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GDP के आंकड़े आए हैं, 18 महीनों में सबसे ज्यादा लुढ़की

जीडीपी में लगातार हो रही गिरावट पर देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि दूसरी तिमाही के आंकड़े निराश करने वाले हैं लेकिन "अलार्मिंग" नहीं है.

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GDP Growth rate
तीन तिमाहियों से जीडीपी ग्रोथ में लगातार गिरावट. (फाइल फोटो)
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साकेत आनंद
29 नवंबर 2024 (Updated: 30 नवंबर 2024, 15:35 IST)
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देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार (GDP growth) पिछले 18 महीनों के सबसे निचले स्तर पर है. वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.4 फीसदी रही है. नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (NSO) ने 29 नवंबर को जुलाई से सितंबर तिमाही के आंकड़े जारी किए. आंकड़ों को देखें तो मैन्यूफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर में ग्रोथ बेहद धीमी रही है. इसके अलावा सरकारी खर्च में सुस्ती और निजी उपभोग में कमी ने अर्थव्यवस्था की गति को धीमा किया है.

NSO के आंकड़ों को देखें तो पिछली तीन तिमाहियों से जीडीपी ग्रोथ में लगातार गिरावट हुई है. अप्रैल-जून क्वार्टर में जीडीपी ग्रोथ 6.7 फीसदी थी. वहीं, इससे पहले जनवरी-मार्च (वित्त वर्ष 2023-24) में जीडीपी 7.8 फीसदी की दर से बढ़ी थी.

पिछले साल इसी जुलाई-सितंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था की ग्रोथ 8.1 फीसदी थी. इससे पहले, आखिरी बार अक्टूबर-दिसंबर 2022 की तिमाही में जीडीपी इतने निचले स्तर पर रही थी. उस क्वार्टर में 4.3 फीसदी की ग्रोथ रही थी.

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तीन तिमाहियों से जीडीपी में लगातार गिरावट देखी गई है. (फोटो- NSO)

GDP को हिंदी में सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है. आसान भाषा में कहें तो देश में हो रहे हर तरह के उत्पादन का कुल मूल्य. उत्पादन कहां होता है? कारखानों में, खेतों में. कुछ साल पहले इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग और कंप्यूटर जैसी अलग-अलग सेवाओं यानी सर्विस सेक्टर को भी जोड़ दिया गया. यानी एक तय समयसीमा में उत्पादन और सेवा क्षेत्र के कुल मूल्य को कहते हैं GDP. इसका मूल्यांकन हर तिमाही में किया जाता है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के अधिकारियों ने अक्टूबर बुलेटिन में दूसरी तिमाही के लिए 6.8 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया था. ये अनुमान आर्थिक गतिविधियों से जुड़े सूचकांकों को देखकर लगाया था. वहीं RBI ने अपने ताजा मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू में 7 फीसदी का अनुमान दर्ज किया था.

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NSO के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में कृषि और सर्विस सेक्टर को छोड़कर अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी क्षेत्र में गिरावट देखी गई है. इनमें माइनिंग और मैन्यूफेक्चरिंग सेक्टर की हालत सबसे ज्यादा खराब है. पिछले साल दूसरी तिमाही में माइनिंग सेक्टर का ग्रोथ रेट 11.1 फीसदी था. उसके मुकाबले इस तिमाही में ये गिरकर -0.1 फीसदी पर चला गया. इसी तरह, 2023-24 की दूसरी तिमाही में मैन्यूफैक्चिंग सेक्टर की ग्रोथ 14.3 फीसदी थी, लेकिन इस तिमाही सिर्फ 2.2 फीसदी रही.

वहीं, कृषि क्षेत्र में ग्रोथ पिछले साल के मुकाबले इस तिमाही में करीब दोगुनी रही है. इसके अलावा, सर्विस सेक्टर में भी ग्रोथ देखी गई है.

पिछली पांच तिमाहियों के GDP आंकड़े:
तिमाहीग्रोथ रेट
जुलाई-सितंबर (2023-24)8.1%
अक्टूबर-दिसंबर (2023-24)8.6%
जनवरी-मार्च (2023-24)7.8%
अप्रैल-जून (2024-25)6.7%
जुलाई-सितंबर (2024-25)5.4%
मुख्य आर्थिक सलाहकार क्या बोले?

जीडीपी में लगातार हो रही गिरावट पर देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि दूसरी तिमाही के आंकड़े निराश करने वाले हैं लेकिन "अलार्मिंग" नहीं है. उन्होंने दूसरे सेक्टर्स में हुई ग्रोथ का जिक्र किया. साथ ही नागेश्वरन ने वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद जताई.

दिल्ली में प्रेस ब्रीफिंग में नागेश्वरन ने बताया कि "ग्लोबल फैक्टर्स" का भारतीय मैन्यूफेक्चरिंग पर असर देखने को मिला है. उन्होंने कहा, 

"मैन्यूफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर्स की धीमी रफ्तार के लिए कई फैक्टर्स हैं. 50 फीसदी माइनिंग में कोयला, नैचुरल गैस और कच्चा तेल शामिल हैं, और इन सब में सुस्ती देखी गई है. इसके अलावा ग्लोबल सप्लाय चेन में दिक्कतों का असर पड़ा है."

महंगाई के मोर्चे पर उन्होंने कहा कि सरकार खाद्य कीमतों को कम करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि खाद्य उपलब्धता को पूरा करने के लिए पिछले दो सालों में सरकार ने कई नीतिगत कदम उठाए हैं.

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