The Lallantop
Advertisement

असदुद्दीन ओवैसी की 'हैदराबादी पार्टी' AIMIM बिहार में कैसे जीत पाई पांच सीटें

बिहार के सीमांचल इलाके में पार्टी ने कामयाबी हासिल की है.

Advertisement
Img The Lallantop
बिहार चुनाव नतीजों पर मीडिया से बात करते ओवैसी. फोटो- PTI
pic
Varun Kumar
11 नवंबर 2020 (Updated: 11 नवंबर 2020, 12:37 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने बिहार विधानसभा की पांच सीटों पर कब्जा जमा लिया. AIMIM के लिए ये जीत बड़ी भी है और खास भी. शायद अब ओवैसी की पार्टी को कोई 'हैदराबाद की पार्टी' नहीं कहेगा, क्योंकि पार्टी हर चुनाव के साथ अपना विस्तार करती जा रही है. खैर, फिलहाल हम बात कर रहे हैं केवल बिहार की. तो सबसे पहले उन सीटों के बारे में जान लीजिए, जहां AIMIM ने जीत दर्ज की है.
इन सीटों पर AIMIM जीती है
पूर्णिया जिले की अमौर सीट से AIMIM के अख्तरुल ईमान को 94459 वोट मिले. उन्होंने जेडीयू के सबा ज़फर को 52515 वोटों से हराया, जिनको 41944 वोट प्राप्त हुए. तीसरे नंबर पर कांग्रेस के अब्दुल जलील मस्तान रहे, जिन्हें 31863 वोट मिले.
किशनगंज जिले की कोचाधामन सीट पर AIMIM के मोहम्मद इज़हार अस्फी ने 79893 वोट हासिल किए. उन्होंने जेडीयू के मुजाहिद आलम को हराया, जिन्हें 43750 वोट मिले. हार-जीत का अंतर रहा 36143 वोटों का. तीसरे स्थान पर आरजेडी के मोहम्मद शाहिद रहे, जिन्हें 26134 वोट मिले.
अररिया जिले की जोकीहाट विधानसभा सीट पर AIMIM के उम्मीदवार शाहनवाज को 59596 वोट मिले. उन्होंने आरजेडी के सरफराज आलम को 7383 वोटों से हराया. सरफराज को 52213 मिले. तीसरे नंबर पर बीजेपी के रंजीत यादव रहे, जिन्हें 48933 वोट मिले.
पूर्णिया जिले की बैसी विधानसभा सीट पर AIMIM के उम्मीदवार सैयद रुकनुद्दीन अहमद को 68416 वोट मिले. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार विनोद कुमार को हराया, जिन्हें 52043 वोट मिले. हार-जीत का अंतर 16373 वोटों का रहा. तीसरे स्थान पर आरजेडी के अब्दुस सुहान रहे, जिनको 38254 वोट मिले.
किशनगंज जिले की बहादुरगंज विधानसभा सीट पर AIMIM के प्रत्याशी मोहम्मद अंज़ार नईमी को 85855 वोट मिले. उन्होंने विकासशील इंसान पार्टी के लखन लाल पंडित को हराया, जिनको 40640 वोट मिले. हार-जीत का अंतर 45215 वोटों का रहा. तीसरे नंबर पर कांग्रेस के तौसीफ आलम रहे, जिनको 30204 वोट मिले.
Owaisi 1
बिहार के बेगूसराय में रैली करते ओवैसी. फोटो- PTI

सीमांचल का इलाका AIMIM के लिए बना उपजाऊ
सीमांचल के इलाके में 24 सीटें हैं, जो मुस्लिम बहुल हैं. इनमें से 14 सीटों पर ओवैसी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे. बाकी छह उम्मीदवार मिथिलांचल इलाके में उतारे थे. अब 14 में से 5 सीटों पर अगर ओवैसी की पार्टी जीती है, तो उसके पीछे कई फैक्टर हैं.
# सीमांचल का इलाका बांग्लादेश और नेपाल से सटा हुआ है.
# इस इलाके में मुस्लिमों की संख्या अधिक है.
# ओवैसी ये संदेश देने में सफल रहे कि वही मुस्लिमों की समस्याओं को सही तरीके से उठा सकते हैं.
# उन्होंने सीएए जैसे मुद्दों पर काफी भाषण दिए, जिसेके कारण मुस्लिम मतदाता उनकी ओर आकर्षित हुए.
अब आप एक फैक्टर और समझिए. साल 2015 में कांग्रेस ने यहां 9 सीटों पर जीत हासिल की थी. जेडीयू ने 6 और आरजेडी ने भी तीन सीटें झटकी थीं. यानी अगर AIMIM यहां से 5 सीटें नहीं जीतता, तो शायद महागठबंधन को यहां फायदा हो सकता था.
Madhubani
मधुबनी में रैली करते हुए ओवैसी. फोटो- PTI

इन सबके साथ एक और फैक्टर पर भी गौर करना होगा. वो ये कि-
# बिहार में असदुद्दीन ओवैसी ने 65 रैलियां की थीं, जिनमें से करीब 50 रैलियां सीमांचल के इलाके में थीं.
# यही नहीं, ईद का त्योहार ओवैसी ने इस बार हैदराबाद में नहीं, बल्कि बिहार में मनाया. चुनाव में पूरी ताकत झोंकी.
साल 2019 में जब किशनगंज लोकसभा सीट पर उपचुनाव में ओवैसी की पार्टी को जीत मिली थी, तभी से ही AIMIM ने सीमांचल के इलाके में पैर फैलाने शुरू कर दिए थे. सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान भी उन्होंने इस इलाके में रैली की थी.
एक और बात. हैदराबाद के पूर्व मेयर माजिद हुसैन, जिनको ओवैसी का खासमखास बताया जाता है, वो पिछले दो महीने से सीमांचल में ही थे. उन्होंने प्रत्याशी तलाश किए, प्रचार की रणनीति तैयार की, ओवैसी की रैलियों का ब्लूप्रिंट बनाया और बूथ मैनेजमेंट भी किया. शायद इन्हीं वजहों से ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल में शानदार प्रदर्शन किया.

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement