क्या 2020 में सिंधिया के साथ जोड़तोड़ की सरकार के खिलाफ थे शिवराज?
2018 में शिवराज ने नतीजे आते ही इस्तीफा दे दिया था. जबकि कई भाजपा नेता इंतज़ार करना चाहते थे. 'प्रबंधन' का सहारा लेना चाहते थे. इस बात में कितनी सच्चाई है?
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"लेकिन मैं चुप नहीं बैठा. मैंने कहा, टाइगर अभी ज़िंदा है."
ये कहना है मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का. वे दी लल्लनटॉप के पॉलिटिकल इंटरव्यू की खास सीरीज़ जमघट में सौरभ द्विवेदी से बात कर रहे थे. उनसे आने वाले और बीते चुनावों को लेकर बात हुई. पूछा गया कि 2018 में जनादेश भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में नहीं था. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि 2018 में कई भाजपा नेताओं का मानना था कि नतीजों के बाद कुछ दिन इंतज़ार करना चाहिए था, छोटी पार्टियों को साथ लेने की कोशिश करनी चाहिए थी. राजभवन में पूर्व भाजपा नेता आनंदी बेन पटेल थी हीं. लेकिन शिवराज ने नतीजों की अगली सुबह ही इस्तीफा दे दिया. कहा गया कि वो लंगड़ी सरकार चलाने के पक्ष में नहीं थे. फिर 2020 में क्या उनका हृदय परिवर्तन हो गया था? या आलाकमान के निर्देश थे? ज्योतिरादित्य ने संपर्क किससे किया था?
इस पर शिवराज ने कहा,
"अलाकमान का तो सवाल ही नहीं उठता. 2018 में बहुमत तो कांग्रेस के पास भी नहीं था. जिन छोटी पार्टियों और निर्दलियों से समर्थन की बात थी, उनमें से 5 से संपर्क हो भी गया था. 3 लोग हमसे मिलने के लिए निकल गए थे, सागर तक पहुंच भी गए थे. लेकिन मेरी चेतना को ये सब गवारा नहीं था. मुझे लगा कि सीटें जिनके पास ज़्यादा हैं, उन्हीं को सरकार बनानी चाहिए. सो सवेरे जाकर मैंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया.
कमलनाथ सरकार ने वल्लभ भवन (मप्र सरकार का मुख्य सचिवालय) को दलालों का अड्डा बना दिया. बदले की राजनीति की. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने वचन पत्र क्या याद दिला दिया, उन्हीं को निपट लेने की सलाह दी गई. इस परिस्थिति में कांग्रेस के लोग ही टूटे. तब भारतीय जनता पार्टी के पास सरकार बनाने का अवसर आया. विधायकों ने इस्तीफा दिया. पुनः चुनाव लड़े. अगर लोगों को इसमें कुछ गलत लगता, तो हमें जिताते क्यों? प्रभुराम चौधरी, तुलसी सिलावट जैसे नेता भारी मार्जिन से जीते."
ज्योतिरादित्य भाजपा में ऐसे घुल गए हैं जैसे दूश में शक्कर.
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वीडियो: जमघट: शिवराज सिंह चौहान इंटरव्यू में PM मोदी, नरोत्तम मिश्रा, सिंधिया पर क्या बोले?