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तुर्की ने भारत से भेजे गए गेहूं में बताया वायरस, वापस भेजा

गेहूं की खेप वापस करने पर तुर्की सरकार की दलील, भारत से भेजे गेहूं में रूबेला वायरस है.

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गेहूं (सांकेतिक तस्वीर)
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प्रदीप यादव
3 जून 2022 (Updated: 3 जून 2022, 11:38 AM IST) कॉमेंट्स
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तुर्की  (Turkey) ने भारत (India) से भेजी गई गेहूं (Wheat ) की खेप वापस भारत लौटा दी है. तुर्की सरकार का कहना है कि भारत के भेजे गेहूं में रुबेला वायरस (Rubella Virus) मिला है. दुनियाभर में कमोडिटी मार्केट से जुड़ी सूचनाएं देने वाली एसएंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स ने इस मुद्दे पर विस्तार से एक रिपोर्ट पब्लिश की है. इसमें कहा गया है कि तुर्की ने भारत का 56 हजार टन से ज्यादा गेहूं वापस भेज दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय  गेहूं से भरा जहाज जल्द ही गुजरात के कांडला पोर्ट पर पहुंचने वाला है. अब आप सोच रहे होंगे कि भारत से गेहूं का एक्सपोर्ट तो बैन है. फिर गेहूं का एक्सपोर्ट कैसे हुआ. 

एक्सपोर्ट से पहले भेजा गया था गेहूं 

आइए अब पूरे मामले के एक एक पहलू को समझते हैं. दरअसल देश में आटे की बढ़ती कीमतों के चलते मोदी सरकार ने पिछले महीने की 13 तारीख को गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी. खबरों के मुताबिक तुर्की भेजा गया गेहूं 13 मई से पहले निर्यात किया जा चुका था और दो-तीन दिन पहले ही भारतीय गेहूं की खेप तुर्की पहुंची थी. रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की के अधिकारियों ने इस गेहूं में फाइटोसैनिटरी (पेड़-पौधों से जुड़ी बीमारी) की समस्या बताई है जिसके बाद यह जहाज 29 मई को तुर्की से भारत के लिए गेहूं लेकर रवाना हो गया. एस&पी ग्लोबल को इस्तांबुल के एक ट्रेडर ने बताया, 'तुर्की के कृषि मंत्रालय को भारतीय गेहूं की खेप में रूबेला बीमारी का पता चला है, जिस कारण इसे रिजेक्ट किया गया है. अब गेहूं से लदा 'एमवी इंस एकडेनिज' जहाज तुर्की के इस्केंडरुन पोर्ट से भारत के लिए वापस निकल चुका है. जून के मध्य तक यह भारत पहुंच जाएगा.'

भारत के खिलाफ राजनीतिक साजिश  

अब समझते हैं कि क्या वाकई तुर्की ने रूबेला वायरस के डर से भारतीय गेहूं लेने से इनकार कर दिया है या इसके पीछे भारत के खिलाफ व्यापारिक या राजनीतिक साजिश है. इस बारे में आईटीसी के एक अधिकारी ने समाचार पत्र दी हिन्दू बिजनेस लाइन को नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि इस गेहूं को भारतीय कंपनी आईटीसी (ITC) ने भारत से खरीदकर नीदरलैंड की ट्रेडिंग कंपनी को बेचा था और नीदरलैंड की कंपनी ने इस गेहूं का सौदा तुर्की के साथ किया था. आईटीसी के एक अधिकारी का कहना है मुझे लगता है कि गेहूं में वायरस वाली बात तुर्की की सरकार जानबूझकर फैला रही है. यह कारपोरेट प्रतिद्वंद्विता भी हो सकती है. एक ट्रेड एनालिस्ट ने बिजनेस लाइन से बात करते हैरानी जताई. एनालिस्ट ने कहा, रुबेला रोग अचानक हमारे यहां कैसे फैल गया. मुझे लगता है कि तुर्की सरकार का यह "राजनीतिक" कारणों से लिया फैसला हो सकता है. एनालिस्ट का कहना है कि जबसे भारत सरकार ने कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म किया है तब से तुर्की नाराज चल रहा है."

गेहूं की पैदावार घटने का अनुमान  

इस साल भारत में गेहूं का उत्पादन 10 करोड़ 6 लाख टन रहने का अनुमान है. इससे पहले देश में 1 करोड़ 11 लाख 20 हजार टन गेहूं का उत्पादन रहने का अनुमान जताया गया था लेकिन इस साल भीषण गर्मी के चलते गेहूं की पैदावार घटने की आशंका जताई जा रही है. वैसे भारत गेहूं का बहुत बड़ा निर्यातक नहीं है. पिछले वित्त वर्ष में, भारत ने 75 लाख टन से अधिक गेहूं का रिकॉर्ड निर्यात किया था. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पूरी दुनिया में गेहूं की सप्लाई घटी है. इस वजह से करीब आधा दर्जन देशों ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि उन्हें गेहूं सप्लाई करें.  न्यूज एजेंसी रायटर्स की एक खबर के मुताबिक, पिछले महीने गेहूं निर्यात पर बैन लगाने के बाद से भारत ने 4 लाख 70 हजार टन गेहूं के निर्यात को अनुमति दी है. यह निर्यात स्पेशल केस में किया जा रहा है और इसके लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है. आपको बता दें कि रूस दुनियाभर में गेहूं का सबसे बड़ा निर्यातक है और यूक्रेन इस लिस्ट में 6वें नंबर पर है.

रूस से बढ़ रहा कच्चे तेल का आयात

उधर, कच्चा तेल जिसकी महंगाई से देश का हर आदमी बेहाल है. लेकिन अब कच्चे तेल से उपजी इस महंगाई की काट ढूंढने की कोशिश रंग लाती दिख रही है. क्रूड के जरिये रूस के साथ वर्षों पुराना रिश्ता और प्रगाढ़ होता दिख रहा है. दरअसल, मई में भी भारत ने रूस से रिकार्ड कच्चे तेल का आयात किया है. यूक्रेन से जंग लड़ रहे युद्ध के बीच भारत ने रूस से मई में भारी मात्रा में कच्चे तेल का आयात किया है. 24 मई के बाद से भारत ने 6 करोड़ 25 लाख बैरल कच्चे तेल का आयात किया है. यह आंकड़ा पिछले साल यानी 2021 के मुकाबले करीब तीन गुना ज्यादा है. हालांकि, रूस में मिल रहे कच्चे तेल का सबसे ज्यादा फायदा हमारे देश की प्राइवेट तेल रिफाइनरी कंपनियों को मिल रहा है. भारत में जितना कच्चा तेल आयात हुआ है उसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, नायारा एनर्जी और रेफीनिटिव ईकान की हिस्सेदारी 50 फीसदी है. इस बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि कच्चे तेल के मामले में भारत , रूस के साथ काफी तेजी के साथ बढ़ रहा है जोकि भारत के लिए अच्छा मौका है.

वीडियो: तुर्की ने भारत के गेहूं को वापस लौटाया है, क्या यह साजिश है?

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