विवेक के पिता को मई के महीने में कोविड हुआ था. ऑक्सीजन लेवल गिरने पर उन्हें अस्पताल में एडमिट करवाया गया. उनकी उम्र 62 साल थी. हालत बिगड़ने पर उन्हें ICU में भर्ती किया गया. 15 दिन ICU में रहने के बाद वो बच नहीं पाए. विवेक को अस्पताल से जो रिपोर्ट दी गई, उसमें कॉज ऑफ़ डेथ यानी मौत की वजह सेप्सिस लिखी हुई थी. अब विवेक चाहते हैं कि हम सेप्सिस पर बात करें. सेप्सिस दरअसल एक ख़तरनाक कंडीशन है. इसमें किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन होने पर शरीर अपने महत्वपूर्ण टिश्यूज़ पर हमला बोल देता है. यानी खुद को ही नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है.
न्यू इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे साउथ एशिया में भारत सेप्सिस से होने वाली मौतों के मामले में दूसरे नंबर पर आता है. जो लोग ICU में भर्ती होते हैं, उन्हें सेप्सिस का ज़्यादा ख़तरा होता है. DNA में छपी एक ख़बर के मुताबिक, सेप्सिस से जूझ रहे 34 प्रतिशत पेशेंट्स की मौत ICU में होती है. सेप्सिस जानलेवा हो सकता है. इंडिया में पब्लिक हेल्थ के लिए ये एक बड़ा ख़तरा है. इसके बावजूद ज़्यादातर लोगों को पता ही नहीं सेप्सिस होता क्या है. तो चलिए आज इसी पर बात करते हैं. सेप्सिस क्या होता है?

डॉक्टर रवि शेखर झा, हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट, पल्मनोलॉजी, फ़ोर्टिस हॉस्पिटल, फ़रीदाबाद
ये हमें बताया डॉक्टर रवि शेखर ने.
सेप्सिस खतरनाक कंडीशन है. ये हमारे शरीर का रिएक्शन होता है किसी भी तरह के संक्रमण के खिलाफ़. यह संक्रमण बैक्टीरियल, वायरल, फंगल, कुछ भी हो सकता है. जब हमारे शरीर में इस तरह के इंफेक्शन होते हैं तो हमारी बॉडी खास तरह से रिएक्ट करती है, इस रिएक्शन के दौरान, शरीर कई तरह के एंजाइम, प्रोटीन रिलीज़ करता है. जिनका नॉर्मल काम इस तरह के इंफेक्शन से शरीर को बचाना होता है.
लेकिन कई बार हमारी बॉडी का यह रिएक्शन इतना बढ़ा हुआ होता है कि शरीर अपने ही अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है. यही कंडीशन जब ज्यादा खतरनाक हो जाती है या आपका बीपी गिरने लग जाता है तो इस सिचुएशन को सेप्टिक शॉक कहते है. कारण सेप्सिस होने का मुख्य कारण इंफेक्शन है. किसी पेशेंट को अगर शरीर के किसी पार्ट में इंफेक्शन है. और अगर वो इंफेक्शन टाइम पर ठीक न हो तो उस इंफेक्शन से पेशेंट को सेप्सिस डेवलप हो सकता है.

लक्षण - पेशेंट को तेज़ बुखार हो जाता है
- बदन में दर्द, कमजोरी आ जाना
- बीपी अक्सर लो हो जाता है
- अगर किसी पेशेंट के अलग-अलग अंगों पर असर हो रहा है, जैसे किडनी तो पेशेंट का यूरिन आना कम हो जाता है
- अगर पेशेंट के लिवर पर असर पड़ रहा है तो हल्का पीलिया हो सकता है
- अगर पेशेंट्स के फेफड़ों पर असर हो रहा है तो एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम (ARDS)हो सकता है, ऑक्सीजन लेवल गिर सकता है, सांस फूलने की तकलीफ हो सकती है
- सेप्सिस अगर ब्रेन को अफेक्ट कर रहा है तो उसकी वजह से पेशेंट को बेहोशी आ सकती है, सिर में दर्द हो सकता है, दौरे पड़ सकते हैं

किन लोगों को सेप्सिस होने का रिस्क होता है? - अगर किसी को निमोनिया है, किसी को यूरिन इंफेक्शन है या किसी भी तरह का इंफेक्शन है
- उनकी शुगर कंट्रोल में नहीं है
-कोई ऑर्गन ट्रांसप्लांट हो चुका है या किसी भी कारण से इम्युनिटी कम है
- उम्र का भी बड़ा हाथ है. मान लीजिए बुजुर्ग हैं या काफी कम उम्र के बच्चे हैं, उनकी बॉडी को सेप्टिक शॉक में जाने का ज़्यादा ख़तरा होता है बचाव और इलाज जब भी पेशेंट को सेप्सिस होता है, उसको तुरंत चेक करके इलाज मुहैया कराया जाता है, अगर पेशेंट का बीपी लो हो रहा है तो उसको फ्लूइड्स की जरूरत पड़ती है. कई बार वेजो प्रेशर मेडिसिन देनी पड़ती है. ये दवाइयां बीपी बढ़ाने का काम करती हैं. उसके अलावा पेशेंट को एंटीबॉयोटिक देनी पड़ती है, इनफेक्शन कंट्रोल के लिए.
अगर ऑर्गन फ़ेल हो रहे हैं तो उनको सपोर्ट करने के लिए उस हिसाब से दवाई दी जाती है, कोशिश की जाती है कि कम से कम ऑर्गन फ़ेल हों और जल्दी से जल्दी सेप्सिस क्लियर हो. साथ में अगर पेशेंट का ऑक्सीजन लेवल गिर रहा है, सांस फूल रही है तो ऑक्सीजन देना पड़ सकता है.

अगर ब्रेन में इंफेक्शन फैल रहा है या फिर उसको बेहोशी हो रही है या कोमा में जा रहा है तो लक्षण के हिसाब से भी ट्रीटमेंट देना पड़ता है. इसके साथ ही अगर कोई बाहरी इंफेक्शन है, उसको कहीं से पस आ रहा है. कोई सॉफ्ट टिश्यू इनफेक्शन स्किन के ऊपर है, वहां से पस आ रहा है तो पस निकाला जाता है, इलाज के लिए सर्जरी की ज़रूरत भी पड़ सकती है.
आपने डॉक्टर्स की बातें सुनीं. सेप्सिस हमेशा किसी इन्फेक्शन से लड़ने के दौरान होता है. यानी इंसान पहले से बीमार होता है. उसका इलाज चल रहा होता है. कोविड-19 की दूसरी वेव के दौरान, ICU में भर्ती कई पेशेंट्स में सेप्सिस देखा गया था. पर सिर्फ़ कोविड ही नहीं, सेप्सिस किसी भी इन्फेक्शन के कारण हो सकता है. इसलिए लक्षणों पर बहुत नज़दीक से मॉनिटर करना ज़रूरी है ताकि तुरंत इलाज दिया जा सके, नहीं तो सेप्सिस जानलेवा हो सकता है. उम्मीद है सेप्सिस से जुड़ी ये सारी जानकारी आपके काम आएगी.