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भारत को चिप हब बनाने की प्लानिंग खटाई में पड़ी, सेमीकंडक्टर वाली योजना 'फ्यूज' हो गई

मोदी सरकार ने दिसंबर 2021 में सेमीकंडक्टर सेक्टर में निवेश आकर्षित करने के लिए इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन यानी ISM की शुरुआत की थी.

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India chip mission halted
फिलहाल सेमीकंडक्टर्स के मामले में भारत पूरी तरह से आयात पर निर्भर है
1 जून 2023 (Updated: 1 जून 2023, 24:26 IST)
Updated: 1 जून 2023 24:26 IST
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आज के इस डिजिटल युग में हम चारों तरफ सेमीकंडक्टर या चिप से घिरे हुए हैं. कार से लेकर टीवी, लैपटॉप, ईयरबड्स और यहां तक कि वॉशिंग मशीनों में भी सेमीकंडक्टर्स का इस्तेमाल होता है. अगर आप मोबाइल फोन, कैलकुलेटर, सोलर पैनल टीवी या इंटरनेट से जुड़ा कोई भी डिवाइस इस्तेमाल कर रहे हैं तो मतलब आप सेमीकंडक्टर चिप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. आप अपने घर में एसी चलाते हैं या एटीएम से पैसे निकालते हैं, तो भी सेमीकंडक्टर चिप का इस्तेमाल करते हैं. 

आज पूरी दुनिया में जितनी भी गाड़ियां सड़क पर नजर आ रही हैं सब में सेमीकंडक्टर चिप्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. फिर चाहे वो पावर स्टीयरिंग हो या फिर ब्रेक सेंसर. एयरबैग से लेकर पार्किंग कैमरा तक कुछ भी बिना सेमीकंडक्टर नहीं चलता. यहां तक कि बादलों का सीना चीर कर चलने वाले फाइटर प्लेन और मिसाइलों तक में चिप का इस्तेमाल होता है. इस तरह से देखें तो सिलिकॉन से बनी यह छोटी चिप कण-कण में मौजूद है. 

इस छोटे से चिप की अहमियत का अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि कोरोना काल में जब इसकी सप्लाई में कमी आई तो दुनिया भर में हड़कंप सा मच गया था. इसके चलते दुनिया की तमाम बड़ी-बड़ी कंपनियों को अरबों डॉलर रुपए का नुकसान उठाना पड़ गया था. भारत भी इसकी मार से अछूता नहीं रहा था. 

भारत को चिप हब बनाने की कोशिशों को झटका?

इससे सबक लेते हुए मोदी सरकार ने सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए भारत को ''चिप फैक्ट्री'' या सेमीकंडक्टर का हब बनाने का लक्ष्य रखा. इसके तहत सरकार ने दिसंबर 2021 में सेमीकंडक्टर सेक्टर में निवेश आकर्षित करने के लिए इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन यानी ISM की शुरुआत की थी. इसके बाद 2022 में केंद्र सरकार ने भारत को सेमीकंडक्टर हब बनाने के लिए कंपनियों को आमंत्रित किया था. सरकार ने इसके लिए 10 अरब डॉलर (आज की तारीख में मोटा मोटी 82 हजार करोड़ रुपये) का इनसेंटिव भी देने की घोषणा की थी. लेकिन अब एक ऐसी खबर आई है जिससे भारत को चिप के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के केंद्र सरकार के प्रयासों को बड़ा झटका लगा है.

दरअसल चिप कंसोर्शियम आईएसएमसी द्वारा भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने की योजना पर काम फिलहाल रूक गया है. इस कंपनी को कुछ समय पहले अमेरिकी कंपनी इंटेल ने खरीद लिया था. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने यह जानकारी दी है. चिप कंसोर्शियम का मतलब ये है कि एक से ज्यादा चिप बनाने वाली कंपनियां एक साथ मिलकर काम कर रही हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस अधिग्रहण के चलते अब आईएसएमसी की तरफ से भारत में चिप बनाने की योजना फिलहाल खटाई में पड़ती नजर आ रही है. 

सेमीकंडक्टर कंसोर्शियम आईएसएमसी अबू धाबी स्थित नेक्स्ट ऑर्बिट वेंचर्स और इज़राइल की सेमीकंडक्टर कंपनी 'टॉवर' के बीच एक ज्वाइंट वेंचर है. यह ज्वाइंट वेंचर भारत में अपनी पहली चिप फैक्ट्री स्थापित करने के लिए कर्नाटक में करीब 25 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने वाली थी. वहीं, इंटेल दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर कंपनी है.

इसके अलावा मोदी सरकार के चिप मिशन को एक और झटका लगता दिख रहा है. इसके तहत भारत में चिप बनाने के अनिल अग्रवाल के वेदांता समूह और ताइवान के फॉक्सकॉन की कोशिश भी सुस्त पड़ती दिख रही है. इसकी वजह ये है कि उन्हें यूरोप की चिप बनाने वाली कंपनी एसटी माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स को अपने सहयोगी के रूप में जोड़ने में अब तक सफलता हासिल नहीं हो पाई है. वेदांता और फॉक्सकॉन की करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये के निवेश से भारत में बड़ी चिप फैक्ट्री लगाने की योजना है.

इन दोनों योजनाओं का आगे नहीं बढ़ पाना प्रधानमंत्री मोदी नरेन्द्र मोदी के लिए बड़ा झटका है क्योंकि मोदी सरकार ने चिप मैन्यूफैक्चरिंग को अपनी टॉप प्राथमिकताओं में शामिल किया है. सरकार इस प्रोजेक्ट के साथ दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियों को भारत में इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग के नए युग की शुरुआत की ओर देख रही है. इसका अंदाजा आप ऐसे भी लगा सकते हैं कि बेंगलुरु में सेमीकॉन इंडिया-2022 सम्मेलन में बोलते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को सेमीकंडक्टर के मामले में दुनिया का हब बनाने का आह्वान किया था.

केंद्र सरकार को उम्मीद है कि 2026 तक देश का सेमीकंडक्टर मार्केट करीब 5 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच जाएगा. सरकार ने इसकी अहमियत को समझते हुए करीब 82 हजार करोड़ रुपये की कीमत की प्रोत्साहन स्कीम लॉन्च करने की घोषणा की थी. इन प्रोत्साहनों का फायदा लेने के लिए पिछले साल सरकार को तीन आवेदन मिले थे. इनमें वेदांता-फॉक्सकॉन का ज्वाइंट वेंचर, ग्लोबल कंसोर्शियम ISMC शामिल थे. आईएसएमसी ने टावर सेमीकंडक्टर को अपना टेक्नोलॉजी पार्टनर बनाया था. वहीं, सिंगापुर स्थित आईजीएसएस वेंचर्स ने भी इस योजना के लिए आवेदन किया था. वेदांता और फॉक्सकॉन ज्वाइंट वेंचर की गुजरात में चिप फैक्ट्री लगाने की योजना है. वहीं, आईएसएमसी और IGSS दोनों ने दो अलग-अलग दक्षिणी राज्यों में करीब 25-25 हजार करोड़ रुपये के लागत से चिप फैक्ट्री लगाने की बात कही थी.

फिलहाल चिप का 'राजा' कौन?

सेमीकंडक्टर बनाने के लिए जरूरी चीजों का उत्पादन दुनिया के अलग-अलग देशों में होता है, लेकिन मोटे तौर पर इसका उत्पादन ताइवान में होता है. ताइवान, एडवांस्ड सेमीकंडक्टर चिप्स के उत्पादन में सबसे आगे है. यानी सेमीकंडक्टर का सबसे बड़ा खिलाड़ी है ताइवान. माइक्रो चिप या सेमीकंडक्टर, उन चीजों में से एक है जिसका व्यापार दुनिया में सबसे ज्यादा होता है. भारत भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के बड़े उपभोक्ता देशों में से एक है. पेट्रोल और सोने के बाद हम सबसे ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज ही दूसरे देशों से आयात करते हैं.

BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2021 से अप्रैल 2022 के बीच भारत में करीब 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का सेमीकंडक्टर आयात किया गया था. कहने का मतलब ये है कि भारत, सेमीकंडक्टर्स के मामले में पूरी तरह से आयात पर निर्भर है. हालांकि हमारे यहां दुनिया की लगभग सभी बड़ी कंपनियों के डिजाइन और रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर हैं. लेकिन चिप बनाने वाले फैब्रिकेशन प्लांट या फैब यूनिट नहीं हैं. 

हालांकि देर से ही सही, पिछले कुछ सालों में भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर्स के मामले में आत्मनिर्भर होने की ओर कदम उठाए हैं. भारत के लिए ये जरूरी भी है क्योंकि पहले कोरोना और फिर बाद में रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से जब सेमीकंडक्टर्स की सप्लाई प्रभावित हुई तो उसका भारत पर भी बुरा असर पड़ा. आज तकनीक की दुनिया में जब लगभग सब कुछ इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है तब सेमीकंडक्टर्स के आयात पर पूरी तरह से निर्भर रहना काफी चिंताजनक है. 

भारत में सेमीकंडक्टर्स की खपत 2030 तक 9 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा पार कर जाने की उम्मीद है. ये एक बड़ी वजह है कि भारत सरकार देश में ही इन चिप्स को तैयार करने के लिए पूरा जोर लगा रही है.

वीडियो: खर्चा-पानी: ऐसा क्या हो गया है कि भारत में चिप प्लांट लगाने वाली दो योजनाएं अधर में लटक गई हैं?

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