दिल्ली AIIMS के 5000 नर्स कोरोना काल में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर क्यों चले गए?
दिल्ली हाईकोर्ट ने नर्सों की हड़ताल पर क्या कहा?
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धरने पर बैठे एम्स के नर्स (फोटो- ANI)
एम्स के डायरेक्टर को लिखी चिट्ठी में नर्सों ने कुल 23 मांगों का जिक्र किया है. इनमें से जिन तीन मांगों पर सबसे ज्यादा विवाद है वे हैं-#WATCH
— ANI (@ANI) December 15, 2020
Members of AIIMS Nurses Union in Delhi sit on an indefinite strike over redressal of their demands, including that related to 6th Central Pay Commission pic.twitter.com/pHG1k3vVaI
1 नर्सों को मिलने वाले वेतन में छठवें वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर किया जाए 2 कॉन्ट्रैक्ट पर हो रहे प्राइवेट नर्सों की भर्ती प्रक्रिया को रोका जाए 3 नर्सों की भर्ती में महिला-पुरुष को समान अवसर मिले. 80:20 फॉर्मूले (80 फीसद महिला नर्स और 20 फीसद पुरुष नर्स) को खत्म किया जाए.
हड़ताल पर गए नर्स यूनियन का कहना है कि प्राइवेट कॉन्ट्रैक्ट पर भर्ती के अलावा उनकी सारी डिमांड्स लगभग सालभर पुरानी हैं. जिसे पूरी करने पर सरकार सहमत भी हो गई थी. लेकिन फिर अचानक से पलट गई. एम्स नर्स यूनियन के अध्यक्ष हरीश काजला ने बताया,Delhi: AIIMS Nurses Union announces an indefinite strike from today over redressal of their demands, including that related to 6th Central Pay Commission. pic.twitter.com/9zOvs6rb4Z
— ANI (@ANI) December 14, 2020
कोरोना काल से पहले 16 अक्टूबर 2019 को एक मीटिंग हुई थी. जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और हमारे एम्स के डायरेक्टर सर भी मौजूद थे. उन्होंने हमें लिखकर दिया कि आपकी जो न्यायसंगत मांग है उसे हम मान रहे हैं. आपको कोई गुस्सा करने की जरूरत नहीं है. हम लोग खुशी-खुशी घर चले आए. इधर मार्च में कोरोना आया, हमने घर परिवार सब छोड़कर मरीजों की सेवा की और उधर हमारी सारी मांगों को किनारे रख दिया गया. हम पिछले छह महीने से हाथ जोड़कर इनसे रिक्वेस्ट कर रहे हैं कि हम लोगों की सेवा कर रहे हैं आप हमारे साथ ऐसा मत करो. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई तो हमें स्ट्राइक के लिए मजबूर होना पड़ा.13 नवंबर को हमने चिट्ठी लिखकर बताया कि 16 दिसंबर से हम स्ट्राइक करेंगे. लेकिन फिर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया. स्ट्राइक करने का हमें कोई शौक नहीं लेकिन हम मजबूर हो गए हैं.नर्सों में गुस्से की एक बड़ी वजह प्राइवेट कंपनियों से कॉन्ट्रैक्ट पर नर्सों की भर्ती करने को लेकर भी है. एक महिला नर्सिंग ऑफिसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया,
हमारी मांगें बहुत सिम्पल सी हैं. जिस पर इन लोगों ने सहमति भी दे दी थी लेकिन अब मुकर गए हैं. इन्होंने सीधे तौर पर हमें मना कर दिया है कि ये हम बिल्कुल नहीं करने वाले हैं. हमारी मांगों को पूरा करने के बजाय अब नए लोगों को कॉन्ट्रैक्ट पर लाया जा रहा है यानी कि हमें हमारे पैसे देने की बजाय प्राइवेट कंपनियों से कॉन्ट्रैक्ट पर लोगों की भर्ती की जा रही है. जिसका हम विरोध कर रहे हैं.हालांकि एम्स का कहना है कि प्राइवेट नर्सों को लाने की उनकी कोई योजना नहीं है. ये कदम फौरी राहत के लिए तब उठाया गया जब नर्स यूनियन ने एम्स प्रशासन की हड़ताल पर न जाने की बात को नहीं माना. स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने एम्स प्रशासन से कहा कि एम्स की नर्सिंग सर्विस में किसी तरह का कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए. आदेश न मानने वाले कर्मचारियों पर भारतीय दंड संहिता के आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. एम्स में हड़ताल को दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना बताते हुए राजेश भूषण ने एम्स प्रशासन से ये सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि निर्देशों का कड़ाई से पालन हो.

एम्स प्रशासन को स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की चिट्ठी (बाएं) और डॉ. रणदीप गुलेरिया की नर्सों से अपील (दाएं)
एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने एक वीडियो जारी कर हड़ताल पर गए सभी नर्सों से काम वापस शुरू करने की अपील की है. फ्लोरेंस नाइटिंगल की एक लाइन को कोट करते हुए उन्होंने कहा कि जो सच्चे नर्स होतें हैं वे कभी अपने मरीज को छोड़कर नहीं जाते. नर्स यूनियन के दावे के उलट उन्होंने कहा कि 23 में से अधिकतर मांगें मान ली गईं हैं. उन्होंने कहा,
कोरोना काल के दौरान पूरे एम्स परिवार ने जिस तरह से काम किया उस पर हमें गर्व है. ये बहुत दुर्भाग्य की बात है कि इस महामारी के दौरान नर्स यूनियन स्ट्राइक पर है. नर्स यूनियन ने 23 डिमांड हमारे सामने रखी है. इनमें से अधिकतर एम्स प्रशासन और सरकार ने मान ली है. एक मांग मूल रूप से छठे वेतन आयोग के मुताबिक शुरुआती वेतन तय करने की विसंगति से जुड़ी हुई है. जिसे लेकर कई बैठकें न केवल एम्स प्रशासन की हुई हैं बल्कि स्वास्थ्य मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार, व्यय विभाग के प्रतिनिधियों के साथ भी हुई हैं और जिस व्यक्ति ने छठे सीपीसी का मसौदा तैयार किया वह भी बैठक में मौजूद था. नर्स यूनियन को न सिर्फ एम्स प्रशासन बल्कि सरकार भी समझा चुकी है कि उनकी सैलरी बढ़ाने की मांग पर विचार किया जाएगा. इसके बावजूद महामारी के समय में वेतन बढ़ाने की बात करना एकदम गलत है. मैं सभी नर्सों और नर्सिंग अधिकारियों से अपील करता हूं कि वे हड़ताल पर न जाएं और जहां तक नर्सों की बात है उनके संदर्भ में हमारी गरिमा को शर्मिंदा न करें. इसलिए मैं आप सभी से अपील करता हूं कि वापस आएं और काम करें और इस महामारी से निपटने में हमारा सहयोग करें.इस बीच दिल्ली हाई कोर्ट ने एम्स की नर्सों की हड़ताल पर रोक लगा दी है. अदालत ने एम्स नर्सिंग यूनियन से काम पर लौटने को कहा है. एम्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नवीन चावला द्वारा ये आदेश दिया गया है.
एम्स प्रशासन और नर्स यूनियन के बीच जारी ये गतिरोध तो फिलहाल खत्म होता नहीं दिख रहा है. एम्स कैंपस के भीतर नारेबाजी और प्रदर्शन को एम्स प्रशासन ने कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन बताया है. एम्स का कहना है कि कैंपस के 500 मीटर के दायरे में इस तरह की एक्टिविटी नहीं की जा सकती. नर्स यूनियन सैलरी में बढ़ोतरी की मांग कर रही है जिसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय नई मांग के रूप में देख रहा है और इस सहानुभूतिपूर्वक विचार कर रहा है.