गेहूं के बाद कई देशों ने भारत की चाय को रिजेक्ट किया
चाय लौटाने वाले देशों का तर्क है कि भारत की चाय में पेस्टीसाइड्स और केमिकल की मात्रा तय सीमा से ज्यादा पाई गई है.

गेहूं के बाद विदेशों से भारत की चाय को लौटा दिया गया है. खबरों के मुताबिक, अप्रैल से मई 2022 के मध्य तक कई देशों ने चाय के कंसाइनमेंट को रिजेक्ट कर दिया गया है. चाय लौटाने वाले देशों का तर्क है कि भारत की चाय में पेस्टीसाइड्स और केमिकल की मात्रा तय सीमा से ज्यादा पाई गई है. भारतीय चाय को वापस करने वालों में कॉमनवेल्थ इंडिपेंडेंट नेशन यानी पूर्वी यूरोप से लेकर एशिया के कई देश शामिल हैं और इसमें ईरान भी है. टी बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि चाय की पैकिंग करने वाले और इसके नियार्तकों की तरफ से इस बारे में शिकायतें मिली हैं कि उनकी चाय की खेप को रिजेक्ट कर दिया गया है.
कीटनाशकों की मात्रा ज्यादा मिलने का आरोपइस बारे में भारतीय चाय निर्यातक संघ यानी ITEA के चेयरमैन अंशुमान कनोरिया ने PTI से बातचीत में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय खरीदारों ने कीटनाशकों और रसायनों की स्वीकार्य सीमा से अधिक होने के कारण भारतीय चाय के कंसाइनमेंट्स को रिजेक्ट कर दिया है. कनोरिया का कहना है कि अब कई देश चाय की गुणवत्ता को लेकर काफी सख्त नियमों का पालन कर रहे हैं. ज्यादातर देश यूरोपियन यूनियन के मानकों का सख्ती से पालन करने लगे हैं जोकि भारतीय खाद्य एवं सुरक्षा मानक प्राधिकरण यानी FSSAI ,के नियमों से अधिक सख्त हैं. आपको बता दें कि हाल ही में तुर्की ने भारत से भेजा गया 56 हजार टन से ज्यादा गेहूं वापस भेज दिया था. तुर्की सरकार का कहना था कि भारत से भेजे गेहूं में रुबेला वायरस मिला है. ऐसे में स्टेकहोल्डर का कहना है कि कुछ देश भारतीय खाद्य उत्पादों के साथ सौतेला बर्ताव कर रहे हैं.
चाय उत्पादन में भारत दूसरे नंबर पर हैभारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश है. देश में पैदा होने वाली करीब 90 परसेंट चाय की खपत देश में ही हो जाती है. इसका अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि वित्त वर्ष 2021 में करीब 100 करोड़ किलोग्राम से ज्यादा चाय देशवासियों ने ही पी ली जबकि 2021 में भारत ने करीब 20 करोड़ किलो चाय का निर्यात किया था. रुपये के लिहाज से देंखे तो पिछले साल भारत ने करीब 5 हजार 250 करोड़ रुपये की चाय विदेशों में भेजी थी. वहीं, टी बोर्ड ने इस साल 30 करोड़ किलो चाय एक्सपोर्ट का लक्ष्य रखा है. रूस, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और चीन भारतीय चाय के प्रमुख खरीदार हैं. इन देशों में भारत की शानदार असम, दार्जिलिंग और नीलगिरी जैसे फ्लेवर वाली चाय की खूब डिमांड रहती है. हालांकि, इतनी शानदार महक वाली भारतीय चाय विदेशों में पूरी क्षमता से नहीं टिक पा रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि चाय उत्पादन में दूसरे नंबर पर होने के बावजूद केन्या, चीन और श्रीलंका का झंडा कायम है. फिलहाल भारत चाय का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है. भारतीय चाय उद्योग के पास अपने कारोबार को बढ़ाने का बड़ा मौका था, लेकिन मौजूदा संकट ने भारतीय चाय उद्योग की साख पर बट्टा लगा दिया है.
सरकार से दखल देने की मांगदूसरी तरफ चाय बागान मालिकों का कहना है कि चाय में रसायनों के अधिकतम अवशेष स्तर (MRL) को मौजूदा स्तर पर बनाए रखा जाना चाहिए और कुछ मामलों में इसे बढ़ाया जाना चाहिए तभी भारतीय चाय की खुशबू विदेशों में अपना जलवा बिखेर सकती है. उनका कहना है कि जलवायु परिवर्तन में बदलाव के चलते चाय का उत्पादन साइकिल काफी आगे-पीछे हो गया है ऐसे में चाय में पेस्टीसाइड का चलन बढ़ा है. हालांकि इस तस्वीर का दूसरा पहलू भी है. अंशुमान कनोरिया ने ये भी कहा है कि नियम कायदों का पालन करने की जगह, भारतीय निर्यातक सरकार से FSSAI मानकों को और उदार करने की मांग कर रहे हैं, इससे गलत मैसेज जाएगा क्योंकि हम यहाँ ऐसे पदार्थ की बात कर रहे हैं, जिसे पिया जाता है. यानी बात वैश्विक पटल पर ही नहीं, अपने यहाँ के माल को सुधारने की भी है.
वीडियो: कई देशों ने भारत की चाय को रिजेक्ट किया, गेहू्ं में बंपर तेजी
खर्चा-पानी: कई देशों ने भारत की चाय को रिजेक्ट किया, गेहूं में बंपर तेजी ?