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BJP के लिए दक्षिण भारतीय राज्यों को जीतना कितना जरूरी? इन राज्यों में भाजपा के नंबर्स क्या कहते हैं?

PM Modi अपने 'मिशन साउथ' पर हैं. BJP को दक्षिण के Andhra Pradesh, Telangana, Karnataka, Tamil Nadu और Kerala में क्या हासिल हो सकता है? आकंड़ों से समझेंगे कि साउथ के राज्यों में भाजपा का प्रदर्शन कैसा रहा है?

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Narendra Modi
तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक रोड शो के दौरान PM मोदी. (तस्वीर साभार: PTI, 18 मार्च 2024)
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19 मार्च 2024 (Updated: 20 मार्च 2024, 06:22 IST)
Updated: 20 मार्च 2024 06:22 IST
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भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पिछले दो लोकसभा चुनावों में अकेले बहुमत का आंकड़ा पार किया. अगर आप पॉलिटिकल मैप को देखेंगे उत्तर भारत का हिस्सा भगवा नजर आएगा. लेकिन भाजपा की गाड़ी दक्षिण भारत के राज्यों में रुक जाती है. आंकड़ें भी इसकी तस्दीक करते हैं कि दक्षिणी राज्यों में BJP का प्रदर्शन (BJP in south) बहुत अच्छा नहीं रहा है. सिर्फ कर्नाटक को छोड़कर. इस राज्य में पार्टी को सफलता जरूर मिली है. ऐसे में अब पार्टी का जोर दक्षिणी राज्यों में सफलता पाने का है. आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने दक्षिण के पांच राज्यों- आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना में बिगुल फूंक दिया है. पार्टी इन राज्यों में पूरे दमखम के साथ वोट हासिल करने की कोशिश में जुटी है.

PM मोदी इन राज्यों में लगातार चुनावी रैलियों को संबोधित कर रहे हैं. तमिलनाडु में तो भाजपा छोटी पार्टियों के साथ भी गठबंधन कर रही है. 15 मार्च को केरल में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री ने दावा किया कि इस बार राज्य में भाजपा को बेहतर रिजल्ट मिलेंगे. उन्होंने कहा था,

"केरल में इस बार कमल खिलेगा. पिछले चुनावों में लोगों ने हमें डबल डिजिट में वोट शेयर दिया था. इस बार डबल डिजिट में सीटें दूर नहीं हैं."

North India में BJP के पास विकल्प नहीं?

पिछले दो लोकसभा चुनावों की तरह BJP इस बार भी बहुमत का दावा कर रही है. ‘400 पार’ के नारे लग रहे हैं. BJP के साथ ‘नॉर्थ इंडियन’ पार्टी का टैग नत्थी है. ऐसे में BJP दक्षिण के राज्यों पर इतना फोकस क्यों कर रही है. ये हमने जानकारों से समझने की कोशिश की. इंडिया टुडे से जुड़े पत्रकार हिमांशु मिश्रा बताते हैं,

“भाजपा के पास उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में विस्तार के कम विकल्प हैं. जैसे- गुजरात में पार्टी को 26 में से 26 लोकसभा सीटों पर जीत मिली है. हरियाणा में भी ऐसा ही है. सारी 10 सीटें भाजपा के पास ही है. ऐसे ही हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, दिल्ली और उत्तराखंड की भी सारी लोकसभा सीटों पर 2019 में भाजपा को जीत मिली है. ऐसे में विस्तार के लिए भाजपा के पास अब दक्षिण के राज्यों का ही विकल्प हैं.”

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राज्यकुल लोकसभा सीटें
गुजरात26
हरियाणा10
हिमाचल प्रदेश4
त्रिपुरा2
चंडीगढ़1
दमन एंड दीव1
दिल्ली7
उत्तराखंड5
2019 में इन राज्यों/Uts की सभी लोकसभा सीटों पर BJP को जीत मिली थी.
बाकी राज्यों में BJP के पास कितने नंबर्स?

2019 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 29 सीटों में से 28 पर भाजपा को जीत मिली थी. महाराष्ट्र में BJP ने 25 में से 23 सीटें जीत ली थी. राजस्थान की 25 में से 24 पार्टी के हिस्से आई. UP में 62 सीटों पर जीत मिली. झारखंड की 14 में 13 सीटों पर भाजपा ने दांव लगाया और 11 पर जीत मिली. छत्तीसगढ़ की 11 में से 9 सीटों पर भाजपा को जीत मिली.

इसी तरह, मणिपुर और मेघालय की भी दो-दो सीटों में से एक-एक सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी. मिजोरम और नागालैंड में एक-एक लोकसभा सीट है, इन सीटों को BJP ने जीता था. 

उत्तर और दक्षिण को जोड़ने का प्रयास

इंडिया टुडे से जुड़ीं पत्रकार अक्षिता नंदगोपाल दक्षिणी राज्यों में बीजेपी की कोशिशों पर कहती हैं,

"भाजपा को अगर अपना टैली (वोट बैंक) बढ़ाना है तो साउथ में ही बढ़ाना पड़ेगा. भाजपा कुछ महीने पहले से ही साउथ को मेसेज देना शुरू कर चुकी थी. आप देखें कि जब अयोध्या में राम मंदिर का कार्यक्रम होना था, उस समय PM साउथ का दौरा कर रहे थे. वो वहां के मंदिरों की भी चर्चा कर रहे थे. वो कश्मीर से कन्याकुमारी तक को जोड़ने की बात करते रहे हैं. अपने भाषणों में उत्तर और दक्षिण को जोड़ने की बात कर रहे हैं. उन्होंने संसद के नए भवन में सेंगोल की स्थापना करके भी ऐसा ही मेसेज दिया था."

पिछले साल 28 मई को संसद की नई बिल्डिंग में पूजा के लिए भी दक्षिण भारत से पुजारियों के बुलाया गया था. नई संसद में PM मोदी ने सेंगोल को स्थापित किया था. इसे राजदंड भी कहा जाता है. सेंगोल का संबंध तमिलनाडु राज्य से है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तब चेन्नई में पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि सेंगोल को संसद में रखा जाना तमिलनाडु के लिए गर्व की बात है.

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इमोशनली भी साउथ को जोड़ने की कोशिश

अक्षिता नंदगोपाल ने आगे कहा,

"कर्नाटक को छोड़ दें तो साउथ के बाकी चारों राज्यों में भाजपा की पहचान एक नॉर्थ इंडियन पार्टी की है. ऐसे में PM मोदी अपने भाषणों के जरिए उनसे भावनात्मक रूप से भी जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं. ताकि भाजपा की पहुंच दक्षिण में बन सके. आज ही (18 मार्च को) उन्होंने एक रैली में कहा कि काश मैं तमिल बोल पाता."

अक्षिता कहती हैं,

"ओपिनियन पोल्स बता रहे हैं कि भाजपा कर्नाटक में पहले से कुछ बेहतर कर सकती है. तेलंगाना में भाजपा के पास 17 में से 4 सीट है. अमित शाह कह रहे हैं कि इस बार डबल डिजिट पहुंचेगा जो फिलहाल मुश्किल लग रहा है. तमिलनाडु में हो सकता है कि वोट शेयर बढ़े. केरल में BJP को एक भी सीट नहीं मिली थी. पार्टी के लिए यहां जीतना थोड़ा मुश्किल है. आंध्र प्रदेश में गठबंधन होने से भाजपा को फायदा मिल सकता है."

अब आंकड़ों पर गौर करके पता करेंगे कि इन राज्यों में भाजपा का प्रदर्शन नंबर्स में कैसा रहा है.

BJP के पास South India में कितने नंबर्स?

आंध्र प्रदेश में 25 लोकसभा सीटें हैं. यहां PM मोदी के साथ NDA में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और पवन कल्याण की पार्टी जनसेना साथ में है. NDA के सामने है- जगन मोहन रेड्डी की पार्टी युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (YSRCP).

Narendra Modi, with TDP chief N Chandrababu Naidu and Janasena chief Pavan Kalyan
एक चुनावी रैली के दैरान चंद्रबाबू नायडू और पवन कल्याण के साथ PM मोदी (तस्वीर साभार: PTI, 17 मार्च, 2024)

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी. जबकि पार्टी ने 24 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. राज्य में YSRCP को 25 में से 22 सीटों पर और TDP को 3 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस का भी खाता नहीं खुल पाया था.

तेलगांना में पिछले चुनाव में BJP ने सभी 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. जीत मिली 4 पर. वहीं के चंद्रशेखर राव की पार्टी TRS (अब BRS) को 9, कांग्रेस को 3 और AIMIM को 1 सीट पर जीत मिली थी.

2 जून 2014 को आंध्र प्रदेश से तेलंगाना अलग हुआ था. 2014 के लोकसभा चुनाव में 42 सीटों पर चुनाव हुए, जिसमें तब तेलंगाना की 17 सीट भी शामिल थी. रिजल्ट क्या रहा? YSRCP को 9, TDP को 16, तेलंगाना राष्ट्र समिति को 11 सीटों पर जीत मिली. इसके अलावा भाजपा को 3 और कांग्रेस को 2 सीटों पर जीत मिली थी. 1 सीट AIMIM के खाते में भी गई.

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लोकसभा चुनाव 2009 में भाजपा ने 41 सीटों पर दांव चला था. जीत एक पर भी नहीं मिली. कांग्रेस को 33, TDP को 6, तेलंगाना राष्ट्र समिति को 2 और AIMIM को 1 सीट पर जीत मिली थी.

BJP in lok sabha andhra pradesh and telangana
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भाजपा का प्रदर्शन (लोकसभा)
Karnataka में BJP के नंबर्स

राज्य में लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा और एच. डी. देवेगौड़ा की पार्टी जनता दल (सेक्युलर) का गठबंधन है. सामने है- कांग्रेस.

2019 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में भाजपा ने सभी 28 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. जीत मिली 25 पर. राज्य में इस साल कांग्रेस को 1 और जनता दल (सेक्युलर) को 1 सीट पर जीत मिली. वहीं 1 सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली थी.

लोकसभा चुनाव 2014 में भी BJP ने राज्य में सभी 28 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. जीत मिली 17 पर. कांग्रेस को 9 और जनता दल (सेक्युलर) को 2 सीटों पर जीत मिली थी.

2009 में भाजपा को 19 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस को 6 और जनता दल (सेक्युलर) को 3 सीटों पर जीत मिली थी.

BJP in Lok Sabha Elections in Karnataka
कर्नाटक में भाजपा का प्रदर्शन (लोकसभा)
Tamil Nadu में BJP

तमिलनाडु में लोकसभा की कुल 39 सीटें हैं. पिछले लोकसभा चुनाव (2019) में भाजपा ने मात्र 5 पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. जीत एक पर भी नहीं मिली. राज्य में एम के स्टालिन की पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) को 23, कांग्रेस को 8, CPI को 2, CPIM को 2, एडप्पादी के पलानीस्वामी की पार्टी ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) को 1, विदुथलाई चिरुथिगल काची (VCK) को 1 और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को 1 सीट पर जीत मिली थी.

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2014 में BJP ने यहां 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और जीत मिली 1 पर. इस साल राज्य में 37 लोकसभा सीटों पर AIADMK को जीत मिली थी. 1 सीट पर पट्टाली मक्कल काची (PMK) पार्टी को जीत मिली थी.

2009 में भाजपा ने राज्य में 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था. एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. DMK को 18, AIADMK को 9, कांग्रेस को 8, मरुमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDMK) को 1, CPI को 1, CPIM को 1 और VCK को 1 सीट पर जीत मिली थी.

BJP in Tamil Nadu Lok Sabha Election
तमिलनाडु में BJP के नंबर्स (लोकसभा)
Kerala में BJP के लिए 0 का अंक?

राज्य में लोकसभा की कुल 20 सीटें हैं. 2019 में BJP ने 15 पर दांव लगाया, मगर एक पर भी जीत नसीब नहीं हुई. इस साल राज्य में कांग्रेस को 15, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को 2, CPIM को 1, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP) को 1 और केरल कांग्रेस (M) को 1 सीट पर जीत मिली थी.

इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा यहां खाता नहीं खोल पाई थी. भाजपा ने 18 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे, जीत एक पर भी नहीं मिली. इस साल राज्य में कांग्रेस को 8, CPIM को 5, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को 2, CPI को 1, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP) को 1 और केरल कांग्रेस (M) को 1 सीट पर जीत मिली थी. 2 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी.

2009 के लोकसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही था. केरल में इस साल भाजपा ने दांव खेला था- 19 लोकसभा सीटों पर. जीत मिली 0 पर. राज्य में इस साल भी कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटें मिली. कांग्रेस को 13, CPIM को 4, मुस्लिम लीग केरल राज्य समिति को 2 और केरल कांग्रेस (M) को 1 लोकसभा सीट पर जीत मिल पाई थी.

BJP in Kerala Lok Sabha Election
केरल में भाजपा का प्रदर्शन (लोकसभा)

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South में BJP का ओवरऑल परफॉरमेंस

अब जरा BJP के नजरिए से इन पांचों राज्यों के नंबर्स को एक जगह इकट्ठा करके दक्षिण में पार्टी के ओवरऑल परफॉरमेंस को भी देख लेते हैं. 

BJP in south lok sabha election
पांचों दक्षिणी राज्यों में BJP के नंबर्स (लोकसभा)

दक्षिण भारत के इन 5 राज्यों में लोकसभा की कुल 129 सीटें हैं. 2019 में भाजपा को इनमें से 29 सीटों पर जीत मिली थी. इससे पहले 2014 में BJP को 21 सीटों पर जीत मिली थी. 2009 में इन राज्यों में पार्टी को 19 सीटों पर जीत मिली.

BJP in Southern states in lok sabha election
साउथ के चार राज्यों में भाजपा का प्रदर्शन (लोकसभा)

अब अगर कर्नाटक को हटा दें तो भाजपा के नंबर्स की हालत और बुरी दिखती है. कर्नाटक को छोड़कर दक्षिण के बाकी 4 राज्यों में लोकसभा की कुल 101 सीटें आती हैं. 2019 में भाजपा को इन चारों राज्यों में 4 सीटों पर जीत मिली थी. वो भी सिर्फ आंध्र प्रदेश में. 2014 में भी पार्टी को चारो राज्यों में 4 सीटों पर ही जीत मिली- 1 तमिलनाडु में और 3 आंध्र प्रदेश में 2009 में चारों राज्यों को मिलाकर BJP को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी.

इन आंकड़ों से भी जाहिर है और जैसा कि जानकार भी बता रहे हैं- भाजपा ने इस बार जो 400 पार का नारा दिया है उसके लिए दक्षिण के इन 5 राज्यों की राजनीति को भेदना जरूरी है. BJP प्रयास भी कर रही है. सफलता कितनी मिलेगी? ये स्पष्ट रूप से चुनाव के बाद 4 जून को मतगणना के दिन पता चल ही जाएगा.

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