नई पॉलिटिकल एंट्री, यूपी में अखिलेश की बेटी के चर्चे
इस युवा नेता की हर पब्लिक मीटिंग में अच्छी भीड़ इकट्ठी होती है.
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फोटो - thelallantop

अदिति सिंह इतनी इंपॉर्टेंट क्यों हुई जा रही हैं, ये तब समझ आएगा, जब ये जान लो कि यहां स्टोरी में दो एंगल हैं. एक तो ये कि अदिति सिंह बिटिया हैं अखिलेश सिंह की. अपराजेय अखिलेश सिंह. माने वही अखिलेश सिंह जो रायबरेली में भी कांग्रेस की तमाम कोशिशों के बावजूद हारे नहीं.

दूसरा ये कि अदिति का कांग्रेस में शामिल होना प्रियंका गांधी की कोशिशों का नतीजा बताया जा रहा है. इस शक के पीछे का रीजन ये है कि अदिति के कांग्रेस में शामिल होने के साथ ही अदिति की प्रियंका गांधी के साथ तस्वीर सामने आई है, जिसके बाद राजनीतिक जानकार शक जता रहे हैं कि प्रियंका अंदर ही अंदर कांग्रेस को अपने हाथों में ले चुकी हैं और शुरू कर दिया है, अपना काम.

कहने वाले तो कहते ही हैं कि प्रियंका ही रायबरेली में मम्मी सोनिया गांधी का सारा काम संभालती हैं. वैसे ये भी जानना बनता ही है कि अखिलेश सिंह पहले कांग्रेस के टिकट से ही चुनाव लड़ते थे, पर बाद में उन्होंने किसी रीजन से कांग्रेस से कन्नी काट ली और मैदान में निर्दलीय ही उतरने लगे. जाहिर है ऐसे में कांग्रेस की जिंदगी का बस एक्कै मकसद रहा कि उनको किसी भी तरह से हराया जाए. पर तमाम कोशिशों और नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ होने के बावजूद भी अखिलेश को कांग्रेस हरा नहीं सकी. अब अदिति अपने पापा की जगह रायबरेली सदर सीट से मैदान में होंगीं. और उनके पास अब कांग्रेस का टिकट भी है. पापा अखिलेश सिंह भी इस बात से खुश हैं. अदिति ने भी कहा है,
प्रियंका युवाओं को अपील करती हैं और उन्हें राज्य भर में कांग्रेस का प्रचार करना चाहिए.

इस बात से आपको भी अदिति की मंशा समझ तो आ ही गई होगी. वैसे अदिति भी अपने इलाके में कम लोकप्रिय नहीं हैं. और सबसे बेहतरीन बात ये है कि इस युवा नेता के आसपास हर पब्लिक मीटिंग में जो लोग जुटे होते हैं, उनमें लड़कियों बहुत होती है. तस्वीरें बता रही हैं कि औरतों और लड़कियों के बीच अदिति की अच्छी खासी पकड़ है. साथ ही अदिति सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा एक्टिव हैं जो कि जरूर उनका फायदा आने वाले चुनाव में करेगा.


यूपी चुनाव इसलिए भी इतने इंपॉर्टेंट हैं कि राजनीतिक जानकार इन्हें क्वॉर्टर फाइनल बता रहे हैं. वैसे कांग्रेस की तैयारी इसके साथ ही और तगड़ी हो गई है. यूपी में आखिरी बार कांग्रेस की सरकार ढाई दशक पहले बनी थी. हालांकि प्रशांत किशोर का मानना था कि सीधी-सीधे अगर प्रियंका को चुनावी मैदान में लाया जाता है तो कांग्रेस को ज्यादा फायदा होगा पर कांग्रेस ने अभी भी राहुल को छोड़ने का मन नहीं बनाया है.