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गाड़ी का हॉर्न बजाने पर सुनाई देगी बांसुरी की धुन, गडकरी दिलाएंगे बेसुरे 'पों-पों' से मुक्ति

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने सोमवार को कहा कि वह एक ऐसा कानून बनाने पर विचार कर रहे हैं, जिसके तहत वाहनों के हॉर्न में केवल भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों की ध्वनि का ही इस्तेमाल किया जा सकेगा.

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Nitin Gadkari announced on Monday that he is considering introducing a law mandating the use of Indian musical instrument sounds as vehicle horns.
नितिन गडकरी हॉर्न बदलने वाले हैं
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सूर्यकांत मिश्रा
22 अप्रैल 2025 (Published: 03:12 PM IST) कॉमेंट्स
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कार से लेकर बस तक और सकूटर से लेकर बाइक तक. सालों से इनकी डिजाइन में, परफ़ॉर्मेंस में कितने ही बदलाव हो गए. इंजन बदले, टायर बदले. सीटें भी बदल गईं. मगर मुआ हॉर्न वैसा का वैसा ही है. पहले भी पों-पों करता था और आज भी पों-पों करता है. चीची भईया केंदि पों-पों कर दिए मगर कोई बदलाव हुआ नहीं. मगर अब लगता है कि इसमें बहुत बड़ा बदलाव होने वाला है. जल्द ही हॉर्न के पों-पों की जगह भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों की ध्वनि सुनाई दे सकती है. बांसुरी, तबला, वायलिन, हारमोनियम की आवाज हॉर्न से सुनाई दे सकती है.

दरअसल केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने सोमवार को कहा कि वह एक ऐसा कानून बनाने पर विचार कर रहे हैं, जिसके तहत वाहनों के हॉर्न में केवल भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों की ध्वनि का ही इस्तेमाल किया जा सकेगा.

गडकरी ने कहा कि वो एक ऐसा कानून लाने की बात कर रहे हैं, जिसके तहत हॉर्न की आवाज को और ज्यादा सुखद बनाया जा सके. उन्होंने कहा कि वो कार के हॉर्न को और भी ज्यादा मधुर बनाने के लिए एक कानून ला सकते हैं. मतलब ट्रैफिक में फंसे होने पर या सड़क पर अपनी लेन में होने के बाद भी जो कर्कश हॉर्न की आवाज सुनाई देती है, उससे पीछा छूट सकता है.

Nitin Gadkari planing law to use Indian musical instruments sound as vehicle horns
सांकेतिक इमेज 

भारत जैसे देश में जहां गाड़ी का हॉर्न बजाना जरूरत नहीं बल्कि आदत बन चुका है. जहां गाड़ी चालू है या नहीं, उसका पता हॉर्न बजाकर किया जाता है, वहां ऐसा बदलाव सुखद होगा. साउंड पॉल्यूशन से थोड़ी मुक्ति मिलेगी. वैसे ऐसा होगा कैसे वो बड़ा सवाल है. मतलब कार कंपनियां इस बदलाव के लिए तैयार होंगी क्या? चलो मान भी गईं तो बाहर से आने वाली कारों का क्या? नई तो ठीक, पुरानी कारों का क्या?

कई सवाल हैं, इस हॉर्न में, मगर मिर्जा गालिब कहते हैं, हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन, दिल को बहलाने के लिए “ग़ालिब” ख्याल अच्छा है.

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