एग्जाम दिया. एग्जाम क्लियर किया. उन्हें एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग मिला. पांच साल इस विभाग में नौकरी की. 2017 में आम आदमी पार्टी से प्रभावित हुए और रिटायरमेंट ले लिया. 2017 में भी जंडियाला से चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन कांग्रेस के डैनी बंडाला ने उनको हरा दिया. चुनाव में हार मिलने के बाद हरभजन ने लॉ की पढ़ाई शुरू कर दी. 2018-21 में उन्हें लॉ की डिग्री भी मिल गई, लेकिन राजनीति नहीं छोड़ी. 2017 से लगातार वे लोगों के संपर्क में रहे. इसका फायदा उनको 2022 में हुआ और उन्होंने डैनी बंडाला को 25 हजार से ज्यादा वोटों से हराकर जीत हासिल की.
3. हरभजन सिंह Eto
हरभजन सिंह ETO 
(फोटो: फेसबुक)

4. विजय सिंगला भगवंत मान की कैबिनेट में अगला नाम आता है विजय सिंगला का. विजय पेशे से डेंटिस्ट हैं. विजय ने पटियाला की पंजाबी यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी की पढ़ाई की है और ये डेंटिस्ट अब भगवंत मान की कैबिनेट में नई जिम्मेदारी संभालेंगे.
विजय सिंगला को आम आमदी पार्टी ने मनसा से अपना उम्मीदवार बनाया था. मनसा चुनाव में हॉट सीट बन गई थी क्योंकि कांग्रेस ने इस सीट से गायक सिद्धू मूसेवाला को उतार दिया था. हालांकि, सिंगला को मूसेवाला को हराने ने कोई दिक्कत नहीं हुई. विजय सिंगला ने मूसेवाला को 63 हजार से ज्यादा वोटों से हराया.
चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे के मुताबिक 52 साल के विजय सिंगला के पास करीब 6.5 करोड़ की संपत्ति है. हलफनामे के मुताबिक, सिंगला साफ छवि के नेता हैं. उनके ऊपर कोई भी क्रिमिनल केस नहीं है.
4. विजय सिंगला
विजय सिंगला 
(फोटो: ANI)

5. लाल चंद कटारुचक रिवोल्यूशनरी मार्क्सिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से AAP में आए लाल चंद को भगवंत मान ने अपने मंत्रिमंडल में जगह दे दी है. 47 साल के लाल चंद पंजाब की भोआ विधानसभा से चुनकर आए हैं. कांग्रेस के जोगिंदर पाल को 1,200 वोटों हराकर लालचंद विधायक बने हैं. लालचंद ने 2017 में RMIP के चिन्ह पर चुनाव लड़ा था. तब उन्हें 13 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. उसके बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी ज्वॉइन कर ली.
आम आदमी पार्टी में आते ही लाल चंद को SC विंग का अध्यक्ष बना दिया गया. लाल चंद 5 साल से आम आदमी पार्टी से जुड़े रहे. इस बार विधायक बने और अब मंत्री भी. चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे के मुताबिक लाल चंद के पास कोई अचल संपत्ति नहीं है.
5. लाल चंद कटारुचक
लाल चंद कटारुचक 
(फोटो: सोशल  मीडिया)

6. गुरमीत सिंह मीत गुरमीत सिंह मीत पंजाब में अबकी दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. गुरमीत ने बरनाला सीट से चुनाव लड़ा और अकाली दल के कुलवंत सिंह को 37 हजार वोटों से हराया. पिछली बार गुरमीत को इसी सीट से जीत मिली थी. पिछली बार गुरमीत ने कांग्रेस के कंवल सिंह ढिल्लो को करीब 2 हजार वोटों से हराया था.
गुरमीत, पंजाब में आम आदमी पार्टी की यूथ विंग के अध्यक्ष भी है. गुरमीत सिंह मीत को एक दशक की मेहनत का फल आखिर मिल गया और भगवंत मान कैबिनेट में जगह मिली. गुरमीत केजरीवाल के साथ अन्ना आंदोलन के समय से जुड़े हुए हैं. गुरमीत ने मेकैनिकल इंजीनियर की पढ़ाई की है. खबरों के मुताबिक, उन्होंने सिविल सर्विसेज़ की तैयारी भी की. उसके बाद वो आम आदमी पार्टी से जुड़ गए. गुरमीत पंजाब में SC, ST, OBC की वेलफेयर कमेटी के सदस्य भी रहे हैं.
6. गुरमीत सिंह मीत
गुरमीत सिंह मीत  
(फोटो: फेसबुक)

7. कुलदीप सिंह धालीवाल पंजाब की अजनाला सीट से चुने गए कुलदीप सिंह धालीवाल को भी पंजाब की नई सरकार की कैबिनेट में जगह मिली है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 60 साल के कुलदीप शुरू से ही राजनीति से जुड़े रहे. अपने छात्र जीवन में उन्होंने वामपंथ की ओर रुख किया. 90 के दशक में उन्होंने कांग्रेस ज्वॉइन कर ली. कुलदीप पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी थे. कांग्रेस में रहते हुए कुलदीप सिंह को सबऑर्डिनेट सर्विस सेलेक्शन बोर्ड का चेयरमैन भी बनाया गया.
2019 में कुलदीप ने लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए. इस बार के विधानसभा चुनाव में अजनाला से कुलदीप ने अकाली नेता अमरपाल सिंह बोनी और कांग्रेस के हरप्रताप सिंह अजनाला को हराकर जीत हासिल की. कुलदीप सिंह को 43,555 वोट मिले.
भगवंत मान की कैबिनेट में शामिल होने वाले 10 मंत्रियों में से कुलदीप सिंह एकमात्र ऐसे मंत्री हैं, जिनके ऊपर गंभीर क्रिमिनल केस दर्ज हैं. चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे के मुताबिक, कुलदीप पर 2019 में एक मर्डर का केस दर्ज हुआ था. कुलदीप ने बताया है कि उनका पेशा किसानी है और वो 10वीं तक पढ़े हैं.
7. कुलदीप सिंह धालीवाल
कुलदीप सिंह धालीवाल  
(फोटो: फेसबुक)

8. लालजीत सिंह भुल्लर अमृतसर के पट्टी (Patti) से आम आदमी पार्टी के विधायक लालजीत सिंह भुल्लर ने भी मंत्रिपद की शपथ ली. आप में शामिल होने वाले भुल्लर का कहना है कि बाकी पार्टियों ने पंजाब में केवल भ्रष्टाचार किया और नशे से राज्य को खोखला कर दिया. पट्टी सीट से लगातार चार बार के विधायक और बादल परिवार के दामाद आदेश प्रताप सिंह कैरों (Adesh Partap Singh Kairon) को हराकर भुल्लर विधानसभा पहुंचे हैं. 41 साल के लालजीत सिंह भुल्लर का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प है.
उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत अकाली दल कार्यकर्ता के रूप में की थी और 2015 तक कैरों के कट्टर समर्थक रहे. लेकिन राज्य में बढ़ती बेअदबी की घटनाओं के कारण वो नाराज होकर कांग्रेस में शामिल हो गए और कांग्रेस नेता हरमिंदर सिंह गिल के लिए काम किया. 2017 के चुनावों में गिल पट्टी से विधायक बन गए, लेकिन बाद में गिल का नाम आपराधिक मामले में सामने आया तो भुल्लर ने एक बार फिर आदेश प्रताप सिंह कैरों का दामन थाम लिया.
2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने अकाली दल उम्मीदवार बीबी जागीर कौर के लिए काम किया. इसी साल वो अरविंद केजरीवाल से प्रभावित होकर आप में शामिल हो गए. AAP ने भी भुल्लर पर भरोसा दिखाया और 2022 के विधानसभा चुनावों में उनके ऊपर दांव खेला. चुनाव प्रचार के दौरान आदेश प्रताप सिंह कैरों सब पर भारी दिखे, लेकिन भुल्लर अकाली दल के काफी वोट तोड़ने में सफल रहे. भुल्लर ने शिरोमणि अकाली दल के कैरों को 10,999 वोटों से मात दी.
8. लालजीत सिंह भुल्लर
लालजीत सिंह भुल्लर 
(फोटो: फेसबुक)

9. ब्रह्म शंकर 56 साल के ब्रह्म शंकर उर्फ जिम्पा होशियारपुर से विधायक चुने गए हैं. उन्होंने विधानसभा चुनाव में सीट से मौजूदा विधायक सुंदर श्याम अरोड़ा को करीब 14 हजार वोटों से हराया. ब्रह्म शंकर कांग्रेस के टिकट पर होशियारपुर नगर निगम के पार्षद भी रह चुके हैं. पिछले साल वो आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे. ब्रह्म शंकर मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के गगरेट के रहने वाले हैं. हालांकि, उनका परिवार कई साल पहले होशियारपुर में आकर रहने लगा था. उनके पिता ने इसी जगह अपना कारोबार बढ़ाया, जिसे ब्रह्म शंकर भी देखते हैं. सरकार में अहम स्थान पाने वाले ब्रह्म शंकर ने 12वीं तक की पढ़ाई की है.
9. ब्रह्म शंकर
ब्रह्म शंकर 
(फोटो: फेसबुक)

10. हरजोत सिंह बैंस हरजोत (Harjot Singh Bains) अरविंद केजरीवाल के करीबी बताए जाते हैं. उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए लंबा सफर तय किया है. वकालत की पढ़ाई के दौरान दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हज़ारे आंदोलन कर रहे थे. इस आंदोलन से प्रभावित होकर हरजोत राजनीति से जुड़ गए. हरजोत सिंह बैंस रोपड़ जिले की आनंदपुर साहिब तहसील के गंभीरपुर गांव के रहने वाले हैं. पेशे से वकील हरजोत सिंह बैंस ने बीए एलएलबी की पढ़ाई की है. इसके साथ ही उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून में एक कोर्स भी किया है. फिलहाल हरजोत पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में वकील हैं.
10 हरजोत सिंह बैंस
हरजोत सिंह बैंस 
(फोटो: फेसबुक)


आंदोलन के बाद हरजोत ने आम आदमी पार्टी का दामन थामा और 2013 के दिल्ली के विधानसभा चुनाव में हरि नगर और तिलक नगर में 'आप' के प्रचार की कमान संभाली. आप की जीत से केजरीवाल का हरजोत पर भरोसा और बढ़ गया. 2014 में जब आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ा, तब पंजाब में पार्टी के कन्वीनर हरजोत बनाए गए. पंजाब में पार्टी 4 सीटें जीत गई. 2017 में 26 साल की उम्र में उन्होंने साहनेवाल से आप के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन उस वक्त उनको सिर्फ 39 हजार वोटों से ही संतुष्टि करनी पड़ी थी. बैंस पर पार्टी ने एक बार फिर विश्वास दिखाया और इस बार उन्होंने आनंदपुर साहिब सीट से जीत हासिल की है. उनके खिलाफ़ कांग्रेस के कंवर पाल सिंह और बीजेपी के डॉ. परमिंदर शर्मा खड़े थे.

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement

Advertisement