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इंडिया में आ गई है रोबोट एंकर, पता है पहली खबर में PM मोदी पर क्या कहा?

इंडिया टुडे ग्रुप ने बॉट एंकर को लॉन्च किया है.

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इंडिया टुडे ग्रुप ने लॉन्च की बॉट एंकर. (तस्वीर: इंडिया टुडे)

इंडिया टुडे और आज तक में एक नई एंकर आ गई हैं. आपको लगेगा कि इसमें क्या नया है! ये तो बहुत सामान्य बात है क्योंकि ऐसा तो होता ही रहता है. हालांकि, इस बार मामला वैसा नहीं है. कैसे? इसके लिए हम इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी ने जो कहा वो आपको बताते हैं. उन्होंने कहा,

हमारी पहली बॉट एंकर ब्राइट हैं, गॉर्जस हैं , उम्र का उनपर कोई असर नहीं होता और थकान का उनसे कोई लेना-देना नहीं. वो बहुत सारी भाषाओं में बात भी कर सकती हैं.”

दरअसल इंडिया टुडे ने देश की पहली  (A.I.) बेस्ड एंकर को पेश किया है. इनका नाम है सना (SANA). ये हुआ कैसे, क्या है इसका राज़. ये जानने से पहले एक बार सना को सुनिए.

सना आपके सवालों के जवाब भी देंगी. वो भी आसान भाषा में और बहुत जल्दी ही आपको स्क्रीन पर नजर आएंगी. लेकिन ये सब होगा कैसे? जवाब है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का ‘टेक्स्ट टू स्पीच’ फीचर.

क्या है ‘टेक्स्ट टू स्पीच’? 

वैसे तो टेक्स्ट को स्पीच में बदलना कोई नई बात नहीं है. हमारे स्मार्टफोन में मौजूद असिस्टेंट जैसे गूगल भी ऐसा कर सकता है. लेकिन वो सिर्फ स्क्रिप्ट तक सीमित था. इसमें असल बदलाव आया नवंबर 2018 में, जब चीन ने दुनिया के सामने पहला AI न्यूज एंकर पेश किया. चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी ‘Xinhua’ ने चाइना वर्ल्ड इंटरनेट कॉन्फ्रेंस में उनके असल न्यूज एंकर Zhang Zhow के नाम से बॉट एंकर को दुनिया को दिखाया.

हालांकि, तब इसको कोई खास तवज्जो नहीं मिली. लेकिन अब तो साल 2023 चल रहा है. दुनिया खूब बदल चुकी है और ChatGPT-4 कुछ दिनों पहले हमारे सामने आ चुका है. आते ही इसने जो रौला जमाया वो बताने की जरूरत नहीं. कोई इसको अपनी कंपनी के सॉफ्टवेयर से साथ जोड़ रहा तो किसी ने इसको ही अपनी कंपनी का CEO बना दिया है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भले 1960 के दशक से अस्तित्व में है, लेकिन पिछले कुछ महीनों से हर कोई इसमें दिलचस्पी ले रहा है. ऐसे में मीडिया इंडस्ट्री कैसे पीछे रहेगी.

ये काम कैसे करता है?

‘टेक्स्ट टू स्पीच टू वीडियो’. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ मशीन लर्निंग का कमाल. बस इसमें मशीन के चेहरे को एक रोबोट की जगह इंसानी तरीके से दिखाया जाता है. कहने का मतलब humanoid robot का इंसानी संस्करण. आवाज के लिए भी ‘speech recognition’ तकनीक का इस्तेमाल होता है. कहने का मतलब बहुत सारी इंसानी भाषाओं का नमूना लेकर AI को दिया जाता है और जो सबसे नजदीक से मैच होती है उसका इस्तेमाल होता है. अगर आपने कभी अपने स्मार्टफोन में गूगल या सीरी को या फिर अलेक्सा को पहली बार कमांड दी होगी, तो उसने आपकी आवाज के नमूने लिए होंगे.

हालांकि, इसके लिए कई सारे सॉफ्टवेयर बाजार में मौजूद हैं लेकिन हमने समझने के लिए Anchor AI का उदाहरण लिया है. वेबसाइट जूम मीटिंग से लेकर खबर पढ़ने के लिए AI एंकर बनाती है. आपकी जरूरत के हिसाब से ये मीटिंग अटेंड कर सकता है और खबरें भी पढ़ सकता है. आपके मन में सवाल होगा कि ये सब खुद ही कर लेता है क्या? अभी तो नहीं, क्योंकि इसके लिए जरूरी है इनपुट. इनपुट मतलब जो जानकारी किसी AI चैट बॉट को दी जाती है.

मसलन, आपको कमांड तो देना पड़ेगा, उसके बाद ये चैट बॉट अपने डेटा से लेकर इंटरनेट की दुनिया से पूरी जानकारी को कलेक्ट करके आपके सामने लाता है. आप जितना ज्यादा इनपुट देंगे ये उतना डिटेल में आपके लिए आउटपुट निकालेगा. इसकी सबसे अच्छी बात है कि ये बहुत जल्द आपके व्यवहार को समझ लेता है और फिर रिजल्ट बेहतर होते जाते हैं. इसके पीछे कोई बड़ा विज्ञान नहीं है. हम इंसान हैं और आमतौर पर हमारी आदतें तय होती हैं. जैसे सुबह उठकर गुसलखाने जाना और उसके बाद ब्रेकफ़ास्ट करना.

AI टूल कोई सा भी हो, उसका बेसिक एक ही है. इंसानी आदतों को समझना. वो दिन दूर नहीं जब शायद हमको AI की शक्ल में इंसान का हमशक्ल भी मिल जाए.

ये तो हो गई तकनीक. अब आप बताइये, इस AI एंकर में आप लल्लनटॉप की क्या खूबियां चाहते हैं. लल्लनटॉप एंकर्स की कौन सी खासियत चाहते हैं. 

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