जुलाई में मिली राहत, लेकिन 1 नवंबर से हटेंगी पुरानी गाड़ियां, जानें किसे मिलेगा फ्यूल और किसे नहीं
No fuel for old vehicles: 1 जुलाई से दिल्ली में पुरानी गाड़ियों को फ्यूल न देने का नियम आगे खिसक गया है. अब 1 नवंबर से दिल्ली और एनसीआर यानी नेशनल कैपिटल रेंज के 5 जिलों में भी पुरानी गाड़ियों को फ्यूल नहीं दिया जाएगा.

1 जुलाई से दिल्ली में 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने का नियम लागू हुआ था. लेकिन बढ़ते विरोध के बाद दिल्ली सरकार ने इस फैसले को वापस ले लिया. इसके बाद पुरानी पेट्रोल और डीजल गाड़ियां फिर से सड़कों पर आराम से घूमने लगी. लेकिन अब वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने इस नियम को आगे खिसका दिया है. यानी अब 1 नवंबर 2025 से ये नियम दिल्ली में तो लागू होगा ही साथ ही NCR के 5 जिलों में इसे अमल में लाया जाएगा. (No fuel for old vehicles
दरअसल, 1 जुलाई से उम्र पूरी कर चुके वाहनों (End of Life) को ‘ईंधन नहीं’ देने के नियम का काफी विरोध हुआ था. आम जनता से लेकर विपक्षी पार्टियां तक इस नियम को वापस लेने के लिए कह रही थीं. सरकार इस नियम को CAQM के आदेश पर लागू कर रही थी. आयोग ने ये आदेश दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए दिया था. लेकिन बढ़ते विरोध के बाद दिल्ली सरकार ने CAQM को अपने फैसले की समीक्षा करने के लिए कहा. इसके बाद 8 जुलाई को CAQM की बैठक हुई. इसमें आयोग ने फैसला लिया कि 1 नवंबर से दिल्ली और एनसीआर के 5 जिलों में एक साथ End of Life (EOI) वाला नियम लागू किया जाएगा.

नेशनल कैपिटल रेंज वाले जिन 5 जिलों में ये नियम लागू हुआ है, उनका नाम हैं- नोएडा, गाजियाबाद, सोनीपत, फरीदाबाद और गुरुग्राम. अब अगर आप सोच रहे हैं कि सरकार को पुरानी गाड़ियों का पता कैसा लगेगा? तो ये खबर पढ़ लीजिए.
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वहीं, जनता या विपक्षी पार्टियां ही नहीं, बल्कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भी इस फैसला पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को लेटर लिखकर कहा था,
"यह फैसला सामाजिक और आर्थिक नजरिए से सही नहीं है. मिडिल क्लास व्यक्ति अपनी जिंदगी भर की कमाई से गाड़ी खरीदता है. ऐसे व्हीकल्स को एकदम से 'अमान्य' घोषित करना व्यावहारिक नहीं है. यह आदेश स्थगित किया जाना चाहिए."
नियम के भारी विरोध के बाद दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी CAQM को पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने इस प्लान को नवंबर तक बढ़ाने और दूसरे शहरों में भी इसे लागू करने की बात लिखी थी. इससे पहले उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी इस टॉपिक पर बात करते हुए कहा था,
“सरकार नहीं चाहती कि उन लोगों को सजा मिले जो अपनी पुरानी गाड़ियों की देखभाल करते हैं.”
बाकी सरकार को पुरानी गाड़ियों को 'कबाड़' कहने का फॉर्मूला मिला कहां से? यानी सरकार ने कैसे मान लिया कि जो गाड़ियां 10 या 15 साल पुरानी है, वो पर्यावरण के लिए ठीक नहीं? ये जानने के लिए ये खबर पढ़ लीजिए.

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कई लोगों ने बेच दी थी अपनी गाड़ियांवहीं, जब 1 जुलाई से 'नो फ्यूल फोर ओल्ड व्हीकल' नियम लागू करने की बात आई, तो कई लोगों ने अपनी गाड़ियां बेचनी शुरू कर दी. जिन राज्यों में ये नियम लागू नहीं है, लोग वहां गाड़ी बेचने लगे. बाकी कई लोगों ने अपनी गाडी घर में ही खड़ी रखी. खैर, नियम में बदलाव तो हुआ नहीं, ये बस आगे खिसक ही गया है. आज नहीं तो कल पुरानी गाड़ियों पर खतरे की सुई फिर से चलने लगेगी. ऐसे में आप अपनी गाड़ी को घर रखने के बजाय इसे स्क्रैप करा सकते हैं. गाड़ी स्क्रैप कराने के आपको पैसे भी मिलेंगे. लेकिन वो कैसे? ये जानकारी आपको इस खबर में मिलेगी.
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