रिकार्ड निचले स्तर तक गिरा रुपया, मिडिल क्लास की मुश्किलें बढ़ेंगी
डॉलर के मुकाबले रुपया 11 पैसे गिरकर 77.85 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर गया. इससे पहले रुपये ने पहले कभी यह स्तर नहीं देखा था.

डालर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है. शुक्रवार को कारोबार के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 11 पैसे गिरकर 77.85 के रिकॉर्ड निचले स्तर तक गिर गया. इससे पहले रुपये ने पहले कभी यह स्तर नहीं देखा था. रूस-युक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल की कीमतों में जारी उछाल और गेहूं, तेल समेत दूसरी खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ने से रुपया लगातार गिर रहा है. अब जानते हैं कि रुपया कब-कब गिरा है. इसी साल 12 जनवरी को डालर के मुकाबले 73.77 था तब से लेकर अब तक डॉलर के मुकाबले 4 रुपये कमजोर हो चुका है. मोदी सरकार के अब तक कार्यकाल की बात करें तो 2013 से अब तर रुपये ने नए नए रंग दिखाए हैं. 2013 में डॉलर के मुकाबले रुपये की औसत कीमत 56.57 पर थी. 2019 में डॉलर के मुकाबले रुपया 71.74 पर पहुंच गया था . 2020 की बात करें तो डॉलर के मुकाबले रुपया औसतन 76.67 पर रहा जबकि 2021 में पहले की तुलना में थोड़ा मजबूत हुआ और डालर के मुकाबले रुपये की औसत कीमत 72.55 रही.
विदेश में पढ़ाई करना पड़ेगा महंगामहंगाई की मार झेल रहे मिडिल क्लास की मुश्किले और बढ़ेंगी क्योंकि रुपये में कमजोरी के चलते खाने-पीने की चीजों से लेकर आपके बच्चे की फीस तक पर असर दिखेगा. अगर आपका बच्चा विदेश में पढ़ाई कर रहा है तो अब आपको फीस के रूप में ज्यादा पैसे भेजने पड़ेंगे. इसी तरह से अगर आप विदेश घूमने के लिए प्लान बना रहे हैं तो भी यह आपकी जेब पर भारी पड़ने वाला है. एयर टिकट से लेकर विदेशी रेस्त्रां में खाना, होटल के किराये के मद में आपको ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा.
आर्थिक सेहत के लिए अच्छे नहीं हैं संकेतरुपये की कमजोरी देश की आर्थिक सेहत के लिए भी अच्छा संकेत नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि इससे विदेशों से कच्चा तेल मंगाना महंगा पड़ेगा. इसी तरह से इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे मोबाइल और सोना वगैरह के लिए ज्यादा डालर खर्च करने होंगे. इसका असर आपकी जेब पर भी पड़ेगा क्योंकि मोबाइल महंगा हो सकता है. खाद्य तेल की कीमतें और उछल सकती हैं क्योंकि खाने के तेलों का आयात हमें विदेश से करना पड़ता है. जाहिर है इसका असर सरकार के खजाने पर भी पड़ेगा क्योंकि फॉरेक्स रिजर्व घटेगा. पहले से ही राजकोषीय दबाव झेल रही सरकार को सामाजिक कल्याण के प्रोग्रामों के लिए खर्च घटाना होगा. हालांकि, रुपये में गिरावट के कुछ फायदे भी हैं जैसे कि भारत से एक्सपोर्ट करने वाले कारोबारियों को फायदा हो सकता है. भारत में ज्यादा विदेशी पर्यटक घूमने आ सकते हैं. आपको बता दें कि हम 100 डॉलर का निर्यात घाटा पहले से झेल रहे हैं क्योंकि हम निर्यात से ज्यादा आयात करते हैं. भारत अपनी करीब 80 फीसदी कच्चे तेल की जरूरत आयात के जरिये पूरी करता है. इन सभी चीजों का भुगतान सरकार डॉलर में करती है.
80 तक गिर सकता है रुपयारुपये में गिरावट का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा या आने वाले दिनों रुपये के अच्छे दिन लौटेंगे. मार्केट एनालिस्ट्स के मुताबिक भारतीय रुपये के अभी और बुरे दिन आने वाले हैं. ब्रोकरेज फर्म यूबीएस एजी और नोमुरा होल्डिंग्स के अनुसार, अगले कुछ महीनों में डॉलर के मुकाबले रुपया और कमजोरी दिखा सकता है और यह 79 से 81 प्रति डॉलर तक गिर सकता है. यूबीएस कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी रोहित अरोड़ा ने कहा, "अगले कुछ महीनों में डॉलर के मुकाबले रुपया 80 तक गिर सकता है. खराब परिस्थितियों में रुपया इससे नीचे जा सकता है.
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