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देश के बढ़िया स्कूल में पढ़ना चाहते हैं? लेकिन कैसे लें दाखिला!

सैनिक स्कूल, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय जैसे स्कूलों में एडमिशन कैसे मिलता?

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फातमा ज़ेहरा
6 अगस्त 2022 (Updated: 7 अगस्त 2022, 09:35 PM IST)
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मेरे बगल में एक आंटी रहती हैं, उनके दो छोटे- छोटे बच्चे हैं. दोनों बच्चों की उम्र हो चली है स्कूल जाने की. लेकिन सवाल उठता है कि बच्चों के लिए एक अच्छे स्कूल का चयन कैसे करें और कौन से स्कूल में भेजे? ये तो हो गई एक बात इसके अलावा मैं रोज कॉमेंट बॉक्स चेक करती हूं जिसमें लोगों का सवाल होता है कि सैनिक स्कूल, केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय जैसे स्कूलों में एडमिशन कैसे मिलता?  क्या इन स्कूलों में सिर्फ अफसरों के बच्चे ही पढ़ाई कर सकते हैं? अब आप लोगों के और मेरी आंटी के सवाल मिलते जुलते हैं. तो क्यों न इन सवालों को दूर करने की कोशिश की जाए. इन स्कूल में दाखिला लेने के क्या करना पड़ता है? तो एक- एक कर इन तीनों स्कूल के बारे में जानते हैं.

सबसे पहले जानते हैं सैनिक स्कूल के बारे में

साठ के दशक की बात है जब कृष्ण मेनन देश के  रक्षा मंत्री थे. उस समय देश में सैनिक स्कूल की शुरूआत हुई. साल 1960 में पहला सैनिक स्कूल स्थापित हुआ. जो लखनऊ में. 
सैनिक स्‍कूलों में बच्चों का एडमिशन कराना हर पेरेंट्स का सपना होता है. इसकी वजह ये हैं कि वहां अच्छी एजुकेशन, डिसिप्लिन और पास आउट होने के बाद शानदार करियर ऑप्शन की तरफ बच्चों को आकर्षित करना.  सैनिक स्कूल भारतीय रक्षा मंत्रालय की सैनिक स्कूल सोसायटी के द्वारा चलाये जाते हैं.

 

कैसे मिलता है दाखिला

- देशभर के सैनिक स्कूलों में दाखिले आल इंडिया सैनिक स्कूल एंट्रेंस एग्जाम के जरिए होते हैं.  ये एग्जाम हर साल नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की तरफ से कराया जाता है. 
- एग्जाम क्लियर करने के बाद, सैनिक स्‍कूल की 6th और 9th क्लास में दाखिला ले सकते हैं
- 6th क्लास के लिए बच्चे की उम्र 10 से 12 साल के बीच होनी चाहिए
- 9th क्लास के लिए बच्चे की उम्र 13 से 15 साल के बीच होनी चाहिए
- सैनिक स्कूलों में दाखिला स्टूडेंट की परीक्षा में परफार्मेंस और मेडिकल फिटनेस को देखकर दिए जाते हैं
- एक समय पर एक ही सैनिक स्कूल के लिए आवेदन किया जा सकता है. 
- सैनिक स्कूल में एडमिशन के लिए जनवरी में फॉर्म निकलते हैं.

एग्जाम का पैटर्न क्या है?

अगर कोई सैनिक स्कूल में 6th क्लास के लिए एग्जाम दे रहा है. ये पेपर कुल 300 मार्क्स का होता है. और पेपर को 4 भागों में बांटा गया है. जैसे मैथ्स के 50 सवाल, इंटेलिजेंस के 25 सवाल, लैंग्वेज के 25 सवाल और सामान्य ज्ञान के भी 25 सवाल पूछे जाते हैं. इस पेपर को पूरा करने के लिए आपको 150 मिनट का समय मिलेगा.  पेपर में कोई नेगेटिव मार्किंग नहीं है. साथ ही आप कई भाषाओं में इस परीक्षा को दे सकते हैं जैसे, अंग्रेजी, हिंदी, असमिया,  बंगाली, गुजराती, कन्नड, मलयालम, मराठी, उडिया, पंजाबी, तमिल,  तेलुगु, उर्दू

9th क्लास के पेपर पैटर्न पर एक नजर डाले तो, इस पेपर को 5 भागों में बांटा गया है इसमें 
मैथ्स के (50 प्रश्न), इंटेलिजेंस (25 प्रश्न), इंग्लिश (25 प्रश्न), जनरल साइंस (25 प्रश्न) तथा सोशल साइंस (25) से संबंधित बहुविकल्‍पीय प्रश्‍न पूछे जाते हैं. ये पेपर कुल 400 अंकों का है. इसके लिए आपको 180 मिनट का टाइम दिया जाएगा. नौवीं कक्षा के लिए परीक्षा स्‍टूडेंट सिर्फ अंग्रेजी में ही दे सकते हैं.  देश में करीब 33 सैनिक स्कूल हैं. जो अलग अलग राज्यों में हैं. जैसे आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, झारखंड, कर्नाटका, करेला, मध्य प्रदेश, मणिपुर,मिजोरम आदि.

क्या है सैनिक स्कूल की खासियत?

देश भर में कुल सैनिक स्कूलों की संख्या 33 है. सैनिक स्कूल एक तरह के बोर्डिंग स्‍कूल होते हैं. यानी स्कूल और हॉस्टल एक साथ होते हैं. ये स्कूल्स सीबीएसई से मान्‍यता प्राप्‍त होते हैं. यहां पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद की प्रैक्टिस, निशानेबाजी, घुड़सवारी समेत तमाम तरह की फिजिकल ट्रेनिंग भी दी जाती है. इन स्‍कूलों में पढ़ाई करने वाले सभी स्टूडेंट के नाम के आगे कैडेट शब्‍द का इस्‍तेमाल किया जाता है. इसकी वजह ये है कि यहां पढ़ने वाले छात्रों को NDA यानी नेशनल डिफेंस एकेडमी, INA यानी इंडियन नेवल एकेडमी समेत दूसरे ट्रेनिंग एकेडमीज को ध्‍यान में रखकर आफिसर पदों के लिए तैयार किया जाता है, उन्‍हें आर्म्‍ड फोर्सेज की ट्रेनिंग भी दी जाती है.

केंद्रीय विद्यालय 

केंद्रीय विद्यालय संगठन, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के अधीन ऑटोनोमस बॉडी है. केंद्रीय विद्यालय संगठन यानी KVS, सीबीएसई बोर्ड से एफिलिएटिड स्कूल हैं. जो भारत के कोने- कोने में हैं. भारत में पहला केंद्रीय vidyalaya में 1963 में खोला गया था. फिलहाल देश में 1251 केंद्रीय विद्यालय हैं. इन स्कूलों में फर्स्ट क्लास से लेकर ट्वेल्थ क्लास तक की पढ़ाई होती है. इन स्कूलों में स्टूडेंट हिंदी या अंग्रेजी दोनों मीडियम में पढ़ाई कर सकते हैं. केंद्रीय विद्यालय में कक्षा 8वीं तक के सभी छात्रों से कोई फीस नहीं ली जाती. जबकि कक्षा 12वीं तक की सभी छात्राओं, अनुसूचित जाति/जनजाति के विद्यार्थियों, KVS के कर्मचारियों के बच्चों से कोई ट्य़ूशन फीस नहीं ली जाती है ।


किन्हें मिल सकता है केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन

ऐसा माना जाता है कि केंद्रीय विद्यालय में केवल केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों को एडमिशन मिलता है. जबकि ऐसा नहीं है. हां,  केंद्रीय विद्यालय में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों को एडमिशन में प्रेफरेंस जरूर दिया जाता है. ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता, रक्षा तथा अर्धसैनिक बलों में काम करते हैं,  जिनका ट्रांसफर अलग-अलग जगहों पर होता रहता है उन्हें भी यहां प्रेफरेंस दिया जाता है. इसकी वजह ये है कि जब माता-पिता का ट्रांसफर होता है तो बच्चों को भी साथ जाना पड़ता है. ऐसे में बच्चे एक समान सिलेबस वाली पढ़ाई पूरी कर सकें. इसके लिए केंद्रीय विद्यालयों में उन्हें प्राथमिकता दी जाती है. प्रॉयरिटी लिस्ट की बात करें तो केंद्र सरकार के ट्रांसफरेबल और नॉन ट्रांसफरेबल कर्मचारियों के बाद ऑटोनोमस बॉडीज और पब्लिक सेक्टर की कम्पनियों और संस्थानों के कर्मचारियों के बच्चों को प्राथमिकता दी जाती है. इसके बाद स्टेट गवर्नमेंट के कर्मचारियों और फिर उसके बाद राज्य सरकार की ऑटोनोमस बॉडीज और पब्लिक सेक्टर कंपनियों के कर्मचारियों के बच्चों का नंबर आता है. सबसे आखिरी कैटेगरी में बाकी सारे बच्चे आते हैं. यानी जिनके माता-पिता, स्टेट गवर्नमेंट या सेंट्रल गवर्नमेंट के कर्मचारी नहीं है वो बच्चे. कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों के लिए प्रेफरेंस के अनुसार लॉटरी सिस्टम से एडमिशन होता है, कक्षा 9 के लिए एंट्रेंस एग्जाम आयोजित की जाती है और मेरिट लिस्ट आने के बाद ही एडमिशन मिलता है. 11वीं में एडमिशन के लिए भी एंट्रेंस एग्जाम देना होता है.

कैसे लें एडमिशन?

केवी में एडमिशन लेने के लिए छात्रों को सबसे पहले अप्लिकेशन फॉर्म भरना होता है. केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन कुछ कक्षाओं में लॉटरी के माध्यम से और कुछ में प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होता है.

नवोदय विद्यालय 

साल 1986 में national education policy के तहत आवासीय विद्यालयों की परिकल्पना की गई. मकसद था गांवों से प्रतिभाशाली बच्चों को निकालना और उन्हें बढ़िया मंच उपलब्ध कराना. जब ये परिकल्पना ज़मीन पर आई तो स्कूल का नाम जवाहर नवोदय विद्यालय रखा गया.  फिलहाल देश में  661 नवोदय विद्यालय हैं.  सरकार की नीति के मुताबिक देश के प्रत्येक जिले में एक जवाहर नवोदय विद्यालय स्थापित करने की योजना है.


नवोदय में कैसे मिलता है एडमिशन?

नवोदय विद्यालय में एडमिशन  सिलेक्शन एग्जाम के जरिए एडमिशन होता है. पहले ये एग्जाम राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान( National Educational Research) और प्रशिक्षण परिषद( training council)  द्वारा किया जाता था, लेकिन अब  ये एग्जाम  सीबीएसई के द्वारा कराया जाता है. ये परीक्षा प्रतिवर्ष अखिल भारतीय स्तर पर, जिला तथा ब्लॉक स्तर पर आयोजित की जाती है. ये सिलेक्शन टेस्ट objective type और written form में होता है. इस स्कूल में आप 6th, 9th और 11th क्लास में एडमिशन ले सकते हैं.

क्या है एग्जाम पैटर्न?

- 6th क्लास के एग्जाम को तीन हिस्सों में बांटा गया. 
- मेंटल एबिलिटी, अरिथमेटिक और भाषा के सवाल पूछे जाते हैं 
- 9वीं क्लास के एग्जाम को 4 भागों में बांटा गया है
- पेपर 100 नंबर का होता है.  
- अंग्रेजी हिन्दी मैथ्स और साइंस के सवाल पूछे जाते हैं. 
- 11वी क्लास में एडमिशन के लिए आपको 10वी क्लास के रिजल्ट का वेट करना होगा.

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