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फिर सस्ते होंगे कार और होम लोन? महंगाई पर स्थिति तो कुछ ऐसी ही बनी है

जून में खुदरा महंगाई और थोक महंगाई दर दोनों में अच्छी खासी गिरावट आई है. जून में खुदरा महंगाई की दर 2.1% रही है, जो मई में यह दर 2.82% थी. बीते 6 साल में खुदरा महंगाई का ये सबसे निचला स्तर है. इससे पहले इतनी कम महंगाई दर जनवरी 2019 में देखी गई थी. उस समय खुदरा महंगाई की दर 1.97% थी.

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cpi reaches to 6 years low level in june
सब्जियों से लेकर जून में दाल, मांस, अनाज, दूध और मसालों के दाम मई में कम हुए हैं.
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उपासना
15 जुलाई 2025 (Published: 08:46 AM IST) कॉमेंट्स
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लोन लेने वालों के लिए और अच्छे दिन आ सकते हैं. आने वाले दिनों में बैंक लोन की दरें घटा सकते हैं? आपमें से कुछ लोग सोचेंगे कि सुनने में तो अच्छा लग रहा, लेकिन अभी-अभी तो बैंकों ने लोन सस्ता किया था. ऐसा क्या हुआ कि बैंक फिर से रेट घटा सकते हैं? 

14 जुलाई को जारी आंकड़ों के मुताबिक, जून में खुदरा महंगाई दर (CPI) 2.1% रही है. मई के मुकाबले इसमें 72 बेसिस पॉइंट की कमी आई है. मई में यह दर 2.82% थी. बीते 6 साल में खुदरा महंगाई का यह सबसे निचला स्तर है. इससे पहले इतनी कम महंगाई दर जनवरी 2019 में दर्ज की गई थी. उस समय यह आंकड़ा 1.97 प्रतिशत था. 

इसके अलावा थोक महंगाई दर (WPI) आधारित महंगाई जून 2025 में गिरकर (-) 0.13 प्रतिशत पर पहुंच गई है. यह इस साल का पहला मौका है जब WPI महंगाई निगेटिव जोन में गई है. पिछले 14 महीनों में यह इसका सबसे निचला स्तर है. इससे पहले मई में यह दर 0.39 प्रतिशत थी.

महंगाई में कमी आने का सबसे बड़ा कारण खाने-पीने की चीजों की कीमतों में आई गिरावट है. आंकड़ों के मुताबिक जून में सब्जियों से लेकर दाल, मांस, अनाज, दूध और मसालों के दाम कम हुए. बेहतर मानसून की वजह से ये कीमतें और भी काबू में आ गई हैं. इसका सीधा सीधा असर महंगाई दर पर दिखा है.

अब मुद्दे पर आते हैं. इसका लोन से क्या कनेक्शन. दरअसल बैंक लोन की दरें तब घटाते हैं जब आरबीआई रेपो रेट घटाता है. और आरबीआई रेपो रेट में महंगाई दर को देखकर फैसला करता है. यह लगातार 5वां महीना है जब महंगाई की दर आरबीआई की तरफ से तय अधिकतम 4 प्रतिशत की सीमा से नीचे बनी हुई है. अगर आने वाले महीनों में महंगाई इसी रेंज में बनी रही तो आरबीआई के पास ब्याज दरों में कटौती का स्कोप होगा.

आरबीआई के मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की जून में बैठक हुई थी. इसमें ब्याज दरों में 50 फीसदी की भारी कटौती की थी. जिसके बाद रेपो रेट 5.50 फीसदी पर आ चुके हैं. प्राइवेट से लेकर सरकारी बैंक इसका फायदा लोगों को देना शुरू भी कर चुके हैं. कई बैंकों के नए लोन सस्ते हुए और पुराने लोन की ईएमआई कम हुई है.

अगली बैठक अगस्त में होनी है उसके बाद सिंतबर-अक्टूबर में. अगस्त वाली बैठक में तो कटौती की संभावना थोड़ी कम है. लेकिन महंगाई की दरें इसी तरह आरामदायक स्तर पर बनी रहीं तो सितंबर-अक्टूबर वाली बैठक में आरबीआई की तरफ से ब्याज दरों पर कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो होम से लेकर ऑटो 

लोन और सस्ते हो सकते हैं.

वीडियो: महंगाई के आंकड़ों के पीछे आखिर क्या झोल है?

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