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UPI के जमाने में भी लोग खूब निकाल रहे कैश, 31 लाख करोड़ ATM से निकाले

2024-25 तक ATM से पैसे निकालने के मामले में 6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. इस दौरान लगभग 31 लाख करोड़ रुपये एटीएम से निकाले गए हैं. बावजूद इसके एटीएम मशीनों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ है. और तो और इनकी संख्या कम हो गई है.

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atm withdrawl increases by 6 percent in five years but atm machines not increasing
देश में एटीएम से लोग पैसे अधिक निकाल रहे हैं (PHOTO-X)
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मानस राज
18 जून 2025 (Updated: 18 जून 2025, 12:35 PM IST) कॉमेंट्स
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भारत में बीते 5 सालों से लोग एटीएम (ATM Withdrawal) से अधिक पैसे निकाल रहे हैं. यानी विड्रॉल बढ़ गया है. लेकिन इन्हीं सालों में एटीएम मशीनों की संख्या में गिरावट देखने को मिली है. ये पूरी जानकारी सामने आई है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) द्वारा जारी किए गए डेटा में. इस डेटा के मुताबिक बीते 5 सालों में देश में बैंकों की ब्रांच की संख्या भी बढ़ी है. 

दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में देश में 1 लाख, 30 हजार 176 बैंक शाखाएं थीं. 2024-25 तक इनकी संख्या में 9.3 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. इस वित्तीय वर्ष में देश में 1 लाख, 42 हजार 359 बैंक शाखाएं हैं. इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि एटीएम से पैसे निकालने के मामले में 6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. इस दौरान लगभग 31 लाख करोड़ रुपये एटीएम से निकाले गए हैं. बावजूद इसके एटीएम मशीनों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ है. और तो और इनकी संख्या कम हो गई है. वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2024-25 के बीच एटीएम मशीनों की संख्या में 5 हजार की गिरावट आई है. 

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रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 में सरकारी, प्राइवेट और विदेशी बैंकों के कुल एटीएम की संख्या 2 लाख 11 हजार 332 थी. आने वाले सालों में इनकी संख्या 2 लाख 16 हजार 626 पहुंची. लेकिन इसके बाद 2024-25 आते-आते ये संख्या फिर से घट कर 2 लाख 11 हजार 656 पर आ गई. इस पूरी रिपोर्ट से पता चलता है कि देश में कैश का सर्कुलेशन बढ़ा है, लेकिन कैश डिपॉजिट यानी जमा करने वाली मशीनों की संख्या घट रही है. रिजर्व बैंक के मुताबिक देश में डिजिटल पेमेंट का चलन बढ़ रहा है. लेकिन ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में एटीएम की डिमांड बनी हुई है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में एटीएम से 28.89 लाख करोड़ रुपये निकाले गए. वहीं 2024-25 के आंकड़ों को देखें तो ये रकम 30.60 लाख करोड़ पहुंच गई.

इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स कहते हैं कि एटीएम ऑपरेट करना बैंकों के लिए एक महंगा काम है. इसमें कैश मैनेजमेंट, कैसेट स्वैप और मेंटेनेंस का खर्चा वहन करना होता है. और अब देश में डिजिटल लेनदेन भी बढ़ रहा है. ऐसे में बैंक अब एटीएम ऑपरेट नहीं करना चाह रहे.

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