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RBI की 'दरियादिली' के बाद भी होम लोन सस्ता नहीं हुआ तो इसमें गलती आपकी भी हो सकती है

Repo Rate पूरे एक फीसदी घटकर 5.5% पर आ चुकी है. इसका असर होम लोन दरों पर दिखने भी लगा है. पूरे तीन सालों बाद होम लोन की दरें घटकर 8% के नीचे आ चुकी हैं. कई लोगों के होम लोन की किस्तें भी घट चुकी हैं. लेकिन जहां कुछ लोग खुश हैं, वहीं कुछ लोग अभी भी किस्त घटने के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे हैं.

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home loan rate cut after repo rate cut
RBI इस साल रेपो रेट में पूरे एक फीसदी की कटौती कर चुका है जिसके बाद ब्याज दरें 5.5% पर आ चुकी हैं.
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उपासना
26 जून 2025 (Updated: 27 जून 2025, 01:55 PM IST) कॉमेंट्स
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भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) जब भी ब्याज दरों में कटौती करता है तो सबसे ज्यादा खुश दो ही लोग होते हैं, वो जो लोन ले चुके हैं या लोन लेने वाले थे. क्योंकि RBI के ब्याज दरों में कटौती का सबसे ज्यादा फायदा उन्हें ही मिलता है. लोन की दरें जो कम हो जाती हैं.

RBI इस साल अब तक तीन बार दरों में कटौती कर चुका है. रेपो रेट (Repo Rate) पूरे एक फीसदी घटकर 5.5% पर आ चुकी है. इसका असर होम लोन दरों पर दिखने भी लगा है. पूरे तीन सालों बाद होम लोन की दरें घटकर 8% के नीचे आ चुकी हैं. कई लोगों के होम लोन की किस्तें (Home loan rates) भी घट चुकी हैं. लेकिन जहां कुछ लोग खुश हैं, वहीं कुछ लोग अभी भी किस्त घटने के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे हैं.

अगर आप भी दूसरी वाली कैटेगरी में आते हैं, तो ये खबर आपके लिए है. आरबीआई की दरियादिली के बाद भी आपका होम लोन सस्ता नहीं हुआ है तो बहुत हद तक इसमें आपकी ही गलती हो सकती है. दरअसल होम लोन की ब्याज दर एक दूसरे ब्याज दर से लिंक्ड होती है. इसे ‘बेंचमार्क रेट’ कहते हैं.

बेंचमार्क रेट से बंधी होती है होम लोन की डोर

वो ब्याज दर जिससे आपके होम लोन की ब्याज दर बंधी होती है बेंचमार्क रेट कहलाती है. ये बेंचमार्क रेट रेपो रेट से जुड़े होते हैं.

बेस रेट या एक्सटर्नल बेंचमार्क लिंक्ड रेपो रेट (EBLR)- वो दर जिससे नीचे बैंक उधार नहीं दे सकते. चूंकि ये रेट डायरेक्टली रेपो रेट से कनेक्टेड होते हैं. इसलिए EBLR से कनेक्टेड लोन पर रेपो रेट में चेंज का असर सबसे जल्दी दिखता है.

मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट(MCLR)- ये भी रेपो रेट से लिंक्ड होती है, लेकिन इसमें बैंक अपने कामकाज में आने वाले खर्चों को भी जोड़ देते हैं. इसलिए EBLR के मुकाबले MCLR से जुड़े लोन पर असर थोड़ा देरी से दिखता है.

इनके अलावा कुछ प्राइवेट और विदेशी बैंक MIBOR, T-Bill, CD rate से बंधे लोन भी देते हैं. इन सभी ब्याज दरों को फाइनेंशियल बेंचमार्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (FBIL) को जारी करता है. बहरहाल, जिस भी लोन का बेंचमार्क रेट रेपो रेट से कनेक्टेड होगा उस पर उतनी जल्दी असर दिखेगा.

लोन का एक्चुअल रेट ऐसे निकालते हैं बैंक

बैंक बेंचमार्क रेट में एक और दर जोड़कर फाइनल होमलोन रेट निकालते हैं. इसे स्प्रेड(Spread) कहते हैं. इसे आपकी कमाई, लोन की रकम और क्रेडिट स्कोर के आधार पर निकाला जाता है. दोनों कंपोनेंट को जोड़कर फाइनल होम लोन रेट निकाला जाता है. स्प्रेड वाला हिस्सा फिक्स रहता है, लेकिन दूसरा बेंचमार्क वाला हिस्सा घटता बढ़ता रहता है.

तो कुल मिलाकर आपका होम लोन कितनी तेजी से घटेगा या बढ़ेगा यह बेंचमार्क रेट पर निर्भर करता है. बेंचमार्क रेट जितना डायरेक्टली रेपो रेट से जुड़ा होगा होम लोन उतनी तेजी से घटेगा. डायरेक्टली से मतलब है बेंचमार्क रेट में रेपो रेट के अलावा जितने अतिरिक्त चार्जेज जुड़े होंगे रेपो रेट का फायदा उतनी देरी से मिलेगा. अगर रेपो रेट घटने के बाद भी आपकी किस्त कम नहीं हुई है तो दो कारण हो सकते हैं, या तो आपके बेंचमार्क रेट में रेपो रेट के इतर दस और तामझाम भी जुड़े हों. या फिर आपका स्प्रेड ही बहुत ज्यादा हो.

स्प्रेड को हल्के में ना लें

ज्यादातर लोगों को लगता है कि स्प्रेड वाले हिस्से का ज्यादा रोल नहीं होता. लेकिन ऐसा नहीं है. कई मामलों में बैंक स्प्रेड ज्यादा रख देते हैं. मिसाल के तौर पर अगर बैंक ने 2.5% स्प्रेड रख दिया है तो रेपो रेट से लिंक होने के बाद भी कटौती का फायदा कम से कम झटपट तो नहीं मिलेगा.

बैंक नहीं मान रहे तो ट्रांसफर करा लें लोन

बैंक होम लोन देते वक्त खुद से ही बेंचमार्क रेट तय कर देते हैं. ज्यादातर मामलों में ये रेपो रेट ही होता है, लेकिन कई बैंक दूसरे बेंचमार्क रेट भी सेलेक्ट कर लेते हैं. जब तक कर्जदार खुद से पूछताछ नहीं करता कि किस लोन को किस रेट से लिंक किया गया है तब तक कोई बताएगा नहीं. इसलिए समझदारी इसी में है कि लोन लेते समय बैंक से पूछ लें कि बेंचमार्क रेट कौन सा है. अब सवाल उठता है कि, जिन लोगों ने पहले से लोन ले रखा है उन्हें क्या करना चाहिए?

ऐसे लोगों को सबसे पहले लोन का बेंचमार्क रेट चेक करना चाहिए. लोन सैंक्शन लेटर में या बैंक के मोबाइल ऐप या ऑनलाइन पोर्टल पर चेक कर सकते हैं. अगर उसमें बेंचमार्क रेट में रेपो रेट की जगह MCLR या कोई और रेट दिख रहा है तो बैंक से उसे रेपो रेट में स्विच करने को कह सकते हैं. अगर रेपो रेट पर स्विच करके बढ़िया फायदा मिल रहा है तो बिना देरी किए स्विच करा लेना चाहिए. लेकिन रेट स्विच कराने पर भी बढ़िया रेट नहीं मिल रहा तो बकाया रकम दूसरे बैंक में ट्रांसफर करा सकते हैं.

वीडियो: खर्चा-पानी: रेपो रेट क्या होता है और इससे बैंकों को क्या फायदा होता है?

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