एक सुबह आप सोकर उठें और आपको पता चले कि आपकी 40 करोड़ की कंपनी गायब हो गई है. मतलब, कोई दुकान या फैक्ट्री में आग नहीं लगी बल्कि एक झटके में ऑनलाइन कंपनी का नामो-निशान मिट गया. जाहिर सी बात है, आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी. ऐसा ही कुछ हुआ मध्य प्रदेश और हरियाणा के तीन लड़कों के साथ. लेकिन यहां लड़के घबराए नहीं, बल्कि अगले दो साल में 300 करोड़ का ऐप बना डाला. कहानी है शार्क टैंक इंडिया सीज़न 2 (shark tank india season 2) में आए लड़कों और उनके बनाए ऐप की.
तीन लड़कों की 40 करोड़ की कंपनी को फेसबुक ने बंद किया था, शार्क टैंक में जबर फंडिंग मिल गई!
ये कंपनी बहुत बढ़िया चल रही थी, अचानक से फेसबुक ने इसे बंद कर दिया था.

अगर आपका वास्ता फेसबुक से रहा है, तो शायद आपको एक कंपनी का नाम याद होगा. फेसबुक से इसलिए क्योंकि हम जिस कंपनी का नाम बताने जा रहे वो सिर्फ फेसबुक पर ही निर्भर थी. कंपनी का नाम था WittyFeed. साल 2014 में इस कंपनी को इंदौर के पास के एक टाउन के रहने वाले शशांक और हरियाणा के भिवानी से दो भाइयों प्रवीण और विनय ने मिलकर स्टार्ट किया था.
WittyFeed वायरल कॉन्टेन्ट बनाती थी और इस फील्ड में एक समय पर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी थी. कंपनी का सालाना टर्न ओवर था 40 करोड़ रुपये. महीने का यूजर बेस 120 मिलियन मतलब 12 करोड़. इंदौर शहर से डेवलप हुई इस कंपनी को नवंबर 2018 में फेसबुक ने बंद कर दिया. अब आपको समझ आया होगा कि क्यों हम हर जगह थी और था लिख रहा थे.
कंपनी के मालिकों के मुताबिक, फेसबुक ने कंपनी को बिना कुछ कारण बताए अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिया था. उनके मुताबिक, फेसबुक को शायद इस बात से दिक्कत हुई कि इंडिया की एक कंपनी इंडिया में रहकर उनके यूजर्स को अपने कॉन्टेन्ट से प्रभावित कर रही थी. WittyFeed फाउंडर्स के मुताबिक, उनके ट्रैफिक का 50 प्रतिशत अमेरिका से आता था. करीब 6 करोड़ यूजर्स.
आसान भाषा में कहें तो हर तीसरा अमेरिकी यूजर महीने में एक बार WittyFedd वेबसाइट विज़िट करता था. फेसबुक को शायद ये नागवार गुजरा और एक दिन कंपनी बंद. वैसे शार्क टैंक में बात करते हुए WittyFeed के मालिकों ने Cambridge Analytica वाले कांड को एक महत्वपूर्ण कारण बताया. 2018 में डेटा चोरी वाले इस कांड ने अमेरिका में भूचाल ला दिया था.
खैर, जो होना था सो हुआ लेकिन लड़कों ने हार नहीं मानी. अपनी टीम के 90 सदस्यों से सबकुछ साझा किया और उनकी उम्मीद से भी ज्यादा 54 लोगों ने अपने पैस नई कंपनी में लगाए. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये वो लोग थे, जो सिर्फ 30 से 50 हजार रुपये महीने का कमाते थे. उन्होंने सिर्फ 25 प्रतिशत सैलरी में काम करना पसंद किया. सारी मेहनत मशक्कत के बाद जन्म हुआ Stage का.
Stage, अगर उनके फाउंडर्स के मुताबिक कहें तो देशी भाषाओं का NetFlex. दरअसल Stage राजस्थानी और हरियाणवी भाषा का ऐप है, जो फिल्म से लेकर वेब सीरीज बनाता है. आपको लगेगा इसमें ऐसा क्या है? इसकी खास बात है? इसका सब्सक्रिप्शन बेस्ड मॉडल. कुछ भी फ्री नहीं है और साल के लगते हैं 400 रुपये. आज की तारीख में Stage के एक लाख से ऊपर सब्सक्राइबर हैं.
अब बात करें शार्क टैंक इंडिया की, तो भैया इनको मिली फंडिंग वो भी तीन जजों से. डेढ़ करोड़ .6 प्रतिशत की इक्विटी पर और डेढ़ करोड़ का लोन. अमन, नमिता और पीयूष ने मिलकर Stage में इन्वेस्ट किया है. कंपनी की वैल्यू है 250 करोड़ रुपये.
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