तमिलनाडु में अन्नामलाई हैं फिर BJP की नज़र जयललिता के 'सिपाही' नैनार नागेंद्रण पर क्यों?
तमिलनाडु में भाजपा की पुरउम्मीद नज़रों में एक सीट और एक कैंडिडेट और है: तिरुनेलवेली से नैनार नागेंद्रण. तीन बार विधायक नागेंद्रण के एक लोकप्रिय नेता हैं, कारोबारी हैं. मारावर समुदाय से हैं, पर जाति-पार्टी से परे लोग उनसे और वो लोगों से जुड़े हुए हैं.
प्रचंड बहुमत के बावजूद BJP की गाड़ी दक्षिण भारत के राज्यों में रुक जाती है. ‘अबकी बार 400 पार’ जैसे नारों पर सवाल उठने लगता है. कर्नाटक में सफलता ज़रूर मिलती रहती है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए बाक़ी चार राज्यों - आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना - में भी क़िला मज़बूत करना ज़रूरी है. ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन राज्यों में एक के बाद एक चुनावी रैलियां कर रहे हैं. इन चारों राज्यों में BJP के लिए सबसे ‘हरी’ ज़मीन तमिलनाडु (BJP in Tamil Nadu) समझ आती है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई भरपूर ऐक्टिव हैं. इस बार पार्टी को उनसे उम्मीद है. उन्हें टिकट भी दिया गया है. लेकिन अन्नामलाई के अलावा, BJP की पुरउम्मीद नज़रों में एक सीट और एक कैंडिडेट और है: तिरुनेलवेली से नैनार नागेंद्रण (Nainar Nagendran).
भाजपा नेता डी इलियाराजा एम कृष्णकुमार ने ख़ुद ही कहा कि तिरुनेलवेली तमिलनाडु के उन पांच निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है, जहां उन्हें बड़ी उम्मीदें हैं. बाक़ी चार कौन सी? कोयंबटूर, कन्नियाकुमारी, नीलगिरी और चेन्नई साउथ.
तिरुनेलवेली में अनुसूचित जातियों-जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्ग और मुसलमानों की मिक्स आबादी है. OBC में भी नादर और थेवर (और मारावर) जैसी जातियों की संख्या ज़्यादा है. BJP के लिए इसे जीतना पेचीदा बताया जाता है, पर नैनार नागेंद्रण की वजह से रास्ता कुछ आसान हो सकता है.
Nainar Nagendran कौन हैं?क्षेत्र के एक लोकप्रिय नेता हैं, कारोबारी हैं. मारावर समुदाय से हैं, पर जाति-पार्टी से परे लोग उनसे और वो लोगों से जुड़े हुए हैं. तीन बार विधायक रहे हैं.
'80 के दशक के उत्तरार्ध में AIADMK से राजनीति की शुरुआत की. तब से ग्राफ़ ऊपर की तरफ़ ही रहा. कहने को कहा जाता है कि चूंकि पार्टी में थेवर समुदाय के लोग ऊंचे पदों पर थे, सो उसका भी फ़ायदा मिला. 2001 में पहला चुनाव जीता. तिरुनेलवेली विधानसभा सीट से चुनकर विधायक बने, तो मुख्यमंत्री जयललिता ने उन्हें कैबिनेट में जगह दे दी. बिजली, उद्योग और परिवहन जैसे मंत्रालय दे दिए.
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2006 वाले चुनाव में नागेंद्रण मात्र 606 वोटों से हार गए. मगर 2011 में जीत गए, DMK के एएलएसके लक्ष्मणण 38,000 वोटों के अंतर से मात देकर. लेकिन 2016 में फिर हार का सामना करना पड़ा. इस बार केवल 601 वोटों से. सामने फिर DMK के एएलएसके लक्ष्मणण थे.
नैनार नागेंद्रण जयललिता के ख़ास माने जाते थे. साल 2016 में जयललिता की मृत्यु हुई और अगस्त, 2017 में उन्होंने पार्टी छोड़ दी. ये कहते हुए कि 'अम्मा' के बाद पार्टी दिशाहीन हो गई है. फिर BJP जॉइन कर ली. वहां उन्हें तुरंत राज्य स्तरीय उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया.
2021 में BJP ने AIADMK के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. BJP के टिकट से नागेंद्रण तीसरी बार तिरुनेलवेली के विधायक चुने गए. DMK उम्मीदवार को 23,107 मतों के अंतर से हराकर.
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इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े अरुण जनारधन की रिपोर्ट के मुताबिक़, तमिलनाडु BJP में के अन्नामलाई से हटकर नागेंद्रण ने अपनी जगह पकड़ ली है. अन्नामलाई की तरह वो किसी से उलझते नहीं. सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और क्षेत्रीय विकास पर अपनी राजनीति टिकाए हुए हैं. क़रीब एक साल से लोकसभा चुनाव के लिए ज़मीन तैयार कर रहे हैं और उनका कहना है कि BJP बेहतर स्थिति में है. हालांकि, नैनार का काम आसान नहीं होगा, ये वो ख़ुद जानते हैं. अरुण का कहना है,
यहां मारवार (OBC), देवेन्द्रकुला वेल्लालर (SC) और फ़ॉरवर्ड जैसे अलग-अलग समुदायों का वोट ज़रूरी है. साथ ही पिल्लई जैसे रूढ़िवादी हिंदू समुदाय और चेट्टियार, मुथालियार जैसे हिंदू अल्पसंख्यकों का भी साथ चाहिए. जो वोटर पारंपरिक रूप से DMK और AIADMK को वोट देते आए हैं, उन्हें अपनी तरफ़ करना है.
नागेंथ्रान कथित तौर पर लंबे समय से लोकसभा टिकट पर नज़र लगाए हुए थे. उन्होंने तो फ़रवरी में ही तिरुनेलवेली जंक्शन में अपना चुनाव कार्यालय भी खोल लिया था.
‘मिशन तमिलनाडु’ के लिए BJP सजग है. गृह मंत्री अमित शाह ने 2021 के विधानसभा चुनाव में नागेंद्रण के लिए प्रचार किया था, और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तिरुनेलवेली में रैली कर रहे हैं. अब तक दो रैलियां कर चुके हैं. इसी जुगत में नैनार नागेंद्रण मुस्लिम समुदाय में भी अपनी पैठ बनाना चाह रहे हैं. वो जनसभाओं में वादा कर रहे हैं कि अगर नागरिकता (संशोधन) अधिनियम यानी CAA किसी भी भारतीय मुस्लिम को प्रभावित करता है, तो वो एक करोड़ रुपये देंगे. अल्पसंख्यकों के साथ भेदभावपूर्ण नीतियों के ख़िलाफ़ खड़े होने की कसम खा रहे हैं.
एक बात और, इस बार AIADMK के उम्मीदवार एम जानसी रानी की स्थिति भी बहुत मज़बूत नहीं बताई जा रही है. नागेंद्रण AIADMK के साथ लड़ते थे, तो अच्छा-ख़ासा वोट शेयर मिल जाता था. मगर अब वो दूसरी पार्टी में हैं. इसीलिए पार्टी के बेस से जो फ़ायदा मिल सकता था, वो कम भी हो सकता है. DMK नेताओं का दावा है कि उन्हें इस बार 30% से ज़्यादा वोट शेयर नहीं मिलेगा.
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रूस्टर न्यूज़ के राहुल दी लल्लनटॉप को बताया कि भले ही नागेंद्रण एक मज़बूत दावेदार हैं, मगर पार्टी बदलने की वजह से उनके वोटर स्थिर नहीं हैं. ऊपर से उनपर भ्रष्टाचार के आरोप भी हैं. बीते 7 अप्रैल को नैनार नागेंद्रन के ‘समर्थक’ बताए गए तीन लोग ट्रेन से तिरुनेलवेली जाते हुए पकड़े गए थे. उनके पास 4 करोड़ रुपये थे. कोई वैध दस्तावेज़ नहीं थे. DMK ने आरोप लगाए कि ये पैसे वोटर्स को देने के लिए थे. नागेंद्रन के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की. वहीं, नागेंद्रन ने आरोपों को सिरे से नकार दिया और कहा कि ज़ब्त किए गए पैसे से उनका कोई लेना-देना नहीं है.
बाक़ियों की क्या स्थिति है?मौजूदा सांसद DMK के ज्ञानतिरावियम एस हैं. उनके सामने AIADMK के एम जानसी रानी, भाजपा से नैनार नागेंद्रन और कांग्रेस से डॉ. सी रॉबर्ट ब्रूस हैं.
DMK-कांग्रेस साथ मिलकर इंडिया ब्लॉक की छतरी-तले चुनाव लड़ रहे हैं. सीट-बंटवारे के चलते इस सीट से कांग्रेस का दावेदार लड़ेगा. वकील डॉ. सी रॉबर्ट ब्रूस मैदान में हैं. पत्रकार बताते हैं कि ब्रूस के टिकट देने से पहले बहुत लंबी बातचीत हुई, कांग्रेस में ही मतांतर था.
AIADMK ने 2014 में यहां से आम चुनाव में जीता था. प्रभाकरन केआरपी ने DMK के देवदास सुंदरम को हराया था. हालांकि, वो 2019 के चुनावों में DMK से सीट हार गए. इस बार उनके अभियान की शुरुआत अच्छी हुई नहीं. पार्टी ने बीच में ही अपना उम्मीदवार बदल दिया. उन्होंने पहले शिमला मुथुचोझन को मैदान में उतारा था, लेकिन 24 मार्च को उनकी जगह पार्टी पदाधिकारी और थिसैयानविलई पंचायत अध्यक्ष एम जानसी रानी को टिकट दे दिया. रिपोर्ट्स में छपा है कि मुथुचोझान को लेकर पार्टी में ही बहुत लोग असंतुष्ट थे.
ज़िले में कुल 16.54 लाख वोटर हैं. इनमें से लगभग 3.75 लाख नादर हैं, जो परंपरागत तौर पर AIADMK के समर्थक रहे हैं. लेकिन इस बार भाजपा की ओर झुकते दिख रहे हैं. नैनार नागेंद्रन थेवार समुदाय से हैं, जिनके पास 2.15 लाख वोट हैं. साथ ही पार्टी ब्राह्मण समुदाय के वोटों से भी उम्मीद लगाए हुए है. माने इस बार का मुक़ाबला INDIA ब्लॉक और भाजपा के बीच हो सकता है. AIADMK वोट काटेगी. मगर किसके, ये साफ़-साफ़ कोई नहीं बता सकता.
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