आजकल ऐप ही ऐप उपलब्ध हैं… देखने में अलग-अलग हैं. इनका काम भी अलग-अलग है. मतलब कोई शॉपिंग ऐप है तो कोई होटल बुकिंग. कोई कैब सर्विस देता है तो कोई कपड़ों का अड्डा है. लेकिन फिर भी इन सारे ऐप्स में एक बात कॉमन है. सारे ऐप्स के अंदर एक वालेट जरूर उपलब्ध होता है. कितनी बढ़िया सर्विस है ना. ऐप के अंदर ही पैसा रखो, वहीं से लेनदेन करो, मस्त ऑफर्स का मजा लो और अगर कोई ऑर्डर कैंसिल हुआ तो तुरंत पैसा भी वापस पाओ. मौजा ही मौजा. अगर आप भी यही सोचकर ऐसे वालेट्स में साइन इन कर रहे हैं तो-
'शॉपिंग-शूपिंग' वाले ऐप्स के वालेट लगा रहे हैं लंबी चुंगी, आपको समझ ही नहीं आ रहा!
हर ऐप के वालेट में साइन इन करके आप शायद इन ऐप्स के जाल में फंस रहे हैं. देखने में भले ये वालेट एक फीचर पैक प्रोडक्ट लगे लेकिन असल में ये घाटे का सौदा है.
आप शायद इन ऐप्स के जाल में फंस रहे हैं. देखने में भले ये वालेट एक फीचर पैक प्रोडक्ट लगें लेकिन असल में ये घाटे का सौदा है. ऑफर्स और तुरंत रिटर्न के बहुत छोटे से लालच में आप इन कंपनियों का फोकट में खूब भला करवा रहे. हम आपको पूरा सिस्टम समझा देते हैं फिर आगे आपकी मर्जी.
वालेट+वालेट+वालेटडिजिटल पेमेंट्स में आज देश कहां पहुंच चुका है वो बताने की जरूरत नहीं. मोहल्ले की कोने वाली छोटी सी दुकान से लेकर मॉल के बड़े शोरूम तक क्यूआर कोड और UPI पेमेंट सर्विस उपलब्ध है. इसके लिए पहले से ही कई सरकारी और निजी संस्थानों के वालेट और पेमेंट गेटवे भी उपलब्ध हैं तो फिर हर ऐप के लिए एक और वालेट का क्या मतलब. वो भी ऐसा वालेट जो आमतौर पर उसी ऐप के अंदर काम करता है. उस वालेट से पैसा आपके अकाउंट में ट्रांसफर नहीं होता. वहीं पड़ा सड़ता रहता है. इसके साथ दो और पॉइंट हैं जिनके ऊपर हमारा ध्यान नहीं जाता.
आपने एक ऐप पर लॉगिन किया. वहां से आपने कुछ खरीदा या कोई बुकिंग की. पेमेंट के टाइम आपकी स्क्रीन पर पॉप अप फूटा. हमारे वालेट से पेमेंट कीजिए. कुछ फायदा और होगा या कैश बैक मिलेगा. आप फंस गए और वालेट बनाकर पेमेंट कर दिया. एक्स्ट्रा डिस्काउंट भी मिला और कैश बैक भी मगर उसी वालेट में. अब वो पैसा वहीं है. आपको लगेगा कि कुछ सौ रुपये ही तो हैं मगर जब आप उस ऐप के लाखों-करोड़ों डाउनलोड से गुणा करेंगे तो पूरा गणित समझ आएगा. बहुत सारा पैसा बहुत सारे अकाउंट में. करोड़ों रुपये बस यूं ही पड़ा रहता है. ऐप किसका, वालेट किसका तो ब्याज किसे मिलेगा!
ये भी पढ़ें: Amazon पर हर माल 600 रुपये, नए Bazaar स्टोर में क्या-क्या खास है?
# मजबूरी में खरीदारीआपका पैसा, कूपन का पैसा, कैश बैक पड़ा है वालेट में. उसको अपने बैंक अकाउंट में तो ट्रांसफर कर नहीं सकते तो फिर मजबूरी में आप कुछ नई खरीदारी करेंगे. नहीं करेंगे तो आपको कुछ और लालच देकर ऐप पर बुला ही लिया जाएगा. इसे कहते हैं Impulse Buying. क्योंकि आपके वालेट में पैसा पड़ा है तो आप बिना वजह एक और हॉलिडे प्लान करेंगे या फिर बाथरूम के लिए टीवी खरीदेंगे.
इसके अलावा आप उस ऐप के परमानेंट कस्टमर बने रहते हैं सो अलग. भले आप साल भर में उस ऐप को सिर्फ एक बार ही इस्तेमाल क्यों ना करें.
सोचकर देखिए, क्या वाकई में ऐसे बटुए की आपको जरूरत है जो आपके असली बटुए को हमेशा खाली रखेगा. नहीं है, इसलिए नॉर्मल पेमेंट गेटवे जैसे कार्ड्स या UPI का इस्तेमाल कीजिए.
बड़े फायदे के लिए छोटा नुकसान अच्छी बात है.
वीडियो: बैठकी: अमेजन सेल में सस्ता सामान कैसे देता है? ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल की पूरी इनसाइड स्टोरी