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कैराना में इस बार BJP के कितने काम आ पाएगी जयंत से दोस्ती? जाट-दलित गठजोड़ पर भारी पड़ेंगे मुस्लिम वोट?

Kairana Lok Sabha Seat पर बीजेपी पिछले दो लोकसभा चुनावों में जीत का परचम लहराने में कामयाब रही है. RLD प्रमुख Jayant Chaudhary को साथ मिलाकर BJP जहां जीत की हैट्रिक बनाना चाहती है तो वहीं BSP श्रीपाल राणा के जरिए वापसी को बेकरार है. सपा उम्मीदवार Ikra Hasan फिलहाल छोटे चौधरी पर निशाना लगाने में ही मशरूफ हैं.

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Lok Sabha Election 2024 kairana
कैराना में बीजेपी-बीएसपी और सपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला
8 अप्रैल 2024 (Updated: 8 अप्रैल 2024, 20:08 IST)
Updated: 8 अप्रैल 2024 20:08 IST
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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के पहले चरण में यूपी की जिन सीटों पर मतदान होना है, उनमें से एक है कैराना लोकसभा सीट (Kairana parliamentary constituency). बीजेपी ने एक बार फिर इस सीट से मौजूदा सांसद प्रदीप चौधरी (Pradeep Chaudhary) को मैदान में उतारा है. रालोद मुखिया जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary RLD) का साथ मिलने के बाद बीजेपी यहां लगातार तीसरे आम चुनाव में जीत का भरोसा जता रही है. तो बीएसपी श्रीपाल राणा (Shreepal Rana) को मैदान में उतारकर 2009 के बाद यहां वापसी की कोशिशों में है. उधर सपा प्रत्याशी इकरा हसन (Ikra Hasan) 2018 के लोकसभा उपचुनावों वाले करिश्मे की एक बार फिर उम्मीद जता रही हैं. मगर उनके निशाने पर बीजेपी से ज्यादा RLD प्रमुख हैं.

देश की राजधानी दिल्ली से महज़ 103 किमी की दूरी बसा कैराना देश के सियासी नक्शे पर हमेशा से खास बना रहा है. खासकर 2013 के बाद जब यहां सांप्रदायिक तनाव फैला. पूर्व में महज 50 किलोमीटर की दूरी पर यूपी का मुजफ्फरनगर ज़िला है. तो पश्चिम में हरियाणा के करनाल और पानीपत जैसे इलाके. कैराना प्राचीन काल में ‘कर्णपुरी’ के नाम से विख्यात था. जो बाद में बिगड़कर किराना नाम से जाना गया और फिर किराना से कैराना में बदल गया. यहां मुस्लिम बहुमत ज्यादा हैं. इतनी ज्यादा की सारी सियासत इसी वोट बैंक के इर्दगिर्द या उसके खिलाफ सिमट गई है. कैराना लोकसभा सीट में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं. कैराना, शामली, थानाभवन, गंगोह और नकुड.

कैराना का वोट बैंक
निर्वाचन आयोग के मुताबिक कैराना में कुल 17,22,432 मतदाता है. जिनमें से 9,21,820 पुरुष, 8,00,518 महिला और 871 थर्ड जेंडर वोटर शामिल हैं. इनमें 2,57,244 मतदाताओं की उम्र 60 से 100 के बीच है. यानी की सीनियर सिटिजन. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक कैराना के कुल मतदाताओं में 5.45 लाख मुस्लिम वोटर हैं. फिर दूसरे नंबर पर आते हैं जाट मतदाता, जिनकी संख्या 2.5 लाख है. सभी दलित वोटरों को जोड़ दें तो वो संख्या भी करीब ढाई लाख पहुंचती है. जाहिर है कैराना सीट को मुस्लिम वोटरों के दबदबे वाली सीट के तौर पर देखा जाता है. बावजूद इसके 2014 और 2019 के आम चुनावों में बीजेपी ने यहां जीत हासिल की.

पिछले तीन चुनावों का हाल
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रदीप चौधरी ने सपा की तबस्सुम हसन को 92 हजार से भी ज्यादा मतों से हराकर जीत हासिल की. 2014 में बीजेपी के हुकुम सिंह ने सपा के नाहिद हसन को दो लाख छत्तीस हजार वोटों के विशाल अंतर से मात दी थी. मगर 2018 में हुकुम सिंह के निधन की वजह से हुए उपचुनाव में RLD-सपा गठबंधन की ओर से लड़ते हुए तब्बसुम हसन ने हुकुम सिंह की बेटी और बीजेपी उम्मीदवार मृगांका सिंह को करीब पचास हजार वोटों से हरा दिया. तब्बसुम हसन इससे पहले 2009 के लोकसभा चुनावों में हुकुम सिंह को भी हरा चुकी थीं, मगर उस वक्त वो BSP में हुआ करती थीं.

अतीत के झरोखे में कैराना
कैराना लोकसभा सीट पर पहली बार 1962 में मतदान हुआ था. उन चुनावों में निर्दलीय यशपाल सिंह को जीत मिली थी. तब से लेकर 2019 तक हुए कुल 16 चुनावों (उपचुनाव समेत) में बीजेपी और रालोद 3-3 बार यहां से जीत चुके हैं. जबकि कांग्रेस, जनता पार्टी और जनता दल 2-2 बार और सपा को एक बार इस सीट से जीत मिली है. 1967 में कैराना से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी उम्मीदवार को जीत मिली थी. बीएसपी प्रमुख मायावती भी 1984 में कैराना से बतौर निर्दलीय अपनी किस्मत आजमा चुकी हैं.

ये भी पढ़ें- (Lok Sabha Election 2024: बीजेपी के मिशन 400 पर यूपी की ये सीटें लगा सकती हैं बट्टा)

कैराना का सांप्रदायिक इतिहास
2013 में कैराना सांप्रदायिक दंगों की आग में झुलसा था. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि उन दंगों के दौरान करीब पचास हजार मुसलमानों ने कैराना से पलायन किया था. चार साल बाद 2017 में एक बार फिर कैराना से पलायन की ख़बरें सुर्खियां बनीं. मगर इस बार बताया गया कि पलायन करने वाले परिवार हिंदू थे. कुछ मकानों के आगे टंगी तख्तियों की तस्वीरों को आधार बनाकर पलायन की बात कही गई. मगर सच कभी सामने नहीं आया. प्रशासन ने जांच कर रिपोर्ट जरूर दी, मगर उसमें All is Well वाली बात ज्यादा नजर आई. हां कुछ नेताओं की सियासत कैराना के सांप्रदायिक तनाव के चलते जरूर चमक गई.  

निशाने पर जयंत चौधरी
रालोद मुखिया जयंत चौधरी की पकड़ कैराना सीट पर अच्छी खासी मानी जाती है. वजह है इलाके के ढाई लाख जाट वोटर. यही वजह है कि सपा प्रत्याशी इकरा हसन अपने चुनाव प्रचार में बीजेपी के साथ-साथ जयंत चौधरी को भी निशाना बना रही हैं. आजतक को दिए गए इंटरव्यू में जब उनसे जयंत के NDA में शामिल होने पर सवाल पूछा गया तो तंज कसते हुए जवाब मिला- 'कोई तो वजह रही होगी, यूं ही कोई बीजेपी में नहीं जाता.' कैराना सीट पर 19 अप्रैल को वोट डाले जाने हैं.
 

वीडियो: UP चुनाव: गुर्जर मुस्लिम और गुर्जर हिंदू आमने-सामने, बताया कैराना में पलायन चलेगा या विकास?

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