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स्मार्टफोन यूजर्स के किसी काम की नहीं IP69 रेटिंग, फोन कंपनियां वारंटी में भी भाव नहीं देतीं

स्मार्टफोन में IP Ratings बढ़ जरूर रही है मगर इसका रत्ती भर भी फायदा यूजर्स को नहीं मिल रहा. डिवाइस की रेटिंग IP67, 68 से IP69 हो रही मगर वो पानी में अभी भी खराब होते हैं. हां कंपनियां ये वाला झुनझुना पकड़कर पैसे जरूर ज्यादा ले रही हैं. माजरा समझने के लिए पानी में कूदते हैं.

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स्मार्टफोन कंपनियों का नया झुनझुना

स्मार्टफोन से लेकर तकनीक की दुनिया में हर अगला नंबर इस बात की तसदीक होता है कि तकनीक उन्नत हो रही है. कहीं से भी उदाहरण उठा लीजिए. मसलन चिपसेट के आगे अगर 8 Gen 4 लिख गया तो मतलब वो जनरेशन 3 से ताकतवर होगी. बैटरी के आगे अगर 6000mAh लिख गया तो 5000mAh से ज्यादा बैकअप देगी. 8 की जगह 12 जीबी रैम है तो मतलब भतेरे ऐप्स एक साथ खोलने पर कोई दिक्कत नहीं आएगी. ऐसा ही एक नंबर IP रेटिंग के आगे लग गया है. 67, 68 पीछे रह गया और अब IP69 का जमाना है.

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मगर यहां मामला एकदम उल्टा है. आईपी रेटिंग (IP Ratings) बढ़ जरूर रही है मगर इसका रत्ती भर भी फायदा यूजर्स को नहीं मिल रहा. डिवाइस अभी भी पानी में खराब होते हैं. मगर कंपनियां ये वाला झुनझुना पकड़कर पैसे जरूर ज्यादा ले रही हैं. माजरा समझने के लिए पानी में कूदते हैं.

क्या है IP रेटिंग

IP रेटिंग चार अंकों का एक शब्द होता है, जैसे कि IP67 या IP68 आपने आमतौर पर देखा होगा. पहले दो शब्द आईपी का मतलब है इन्ग्रेस प्रोटेक्शन (Ingress Protection) जिसका अर्थ है कि बाहर से किसी चीज के अंदर आने पर कितनी सुरक्षा मिलेगी. तीसरे और चौथे अंक नंबर हैं, जैसे कि 67 और 68 जो क्रमशः धूल और पानी से बचाव के लिए होते हैं. धूल के लिए 6 इस्तेमाल होता है जो अधिकतम रेटिंग है. छोटे रेत कणों या बारीक धूल से बचाने के लिए. आखिरी अंक 7 या 8 पानी से बचाव की रेटिंग को बताता है और ये भी अधिकतम 8 होता है. कुल मिलाकर यदि आपका स्मार्टफोन IP68 रेटिंग वाला है तो धूल और पानी से अधिकतम बचाव मिल सकता है. IP रेटिंग क्या है...इस पर बात हो गई. अब जानिए कि वास्तव में ये काम कैसे करता है. आईपी रेटिंग, दरअसल एक आइडियल कंडीशन के लिए मान्य होती है जैसे कि साफ पानी में और एक तय समय के लिए. यदि स्मार्टफोन IP68 रेटिंग का है तो साफ पानी में 1.5 मीटर गहराई तक और 30 मिनट के लिए वाटर रेसिस्टेंट है या फिर IP67 है तो 1 मीटर तक. International Electrotechnical Commission (IEC) इस रेटिंग को जारी करता है.

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IP रेटिंग (तस्वीर साभार: Clarion)
IP69 तो सुरक्षा कवच होगा

आजकल स्मार्टफोन कंपनियों का नया शगल है IP69. इसके मायने हैं कि डिवाइस हाई प्रेशर वाले जेट से लेकर स्टीम से भी सेफ रहेगा. कठिन से कठिन कंडीशन में डिवाइस को कछु नहीं होगा. इस रेटिंग के हिसाब से विज्ञापन तैयार किए जाते हैं. पानी की तेज धार में डिवाइस को तैरते दिखाया जाता है. मगर मगर मगर इत्ती बड्डी रेटिंग होने एक बाद प्रोडक्ट वारंटी में इसको कवर नहीं किया जाता. यहां किसी एक कंपनी की बात नहीं क्योंकि हमाम में सब नंगे हैं. कोई भी कंपनी आईपी रेटिंग पर वारंटी नहीं देती. जो आपका डिवाइस नमी से, पानी से, धूल-धक्कड़ से खराब हुआ तो उसमें वारंटी कवर नहीं मिलेगा. एप्पल ने तो सिम के पास इसका सेंसर भी लगा रखा है. मतलब भले आपका फोन चल रहा लेकिन जो कभी उसमें पानी गया था तो सेंसर ने लाल हो जाना है. वारंटी फुर्र.

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एक कंपनी ने तो और कमाल काम किया. अपने डिवाइस की आईपी रेटिंग दिखाई मगर उसका सर्टिफिकेट नहीं दिखाया. पूछने पर कहा हमने अपनी लैब में टेस्ट किया है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस रेटिंग को लेना कोई सस्ता सौदा नहीं. काफी पीसे लगते हैं. एक और कंपनी ने भी खूब गाजे-बाजे के साथ प्रोटेक्शन रेटिंग का ढिंढोरा पीटा मगर जब फोन पानी के छींटों से ही खराब हो गया तो दांत निपोर लिए. मतलब कि क्योंकि ये तो पहले से साफ है कि रेटिंग वारंटी में कवर नहीं होगी. हां हम आपकी पॉकेट जरूर गीली करते रहेंगे.

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मतलब साफ है कि कंपनियां डिवाइस का प्रोटेक्शन स्टेंडर्ड सिर्फ अपने स्टेंडर्ड मतलब कीमत को बढ़ाने के लिए ऊपर कर रहीं. यूजर के तौर पर सारी सावधानी आपके माथे.  इसलिए ऐसी किसी रेटिंग के भरोसे नदी में कूदी मारने से पहले सोच लेना. ज्यादा नंबर होने से आप क्लास में टॉप तो कर सकते यहीं मगर असल जीवन में शायद नहीं. 

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