(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
क्या आप भी अपने कान ईयरबड से साफ़ करने की भयानक भूल करते हैं?
ईयरबड से कानों को सबसे ज़्यादा नुकसान होता है.

निमित 27 साल के हैं. दिल्ली में रहते हैं. उन्हें स्विमिंग करने का बहुत शौक है. ख़ासकर गर्मियों के मौसम में वो अपनी सोसाइटी के पास बने स्विमिंग पूल में तैरने जाते हैं. ऐसा वो कई सालों से कर रहे हैं. सिर्फ़ स्विमिंग पूल ही नहीं, वो नदियों और तालाबों में भी तैर चुके हैं. स्विमिंग करने के दौरान पानी उनके कान में चला जाता था, जिसको साफ़ करने के लिए वो ईयरबड का इस्तेमाल करते थे. उन्हें ऐसा लगता था कि वो बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. इससे उनके कान बचे रहेंगे. पर हुआ उसका ठीक उलटा.
कुछ समय पहले उनको कानों में दर्द शुरू हुआ. खुजली होने लगी. उन्होंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया. पर लक्षण बढ़ते रहे. कान लाल रहता. उससे बदबूदार पस निकलने लगा. हारकर वो डॉक्टर के पास गए. पता चला उनके कान में इन्फेक्शन हो गया है. ये इन्फेक्शन कान के बाहरी तरफ़ हुआ था और इसे आम भाषा में कहते हैं स्वीमर्स ईयर. ये न सिर्फ़ उन लोगों में बहुत आम है जो तैरते हैं पर उनमें भी जो अपने कान ईयरबड से साफ़ करते हैं. ईयरबड से कान साफ़ करना ख़तरनाक क्यों है, इसके बारे में थोड़ी देर में बात करते हैं. सबसे पहले ये जान लेते हैं कि स्वीमर्स ईयर क्या होता है.
ये हमें बताया डॉक्टर राजेश कुमार ने.

-स्वीमर्स ईयर बाहरी कान का इन्फेक्शन है.
-इसे स्वीमर्स ईयर इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये स्वीमर्स में ज़्यादा मिलता है.
-स्वीमर्स ईयर को ओटाइटिस एक्सटर्ना भी कहा जाता है.
-हमारा कान मूल रूप से तीन भागों में बटा होता है.
-एक्सटर्नल ईयर, मिडिल ईयर और इंटरनल ईयर.
-एक्सटर्नल ईयर कान की ओपनिंग से लेकर ईयर ड्रम (कान का परदा ) तक होता है.
-वहीं के इन्फेक्शन को स्वीमर्स ईयर या ओटाइटिस एक्सटर्ना कहा जाता है.
-इसमें कान लाल हो जाते हैं.
-खुजली होती है.
-दर्द होता है.
-सूजन होती है.
कारण-अगर पानी साफ़ नहीं है तो उसमें तैरने से स्वीमर्स ईयर हो सकता है.
-अगर कानों को सुरक्षित नहीं रखा है तो गंदा पानी कान में जाएगा.
-ये पानी अंदर जाकर नमी पैदा करेगा.
-वैक्स के साथ मिलकर वहां बैक्टीरिया की ग्रोथ को बढ़ावा देगा.
-अगर हम कानों के अंदर बार-बार उंगली डालते हैं.
-या ईयरबड से उसे बार-बार साफ़ करने की कोशिश करते हैं.
-ऐसा करने से वहां की स्किन डैमेज होने लगती है, एक तरह से छिलने लगती है.
-इससे इन्फेक्शन होने का रिस्क बढ़ जाता है.
-दूसरा कारण है कान की सफ़ाई न रखना.
-जैसे कुछ लोगों के कानों में बहुत ज़्यादा वैक्स होता है.

-ये वैक्स लगभग कान बंद कर देता है.
-अब ऐसे में अगर वहां गंदा पानी जाएगा तो बैक्टीरिया को ग्रो करने के लिए अच्छा माहौल मिलेगा.
-कोई भी चीज़ जो कान के अंदर इन्फेक्शन को बढ़ाने में मदद करती है वो स्वीमर्स ईयर का कारण बनती है.
लक्षण-सबसे पहले कान में खुजली शुरू हो सकती है.
-कान लाल हो जाता है.
-कान के अंदर सूजन आ जाती है.
-कान से डिस्चार्ज हो सकता है.
-ये डिस्चार्ज हो सकता है शुरुआत में पानी हो.
-बाद में बदबूदार पस भी निकल सकता है.
-इसके कारण सिर्फ़ कान ही नहीं, पूरे सिर, गर्दन में दर्द होता है.
-इसकी वजह से गर्दन में गांठें बन सकती हैं.
-बुखार के साथ चिल्स हो सकते हैं.
हेल्थ रिस्क-स्वीमर्स ईयर के कारण कई दिक्कतें हो सकती हैं.
-ये दिक्कत तब होगी जब इसका सही इलाज न किया जाए.
-ये इन्फेक्शन बाहरी कान से मिडिल ईयर में आ सकता है.
-मिडिल ईयर को नुकसान पहुंचाकर ये सुनने की क्षमता को हमेशा के लिए खत्म कर सकता है.
-क्योंकि कान ब्रेन के एकदम पास में होता है.
-ब्रेन या ब्रेन से निकलने वाले स्ट्रक्चर को भी ये नुकसान कर सकता है.
-ये इन्फेक्शन हड्डी तक जा सकता है.
-ये इन्फेक्शन ब्रेन में जा सकता है, जिसकी वजह से पेशेंट अपनी सुध-बुध खो सकता है.
-ब्रेन से जो नर्व्स निकलती हैं, अगर उन तक इन्फेक्शन चला गया तो उससे चेहरे, जीभ में पैरालिसिस हो सकता है.
-इसलिए इसका सही समय पर इलाज करवाना ज़रूरी है.
बचाव-स्वीमर्स ईयर से बचने का सबसे बढ़िया तरीका है कानों की सफ़ाई.
-नियमित रूप से कानों से वैक्स निकलवाते रहें.
-कानों को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचने दें.
-ईयरबड से कानों को सबसे ज़्यादा नुकसान होता है.
-ईयरबड काफ़ी ख़तरनाक है.
-इनको इस्तेमाल ही नहीं करना चाहिए.
-स्विमिंग करने जा रहे हैं तो कानों को बचाकर रखें.
-स्विमिंग के दौरान कानों पर लगाने वाले ईयरबड लगाएं.
-इससे कानों में पानी नहीं जाएगा तो इन्फेक्शन भी नहीं होगा.
-कान में किसी भी तरह का इन्फेक्शन न जाने दें.
-अगर इन्फेक्शन जाए भी तो उसका तुरंत इलाज करें.
इलाज-स्वीमर्स ईयर का इलाज बहुत सिंपल है.
-अगर जल्दी स्वीमर्स ईयर को पकड़ लिया तो एंटीबायोटिक ईयरड्रॉप्स से ही इलाज हो सकता है.
-पेन किलर भी दिए जाते हैं.
-अगर इन्फेक्शन देर से पकड़ में आता है तो ओरल एंटीबायोटिक या IV एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया जाता है.
-इसका इलाज आसानी से हो सकता है.

-पर इलाज लेने में जितनी देर करते हैं, उतना ही नुकसान पहुंचता है.
-इसलिए स्वीमर्स ईयर को जल्दी पकड़ना चाहिए.
-हर वो इंसान को स्विमिंग करता है या ईयरबड से कान साफ़ करता है.
-उसे हल्का भी दर्द महसूस हो या कान में सूजन लगे तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए.
अगर आप स्विमिंग करते हैं या ईयरबड से अपने कान साफ़ करते हैं तो जो लक्षण डॉक्टर साहब ने बताए हैं, उन्हें हरगिज़ इग्नोर न करें. तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. क्योंकि आप जितना लेट करेंगे, नुकसान उतना ही बड़ा होगा.
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