44 दिन. बस 44 दिन. सिर्फ 44 दिन ही बाकी रह गए हैं 2019 खत्म होने में. 2020 आने वाला है. दिल्ली के बड़े-बड़े होटलों में अभी से बुकिंग शुरू हो गई है. लोगों ने तगड़ी प्लानिंग शुरू कर दी है न्यू ईयर सेलिब्रेशन की. पैसे हवा में उड़ने लगे हैं. गोवा की फ्लाइट्स की टिकट महंगी होती जा रही है. ट्रेन में सीट मिल ही नहीं रही. ऑफिस में बॉस के पास ढेर सारे आवेदन आ गए हैं. छुट्टियों के. लेकिन न्यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए छुट्टियां हर किसी के नसीब में नहीं है. दिल टूटेंगे. पक्का टूटेंगे. कई सारे टूटेंगे.
और इस तरह दिव्या खोसला कुमार और नेहा कक्कड़ ने मेरे बचपन की यादों का सर्वनाश किया
आज तक 'याद पिया की आने लगी' से घटिया भी कुछ बना है क्या?

अब दिल टूटने की बात हो रही है तो दिव्या खोसला और नेहा कक्कर की बात करना तो बहुत जरूरी है. नहीं-नहीं, इनके दिल नहीं टूटे हैं, बल्कि इन्होंने तोड़ने का काम किया है. लाखों का दिल चकनाचूर कर दिया है. दो दिन पहले दोनों का एक गाना आया है 'याद पिया की आने लगी...'. दिव्या गाने में हीरोइन बनी हैं. नेहा ने गाया है. कतई कबाड़ा गाना है. बस इसे सुनकर ही फाल्गुनी पाठक के फैन्स निराश हो गए हैं. अब 'फाल्गुनी दीदी' के फैन्स लाखों में हैं. गाने की कबाड़ियत सुनकर इन्हीं लोगों का दिल टूटा है.
क्यों, गाने में क्या खराबी है?
शुरुआत न्यू ईयर से की थी. तो आगे की कहानी भी न्यू ईयर से शुरू करते हैं. नये साल की पार्टियों में ढेर सारे गाने बजते हैं. जो उस समय ट्रेंड कर रहे होते हैं, वो तो पक्का बजते हैं. अब भई जब 2019 से 2020 में ही जाने पर लोग इतने एक्साइटेड हैं, तो सोचिए कि जब दुनिया 20वीं सदी से 21वीं सदी में जा रही होगी, तो लोगों का एक्साइटमेंट लेवल कहां रहा होगा. भई, गदर मचा रखी थी. बड़े-बड़े होटलों की बात तो छोड़ दीजिए, छोटे शहरों में छोटे-छोटे मोहल्लों में तक लोग चंदा जमा कर रहे थे. बड़ी सी पार्टी करने के लिए.

नए वाले 'याद पिया की आने लगी' में दिव्या खोसला. इस सीन में वो रो रही हैं, क्योंकि उनके बॉयफ्रेंड की शादी हो रही है.
बुजुर्गों की भाषा में कहें, तो क्या जमकर स्वागत हुआ था 2001 का. उस साल जहां कहीं भी, जैसी भी, जिस भी लेवल की पार्टी हुई थी, फाल्गुनी पाठक के गाने जमकर बजे थे. मोहल्ले के छोटी लड़कियों ने 'फाल्गुनी दीदी' के गाने रट लिए थे. सेलिब्रेशन के दौरान बिजली के जाने पर भी (जो हुआ ही था) गाने बजना बंद नहीं हुए थे. बच्चे चिल्ला-चिल्लाकर गाने गा रहे थे. और उन सब गानों में एक गाना जो लोगों की जुबान पर रच बस गया था, वो था 'याद पिया की आने लगी, हाय भीगी-भीगी रातों में'.

फाल्गुनी पाठक 'याद पिया की आने लगी' में रिया सेन के साथ.
छोटे शहरों में उस वक्त तक ज्यादातर लोगों के घरों में ब्लैक एंड व्हाइट टीवी ही थी. केबल लगवा लिया था. लेकिन दिखता सफेद और काले ही था. फाल्गुनी पाठक का गाना 'याद पिया की आने लगी' आया था साल 1998 में. अब सफेद-काली टीवी में इतना रंगीना गाना देखना अजीब था. लेकिन गाना ऐसा था कि सफेद-काला दिखने के बाद भी लोग उसमें कल्पना के आधार पर रंग भर लेते थे. कलर टीवी जिन घरों में थी, उन घरों में मोहल्ले के बच्चे मेला लगाए रखते थे. स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को सिलेबस का कुछ याद हो या न हो, लेकिन 'फाल्गुनी दीदी' के गाने शुरू से आखिरी तक दिमाग में ऐसे छपे थे, जैसे पर्मानेंट मार्कर से लिखा गया हो.
वो दौर ही ऐसा था. फिल्मी गानों के साथ ही लोगों ने एल्बम के गानों को सुनना शुरू किया था. खुले दिल से उनका स्वागत भी कर रहे थे. इसी दौर में फाल्गुनी पाठक ने एंट्री मारी. एल्बम सॉन्ग्स निकाले. 'प्यार' थीम पर फोकस किया. खासकर टीनेज से कॉलेज जाने वाली उम्र के लड़के-लड़कियों पर फोकस किया. उनके मन में चल रही बातों को तीन से चार मिनट के अंदर दिखाया. तब तक लोग लंबी-लंबी फिल्मों में प्यार की कहानी देखते थे. फाल्गुनी के गानों में वही कहानी 5 मिनट के अंदर शुरू होकर खत्म हो जा रही थी. जो लोगों को काफी दिलचस्प लगा.
फाल्गुनी के गानों की लीड कैरेक्टर लड़की होती थी. ये बहुत कम हुआ कि लड़की भी अपनी ओर से प्यार का इज़हार करना चाहे. इसलिए नई-नई उम्र की लड़कियों को ये गाने और इसका वीडियो दोनों पसंद आया. स्कूल में होने वाले फंक्शन्स में लड़कियां फाल्गुनी के गानों पर ही डांस करने लगी.
1999 से 2005-06 तक का टाइम तो ऐसा था कि हर फंक्शन में एक न एक गाने फाल्गुनी के एल्बम के बजते ही थे. शादियों में भी ये गाने बजते और लोग जमकर डांस करते. 'याद पिया की आने लगी' का 'भीगी-भीगी रातों में' वाला डांस स्टेप आइकोनिक बन गया. ये गाना तब के 'मॉडर्न' गानों में शुमार हो गया.
गाने का दूसरा वर्जन आया 1999 में.
'याद पिया की आने लगी' के एल्बम वाले वीडियो में रिया सेन लीड रोल में थीं. फिर इसी गाने को 'प्यार कोई खेल नहीं' फिल्म में शामिल किया गया. जो 1999 में आई थी. तब महिमा चौधरी ने इस पर डांस किया था.
अब इसी गाने का रीमेक बनाया गया है. जिसे सुनकर दोनों कान हाथ से बंद करने का मन करता है. जिसका वीडियो पृथ्वी से शुरू होकर किसी दूसरे ग्रह में खत्म हो रहा है. वीडियो की कहानी का न तो ओर समझ आ रहा है और न छोर. दिव्या खोसला जो गाने में लीड रोल में हैं, वो क्या एक्सप्रेशन दे रही हैं वो वही जानती हैं. हमें तो समझ नहीं आया.
नेहा कक्कर, नो डाउट बहुत अच्छा गाती हैं. लेकिन शायद 'याद पिया की आने लगी' गाना उनके लिए नहीं था. जजमेंट नहीं. इसलिए क्योंकि नेहा हर गाना गा रही हैं. हर फिल्म में हर फीमेल वॉइस नेहा की है. उस वक़्त फाल्गुनी की आवाज़ अलग थी. जब आई तो डिफरेंट थी. नेहा में कुछ डिफरेंट नहीं.
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