सिबिल स्कोर को ये छोटी गलतियां भी खराब करती हैं, लोन लेने के रास्ते बंद हों, उससे पहले सुधारें
अनजाने में लोग अपना Cibil Score खराब कर देते हैं, उन्हें पता ही नहीं होता कि वो जो कर रहे हैं वो भी एक गलती है. पता तब लगता है, जब वो Credit Card लेने या फिर Loan उठाने के लिए Bank में जाते हैं.

जानवर पालने का शौक होना एक बात है, पालने के बाद उसकी जिम्मेदारी संभालना दूसरी बात है. पौधे पसंद होना एक बात है, लेकिन घर की बालकनी में सजे पौधों को रोज-रोज खाद पानी देकर जिंदा रखना दूसरी बात है. ठीक इसी तरह क्रेडिट कार्ड(Credit Card) का शौक होना एक बात है और कार्ड मिलने के बाद उसे तहजीब से इस्तेमाल करना दूसरी बात.
जी हां. कई लोग क्रेडिट कार्ड मिलने के बाद खुद को तीस मार खान समझने लगते हैं. शो ऑफ करने लगते हैं कि देखा मेरा सिबिल स्कोर कितना स्ट्रॉन्ग है...मुझे एक झटके में कार्ड मिल गया. लेकिन उन्हें ये नहीं पता होता कि रिवॉर्ड पॉइंट्स के साथ आने वाले क्रेडिट कार्ड के साथ में थोक के भाव जिम्मेदारियां भी आती हैं. इनकी अनदेखी आपके हाई फाई सिबिल स्कोर को अर्श से फर्श पर पहुंचा सकती हैं. आज आपको इन्हीं गलतियों के बारे में बताएंगे.
कार्ड यूटिलाइजेशन का खास ख्याल रखेंहर क्रेडिट कार्ड एक लिमिट के साथ आता है. मतलब एक कार्ड से अधिकतम कितने रुपये खर्च सकते हैं. वैसे तो आपको पूरी आजादी दी जाती है कि आप लिमिट जितनी है, उतनी पूरी रकम यूज कर लें, लेकिन कार्ड कंपनियां यहां एक खेल करती हैं. मान लेते हैं आपको कार्ड पर 1 लाख रुपये की लिमिट मिली है. अब कार्ड कंपनियां नोटिस करती हैं कि क्या आप बार-बार पूरी रकम यूज कर रहे हैं या सिर्फ छोटी-मोटी अर्जेंट जरूरत ही पूरी कर रहे हैं.
पूरे 1 लाख रुपये यूज करने वाले क्रेडिट कार्ड कंपनियों की नजर में आईडियल कस्टर नहीं हैं. भले ही आपने टाइम से पहले ही बिल क्यों ना भर दिया हो. फिर आईडियल कस्टमर कौन है? दरअसल एक टर्म चलता है क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशो. इस फॉर्मूले के मुताबिक यूजर्स को कार्ड लिमिट का अधिकतम 30 फीसदी ही इस्तेमाल करना चाहिए. जैसे आपको 1 लाख की लिमिट मिली है, और आप मैक्सिमम 30,000 रुपये ही यूज कर रहे हैं तो कार्ड कंपनी की नजर में आप आईडियल कस्टमर हैं.
ऐसे लोगों का सिबिल स्कोर इंप्रूव होता रहेगा. वहीं, आपने पूरी की पूरी 1 लाख रुपये की लिमिट खत्म कर दी है, तो टाइम से पहले फुल पेमेंट के बाद भी आपका सिबिल स्कोर मजबूत नहीं होगा. हां, कम जरूर हो सकता है. आप सोचेंगे क्यों? हमने पैसे लिए पूरे चुका दिए वो भी टाइम से पहले. फिर क्या मैटर है. दरअसल, पूरी लिमिट यूज करने वाले लोगों के बारे में बैंक सोचते हैं कि इस इंसान का तो कार्ड के बिना गुजारा ही नहीं होता है. बैंक मानते हैं कि ये लोग कभी भी डिफॉल्ट कर सकते हैं. इसलिए इनका सिबिल स्कोर कम कर दिया जाता है.
बार बार एन्क्वायरी भारी पड़ेगी- नए क्रेडिट कार्ड्स के लिए बार-बार पूछताछ कर रहे हैं?
- रिजेक्ट होने के बाद भी बार-बार लोन एप्लिकेशन देते जा रहे हैं?
- अपने अकाउंट पर बार-बार प्री अप्रूव्ड लोन की एन्क्वायरी कर रहे हैं?
सतर्क हो जाइए. क्योंकि इन हरकतों से आपका सिबिल स्कोर घटता है. बार-बार लोन या क्रेडिट कार्ड जैसी चीजों की एन्क्वायरी आपको 'credit-hungry' बनाती है. माने कर्जे के लिए लालायित रहने वाला प्राणी. सिबिल स्कोर देने वाली कंपनियां ऐसे लोगों का सिबिल स्कोर घटा देती हैं.
कार्ड बंद कराने वाला पाप मत करनाआपका सबसे पुराना लोन या क्रेडिट कार्ड जितना पुराना होगा आपके स्कोर के लिए उतना ही बेहतर होगा. ये दिखाता है कि आपने अपना बकाया पैसा जिम्मेदारी से और समय से चुकाया है. तभी आप उस लोन या उस क्रेडिट कार्ड के साथ बने हुए हैं. लेकिन आपने गलती से पुराना कार्ड बंद करा दिया तो आपका सिबिल स्कोर भी उसी के साथ चला जाएगा. मतलब ओवरऑल सिबिल स्कोर कम हो जाएगा.
जीरो फीस EMI के झांसे में मत आनाजैसे ही आप क्रेडिट कार्ड से कोई सामान खरीदेंगे. बैंक आपको धड़ाधड़ मैसेज, मेल करने लगेंगे ‘Convert your bill into monthly EMI’ माने चाहें तो बिल को ईएमआई में कन्वर्ट करवा सकते हैं. आपको लगेगा बैंक को आपकी कितनी परवाह है. आपको लगेगा कि आप पर एक बार में बोझ ना पड़े, इसके लिए ईएमआई का ऑप्शन दे रहे हैं. लेकिन ये सिर्फ एक जाल है.
भले ही बैंक खुद ये ऑप्शन दे रहे हैं, लेकिन आपको इस झांसे में नहीं आना है. दरअसल, ईएमआई में कन्वर्ट कराने वाले ग्राहकों को बैंक जिम्मेदार नहीं मानते. बैंकों को लगता है कि ये शख्स बड़ी रकम के खर्चे संभालने के काबिल नहीं है. ऑप्शन मिले तो भी फुल पेमेंट वाला ऑप्शन हीं चुनना है.
जरूरी डिटेल्स में गड़बड़ीइन तमाम सावधानियों के बाद भी कुछ ऐसी चीजें हैं जो आपका सिबिल स्कोर खराब करती हैं. वो है- पर्सनल डिटेल्स. कई लोगों के कार्ड्स में एक ही डिटेल अलग-अलग चढ़ी होती है. जैसे- एक कार्ड में अड्रेस कुछ और है, दूसरे में कुछ और. एक में नाम कुछ और छपा है, दूसरे में कुछ और. या फिर गलत फोन नंबर दे रखा है. इस तरह के डिटेल मिसमैच को मैनेज करने में बैंकों की फजीहत हो जाती है. लिहाजा सिबिल स्कोर कम हो जाता है.
दूसरे की भलाई करो पर पहले अपनीक्या आप भी यारी-दोस्ती, रिश्तेदारी में किसी के लोन पर को-गारंटर बने हैं या जॉइंट क्रेडिट कार्ड अकाउंट खुलवाया है? तो चेत जाइए. क्योंकि लोन लेने वाले ने गलती से या किसी भी अन्य कारण से कर्जा नहीं चुकाया या फिर क्रेडिट कार्ड के बिल पेमेंट में कोई लापरवाही की. इसका खामियाजा आपको भी भुगतना पड़ सकता है.
को-गारंटर या जॉइंट अकाउंट होल्डर बनने का मतलब है देनदारी में आप भी बराबर के जिम्मेदार हैं. ऐसे केसेज में भले आपने लोन ना लिया हो या कार्ड से पेमेंट नहीं की हो, लेकिन अगर दूसरे शख्स ने पेमेंट में लापरवाही की तो इसका असर आपके क्रेडिट स्कोर पर पड़ना तय है. इस तरह आप अच्छे खासे सिबिल स्कोर से हाथ धो बैठेंगे. तो कुल मिलाकर ये कुछ सावधानियां हैं जिन्हें बरत कर आप अपना सिबिल स्कोर खराब होने से बचा सकते हैं. और बिना डर के शो ऑफ करना जारी रख सकते हैं.
वीडियो: खर्चा पानी: क्रेडिट कार्ड को लेकर क्या बड़ी गड़बड़ी सामने आ रही है?