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BCCI एक ही गलती बार-बार दोहराकर बर्बाद कर रही है वर्ल्ड कप?

ये वर्कलोड मैनेजमेंट ही वर्ल्ड कप हरवा रहा है!

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टीम इंडिया (फोटो - Getty)

ODI World Cup 2023 शुरू होने में क़रीबन नौ महीने का समय है. इंडियन मैनेजमेंट की मानें तो उन्होंने इस मेगा इवेंट के लिए तैयारियां भी शुरू कर दी है. बीते साल बांग्लादेश दौरे से ही ये तैयारियां शुरू हो गई थीं. टीम के सीनियर खिलाड़ियों का पूरा फोकस वनडे सीरीज़ पर रखा जा रहा है.

इसी चक्कर में अभी श्रीलंका के साथ हो रही T20I सीरीज़ में सभी युवा खिलाड़ियों को उतार दिया गया है. और सीनियर खिलाड़ियों का वर्कलोड मैनेज करते हुए, उनको सिर्फ वनडे सीरीज़ के लिए बचाकर रखा गया है. लेकिन इसमें भी एक झोल है. और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने इसकी ओर सबका ध्यान खींचा है. और आज सिली पॉइंट में हम इसी की चर्चा करेंगे.

और चर्चा की शुरुआत गौतम गंभीर के बयान से ही कर लेते हैं. स्टार स्पोर्ट्स से बात करते हुए गौतम बोले,

‘उनको साथ खेलना होगा. मुझे लगता है कि जो सबसे बड़ी गलती इंडियन क्रिकेट ने बीते दो वर्ल्ड कप में की है, वो ये है कि इन लड़कों ने साथ में इतना ज्यादा क्रिकेट नहीं खेला. मुझे बताओ कितनी बार हमको ग्राउंड में बेस्ट प्लेइंग इलेवन मिली है? हमने नहीं देखी, सिर्फ वर्ल्ड कप में हमने बेस्ट प्लेइंग इलेवन खिलाई.

लेकिन दुर्भाग्य से वो बेस्ट प्लेइंग इलेवन थी ही नहीं. इसलिए, 50 ओवर वर्ल्ड कप को ध्यान में रखते हुए इन लड़कों को साथ में पर्याप्त सफेद गेंद वाली क्रिकेट खेलनी होगी. भले ही इसके लिए उनको T20I और IPL से ब्रेक लेना पड़े.’

इसके साथ गौतम गंभीर ने वर्ल्ड कप और IPL पर भी खूब सारी बातें की. लेकिन हम उन सबमें नहीं पड़ेंगे. क्योंकि सबके अपने फैसले, अपनी जरूरतें होती है. लेकिन हमको गौतम गंभीर की ऊपर वाली लाइन ने पिंच कर दिया.

क्योंकि बीते साल जब वनडे और T20I की टीम्स बनती थी, तो मैनेजमेंट ने अक्सर टीम के सीनियर खिलाड़ियों को सिर्फ T20 फॉर्मेट वाली टीम में रखा था. आगे के वर्ल्ड कप का सोचते हुए. तो ऐसे में कैसे इस टीम का कोर साथ नहीं खेला? अब इसका जवाब ऐसा है कि मैनेजमेंट ने विराट को उनकी फॉर्म वापस लौटाने, सूर्या को टीम से बाहर ना रखने की सोच पर चलते हुए तो खिला लिया.

लेकिन ऊपर-नीचे दबा के बदलाव किए. जैसे कि अपने ओपनिंग ऑर्डर ने सिर्फ एशिया कप से बाहर होने के बाद साथ खेलना शुरू किया. एशिया कप से जल्दी लौटने के बाद टीम को याद आया कि रोहित और राहुल को साथ में तालमेल बैठाने की जरूरत होगी.

एशिया कप के बाद इन दोनों ने सिर्फ ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के खिलाफ़ साथ में ओपनिंग की. और फिर T20 वर्ल्ड कप आ गया. इस टूर्नामेंट में टीम इंडिया की ओपनिंग कैसी थी ये आप सबको याद ही होगा. मैनेजमेंट या प्लेइंग इलेवन का चुनाव करने वालों के सामने सिर्फ एक यही समस्या नहीं थी. 

उनको अंत तक ये भी नहीं पता था कि उनकी गेंदबाजी कैसी होगी. यहां फिर यूं कह लीजिए कि भइया पता तो सब था, लेकिन भरोसा इतना था कि वर्ल्ड कप से दो सीरीज़ पहले ही उनका वर्कलोड मैनेज कर दिया. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अर्शदीप सिंह को नहीं खिलाया.

युज़वेंद्र चहल को ऑस्ट्रेलिया. और आर. अश्विन को साउथ अफ्रीका के खिलाफ खिलाकर दोनों को खुश कर दिया. और अगर आपको लग रहा हो कि बस इतना ही है. तो रूको ज़रा, सबर करो. कुछ मैच में इनके लिए दीपक चाहर और हर्षल पटेल ने गेंदबाजी की. कुछ में उमेश यादव गेंदबाजी करने आ गए.

लेकिन एंड में T20 टीम में जगह किसने बनाई ये सबको पता है. और अब हमको ये भी पता चल गया है कि अगर यही हाल इस साल भी रहा तो, रिजल्ट फिर सेम ही होगा.

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