The Lallantop
Advertisement

गलती से दूसरे के खाते में ट्रांसफर कर दिए पैसे, बैंकों ने कुछ नहीं किया, फिर कोर्ट ने जो किया...

हैदराबाद में एक 69 वर्षीय बुजुर्ग से टाइपो के चक्कर में दूसरे के खाते में पैसे चले गए. बैंक को अर्जी दी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. परेशान होकर रेड्डी ने शिकायत निपटान करने वाली फोरम के पास शिकायत कर दी. कोर्ट ने सुनवाई में पैसे तो लौटाने का आदेश दिया ही साथ में देरी के लिए ब्याज के भुगतान भी आदेश दिया है.

Advertisement
man transferred amount to wrong account to get amount plus annual interest
हैदराबाद के वांगा कृष्ण रेड्डी ने की गलती से 52,659 रुपये गलत खाते में ट्रांसफर कर दिए थे. (Picture Credit- Freepik)
pic
उपासना
30 जून 2025 (Published: 01:10 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

नो डाउट, ऑनलाइन पेमेंट (Digital Payment) ने जिंदगी आसान बना दी है. हां, फिजूलखर्ची वाले लोगों का हिसाब-किताब थोड़ा बिगड़ा है. फटाफट पेमेंट की सुविधा से पता ही नहीं चलता कि पैसे कहां रफूचक्कर हो गए. बहरहाल, जिंदगी उनकी भी थोड़ी मुश्किल हुई है जो काम की चीजों के लिए ऑनलाइन पेमेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं. छोटी सी गलती और पूरे पैसे हवा. आए दिन ऐसी खबरें आती हैं कि छोटा सा मिसटाइप और पैसे हाथ से गए. बैंकों को जानकारी देकर आप पैसा वापस पाने के लिए अर्जी तो दे सकते हैं लेकिन कोई भरोसा नहीं कि आपके पैसे कब आएंगे.

हैदराबाद के एक 69 वर्षीय बुजुर्ग के साथ भी ऐसा ही हुआ. लेकिन उन्होंने हार मानने की बजाय एक नायाब तरीका निकाला. बैंक एक्शन लेने में ढीले नजर आए तो उन्होंने सीधे डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमिशन के पास शिकायत कर दी. कमिशन ने जो आदेश दिया है वो सुनकर आपको भी पता चल जाएगा कि बैंकों के नखरे उठाए बिना पैसे कैसे वापस पा सकते हैं.

जून 2023 की बात है. वांगा कृष्ण रेड्डी को हेल्थ इंश्योरेंस रिन्यू कराने के लिए बीमा कंपनी को 52,659 रुपये का पेमेंट करना था. TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, पेमेंट करते समय रेड्डी ने रिसीवर के डिटेल में एक अंक गलत लिख दिया और पैसे दूसरे खाते में चले गए. बीमा रिन्यू होने में तीन दिन बाकी थे. लिहाजा रेड्डी ने पहले पॉलिसी रिन्यूअल को प्राथमिकता देते हुए करेक्ट डिटेल के साथ बीमा कंपनी को पेमेंट किया. उसके बाद गलत पेमेंट को लेकर बैंक को तुरंत इन्फॉर्म कर दिया.

बैंक ने उनकी अर्जी सुनी. उस बेसिस पर रिसीवर के बैंक को कॉन्टैक्ट कर पैसे रिटर्न करने के लिए रिक्वेस्ट भेजी, लेकिन उसके बाद निल बट्टे सन्नाटा. रेड्डी बताते हैं, बैंक ने सिर्फ इतना कहा कि ठीक है हम देखते हैं. लेकिन फिर कोई खबर नहीं मिली. रिसीवर के बैंक की तरफ से सिर्फ एक जवाब मिला, डेबिट कन्फर्मेशन के लिए कस्टमर से संपर्क नहीं हो पाया. और उसके बाद से उनके पैसों को लेकर कोई अपडेट नहीं आई.

परेशान होकर रंगा रेड्डी ने डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रेड्रेसल कमिशन का दरवाजा खटखटाया. मई 2024 में उन्होंने शिकायत दर्ज कराई. सुनवाई हुई. उन्होंने दावा किया कि गलत ट्रांजैक्शन होने पर तय शिकायत प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी बैंक वाले कोई कार्रवाई नहीं कर रहे. उनकी तरफ से कोई गलती नहीं हुई है.

कमिशन ने इस मामले में दोनों बैकों को सर्विस ठीक से नहीं देने का जिम्मेदार ठहराया. इतना ही नहीं कमिशन ने कहा कि अगर कस्टमर से गलती हो भी गई है तो बैंकों को ये देखना चाहिए कि अकाउंट नंबर और खाताधारक का नाम मेल खा रहा है या नहीं. और इसी के साथ दोनों बैंकों को मिलकर 52,659 रुपये साथ में 10 प्रतिशत के एनुअल रेट से ब्याज लौटाने का भी आदेश दिया.

बहरहाल, रेड्डी के मामले से हम सबक ले सकते हैं कि अगर गलती से पेमेंट किसी दूसरे खाते में हो जाए. शिकायत पर बैंक कोई एक्शन लेते ना दिखे तो हताश होकर उम्मीद छोड़ने की बजाय कहां दरवाजा खटखटाना है.

वीडियो: NPCI ने बताया UPI पेमेंट फेल होने का असली कारण

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement