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अरविंद केजरीवाल ऑटोवालों के यहां गए थे, ये है असली कारण

गुजरात चुनाव के प्रचार के लिए अरविंद केजरीवाल एक ऑटो चालक के घर पहुंचे थे. उनकी ये रणनीति राज्य के ऑटो चालकों पर क्या असर डाल पाएगी?

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Why Arvind Kejriwal is After Auto Drivers in Gujarat
अहमदाबाद के घाटलोदिया के रहने वाले ऑटो चालक विक्रम दंतानी ने अरविंद केजरीवाल से अपने घर पर खाना खाने का अनुरोध किया, Credits - India Today
14 सितंबर 2022 (Updated: 14 सितंबर 2022, 13:09 IST)
Updated: 14 सितंबर 2022 13:09 IST
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गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. आम आदमी पार्टी इस समय इन चुनावों को लेकर सबसे ज्यादा सक्रिय दिख रही है. पार्टी के सबसे बड़े नेता और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल लगभग हर हफ्ते गुजरात के दौरे कर रहे हैं. इसी क्रम में 12 सितंबर को अरविंद केजरीवाल अहमदाबाद में थे. वहां के बड़े व्यापारियों, वकीलों और ऑटो चालकों के साथ संवाद किया. अहमदाबाद में अपनी यात्रा से पहले केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा,

“बदलाव की तरफ बढ़ रहे हैं गुजरात के सभी ऑटो चालक भाइयों के साथ उनके मुद्दों पर चर्चा.”

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस प्रोग्राम के लिए कई सारे ऑटो चालकों को न्योता भेजा गया था. बताया गया कि संवाद के दौरान एक ऑटो चालक के निवेदन पर केजरीवाल शाम को उसके घर पर खाना खाने भी गए. वो बाकायदा होटल से ऑटो चालक के ऑटो में बैठकर उसके घर गए.

 

विक्रम दंतानी ने कार्यक्रम में केजरीवाल को न्योता दिया. Credits - India Today

ऐसा पहली बार नहीं है कि अरविंद केजरीवाल ने ऑटो चालकों के साथ इस तरीके का संवाद किया हो. इससे पहले भी वो पंजाब विधानसभा चुनाव के प्रचार के लिए लुधियाना में एक ऑटो चालक के घर गए थे और वहां खाना खाया था. वहीं 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के पहले भी केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली में उनकी सरकार बनाने में 70 फीसदी योगदान ऑटो चालकों का रहा है. तब केजरीवाल ने कहा था, 

 “ऑटो चालक सरकारी भ्रष्टाचार से बेहद त्रस्त रहे हैं. उन्हें कई बार घूस देनी पड़ती थी, लेकिन हमने सरकार में आने के बाद सिस्टम में बदलाव किया और उन्हें राहत मिली है.”

क्या है केजरीवाल की रणनीति?

इंडिया टुडे से जुड़ीं गोपी घांघर की रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात के ऑटो चालकों के सामने कोई बहुत बड़ी दिक्कतें नहीं हैं. जून 2022 में ऑटो रिक्शा का न्यूनतम किराया भी बढ़ाया गया था. गुजरात सरकार ने इसे 18 रुपये से बढ़ाकर 20 रुपये कर दिया था.

दरअसल ये चुनाव को लेकर अरविंद केजरीवाल और AAP की रणनीति का हिस्सा है. वो अपने दौरों में राज्य के विभिन्न वर्गों और समुदायों के लोगों से मिल रहे हैं. इनमें आदिवासी और महिलाओं से लेकर व्यापारी वर्ग और ऑटो चालक तक शामिल हैं. पंजाब, गोवा और उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने यही रणनीति अपनाई थी. इसमें सभी वर्गों को साधने के लिए कुछ ना कुछ वादे किए गए थे.

अब यही रणनीति गुजरात चुनाव के लिए भी अपनाई जा रही है. दी लल्लनटॉप से बातचीत में गुजरात ऑटो रिक्शा ड्राइवर एक्शन कमेटी के अध्यक्ष अशोक पंजाबी ने बताया,

"चुनाव में हर राजनीतिक दल की तरह अरविंद केजरीवाल भी वोट लेने के लिए वोटरों को सपने दिखा रहे हैं. 2018 में अमित शाह ने दलित परिवार के घर जाकर भोजन किया. लेकिन दलितों से जुड़ी समस्याएं तो आज भी बनी हुई हैं. ठीक इसी तरह दिल्ली के सीएम के किसी ऑटो चालक के घर जाकर भोजन करने से ये अर्थ नहीं निकाला जा सकता कि अब ऑटो वालों की समस्याएं खत्म हो जाएंगी."

किस वोट बैंक को साधना चाहते हैं केजरीवाल?

अशोक पंजाबी के मुताबिक पूरे गुजरात में लगभग 16 लाख ऑटो चालक हैं. उनके परिवारों को भी जोड़ा जाए तो ये वोटबैंक कई गुना बढ़ जाता है. इसके अलावा ऑटो चालकों का संपर्क सर्विसिंग और रिपेयरिंग करने वालों और पेट्रोल-गैस पंपों पर काम करने वालों से भी रहता है. अशोक की मानें तो इन सब लोगों का आंकड़ा लगभग 60 लाख के पास बैठता है. 

जाहिर है अरविंद केजरीवाल चुनाव के लिहाज से इसकी अहमियत को समझते हैं और इसीलिए इन्हें अपनी पार्टी की तरफ खींचने की कोशिश कर रहे हैं. अशोक पंजाबी बताते हैं,

"मौजूदा भाजपा सरकार हमारे मामलों के ऊपर गूंगी बहरी हो चुकी है. हमारी मांग है कि हमारे लिए भी उसी तर्ज पर नीति बनाई जाए, जिस तर्ज पर अन्य व्यापारियों के लिए बनाई जाती है. जिसमें बिजनेस को बढ़ावा देने, लोन देने और सब्सिडी देने जैसी चीजें भी शामिल हैं. हम चाहते हैं कि सरकार हमारे ऑटो चालकों के बच्चों की शिक्षा के ऊपर भी विशेष ध्यान दे. हालांकि, इस वक्त सरकार से हमें बहुत कम मदद मिल रही है."

अशोक पंजाबी ने कहा कि ऑटो चालकों ने कोविड महामारी के दौरान सरकार के साथ पूरा सहयोग किया था, लेकिन सरकार से उन्हें किसी भी तरह की कोई भी वित्तीय सहायता नहीं मिली. वो बताते हैं कि कोविड लॉकडाउन के वक्त उन्होंने अहमदाबाद के 150 ऑटो चालकों को आम जनता की सुविधा के लिए सरकारी गाइडलाइंस की घोषणा करने के लिए कहा था. सभी ऑटो चालकों ने बिना पैसे लिए ये काम किया था.

अशोक के मुताबिक महामारी के वक्त राज्य सरकार ने वादा किया था कि ऑटो चालकों को वित्तीय सहायता दी जाएगी क्योंकि लॉकडाउन के चलते उनकी कमाई लगभग रुक गई थी. उन्होंने सवाल उठाया कि जब कर्नाटक, दिल्ली और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में ऑटो चालकों को मुआवजा दिया जा सकता है, तो गुजरात में ऐसा क्यों नहीं हो सकता?

इस पर लल्लनटॉप ने जब भारतीय मजदूर संघ (BMS) गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष सहदेव सिंह जडेजा से बात की तो उन्होंने बताया कि सरकार ने ऑटो चालकों के लिए काफ़ी काम किया हैं. वो बोले, 

"ऑटो चालकों को ई-श्रमिक कार्ड (e-shramik card) जारी किए गए हैं. श्रमिक कार्ड के माध्यम से ऑटो चालकों को बीमा कवच और आरोग्य की सेवा मिलती है. गुजरात सरकार ने नया ऑटो खरीदने के लिए ऑटो चालकों को लोन के साथ अन्य तरह की सब्सिडी सुविधाएं भी दी हैं." 

हमने केजरीवाल की चुनावी रणनीति को लेकर अहमदाबाद के ऑटो चालकों से भी बात की. अरुण शुक्ला और छगन भाई प्रजापति शहर में ऑटो चलाते हैं. वो बताते हैं कि उन्होंने अरविंद केजरीवाल के किसी ऑटो चालक के घर जाकर खाना खाने की बात सुनी है. लेकिन ये नहीं पता है कि इससे चुनाव पर क्या असर पड़ेगा.

आम ऑटो चालकों से लेकर राजनीतिक जानकारों की राय भी कुछ ऐसी ही है. वरिष्ठ पत्रकार वशिष्ठ शुक्ला ने हमें बताया, 

"ऑटो चालकों के घर जाने का इवेंट आम आदमी पार्टी को नैरेटिव सेट करने में मदद कर रहा है. लेकिन चुनाव में इसका कितना असर होगा, इसका अंदाजा लगाया जाना अभी मुश्किल है. आम आदमी पार्टी कई सारे वादे कर रही है. इससे उन्हें माहौल बनाने में काफी मदद मिल रही है, लेकिन इस माहौल से चुनाव में वोट कितने पड़ेंगे ये देखना होगा."

दूसरी पार्टियां क्या कर रही हैं?

ऑटो चालकों के लिए अभी भारतीय जनता पार्टी की तरफ कोई भी ठोस वादा नहीं किया गया है. वहीं अशोक पंजाबी का कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने सरकार बनने पर ऑटो चालकों और उनके परिवारों के लिए वेलफेयर बोर्ड बनाने का वादा किया है. आईपीसी की उन धाराओं में संशोधन करने का भी वादा किया है, जिनका इस्तेमाल ऑटो चालकों पर जुर्माना लगाने या कार्रवाई करने में होता है. अशोक कहते हैं कि अगर  ऐसा हुआ तो ऑटो चालक वर्ग को बहुत बड़ी राहत मिलेगी. 

आखिर में वो यह भी कहते हैं कि काफी सारे ऑटो ड्राइवर्स पहले से ही बीजेपी या कांग्रेस से जुड़े हैं, ऐसे में अरविंद केजरीवाल को उनसे कोई बड़ा समर्थन मिलने की उम्मीद नहीं है. वहीं BMS गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष सहदेव सिंह जडेजा ने इस पर कहा, “गुजरात के ऑटो चालकों की हालत दूसरे राज्यों के ऑटो चालकों की तुलना में काफी बेहतर है. चुनावों के चलते राजनीतिक दल झूठे वादे करते रहते हैं.”

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