राजस्थान में स्कूली बच्चों के अभिभावक धरने पर क्यों बैठे?
राजस्थान सरकार ने इस पर अब तक कोई फैसला नहीं लिया है.
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फीस में छूट की मांग को लेकर प्रदर्शन करते अभिभावक
कोरोना लॉकडाउन की वजह से मार्च में देश भर के स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गए थे. नवंबर के अंत में कई राज्यों ने स्कूलों को खोलने की अनुमति दे दी थी जबकि कई राज्यों में अभी भी स्कूल बंद ही हैं. और पढ़ाई-लिखाई का सारा काम ऑनलाइन ही हो रहा है. ऐसे में अभिभावकों का कहना है कि जब पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है तो उन सुविधाओं की फीस में कटौती होनी चाहिए जिनका उपयोग बच्चे नहीं कर रहे हैं. स्कूलों द्वारा फीस की मांग के विरोध में 30 नवंबर को कई अभिभावक जयपुर के शहीद स्मारक में इकट्ठा हो गए. फीस को लेकर हुई तनातनी की वजह से अभिभावकों ने धरना भी दिया.
क्या कहना है अभिवावकों का? अभिभावकों ने आरोप लगाया कि स्कूल गलत तरीके से अभिभावकों पर फीस के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. जबकि बच्चे स्कूलों में जा भी नहीं रहे हैं और अभिभावक कोरोना महामारी के कारण आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. अभिभावकों ने दावा किया कि लगभग 8 महीने से स्कूल बंद होने के बावजूद कई स्कूल पूरी 100 प्रतिशत फीस मांग रहे हैं. अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों को केवल वही शुल्क लेना चाहिए जो उचित हो. राजस्थान संयुक्त अभिभावक मंच के अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने इंडिया टुडे से कहा,सुनो सरकार पीड़ित है अभिभावक बन्द पड़े है रोजगार, कहाँ से लाये फीस अबकी बार#अभिभावकों की है ललकार, संघर्ष होगा आर-पार@ashokgehlot51@GovindDotasra@RajCMO@RajGovOfficial@PoliceRajasthan@News18Rajasthan@TOIJaipurNews@1stIndiaNews@rpbreakingnews@zeerajasthan_@ANI https://t.co/Z85T0jF2Zz pic.twitter.com/pAxl1gQn9a
— SAS - संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान (@SASRajasthan) November 28, 2020
हम शुरू से ही फीस में छूट की मांग कर रहे हैं. हमने इसके लिए कई बार सरकार को भी लिखा. लेकिन किसी ने भी जवाब नहीं दिया. यही वजह है कि अब हम यहां आंदोलन करने को मजबूर हैं.हाथों में बैनर और तख्तियां लेकर जुटे लोगों का कहना था कि उन्होंने राजस्थान के शिक्षा मंत्री से भी मुलाकात की थी. लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. राजस्थान सरकार ने कोरोना महामारी में आर्थिक दिक्कतों की वजह से फीस कटौती को लेकर स्कूलों को कोई निर्देश नहीं दिया है. संयुक्त अभिभावक मंच के प्रवक्ता मनीष विजयवर्गीय ने कहा कि उन्हें केवल उतनी ही फीस लेनी चाहिए जितनी सुविधाएं उन्होंने बच्चों के लिए मुहैया कराई है. लेकिन वह पूरी फीस के लिए लगातार दबाव बना रहे हैं.