हिमांशी को मेनोपॉज़ हुए कई साल हो गए थे. पचास की होने वाली थीं. मेनोपॉज़ के समय ऐसी कोई दिक्कत नहीं हुई थी. पर आजकल उन्हें काफ़ी थकान रहती. सेक्स के दौरान बहुत दर्द होता. वज़न घटने लगा था. पेट में सूजन आ गई थी. डॉक्टर को दिखाया तो पता चला ये आम लक्षण इतने आम नहीं थे. हिमांशी को ओवेरियन कैंसर था. ओवेरियन कैंसर औरतों की ओवरीज़ में होने वाले कैंसर को कहते हैं. इंडियन जर्नल ऑफ़ कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन के मुताबिक, ओवेरियन कैंसर के मामले में हिंदुस्तान दूसरे नंबर पर है. तो ये ओवेरियन कैंसर क्या होता है और क्यों होता है. ये जान लेते हैं.
क्या होता है ओवेरियन कैंसर?
इस बारे में हमें बताया डॉक्टर विभोर महेंद्रू ने. वो लखनऊ के सहारा अस्पताल में कैंसर स्पेशलिस्ट हैं.

डॉक्टर विभोर महेंद्रू, कैंसर स्पेशलिस्ट, सहारा हॉस्पिटल, लखनऊ
-औरतों में पेट के नीचे की तरफ़ गर्भाशय होता है. उसके बगल में दो ग्रंथियां होती हैं. जिन्हें ओवरीज़ कहते हैं. इन ओवरीज़ में गांठ बनती है जो बढ़ती जाती है. आसपास के टिश्यू को बर्बाद कर देती है. उस गांठ से छोटे-छोटे सेल्स पूरे पेट में और शरीर के बाकी हिस्से में फैलते हैं तो उसे ओवेरियन कैंसर कहते हैं
कारण:
-दो मुख्य कारण हैं
-पहला. लाइफस्टाइल. ओबीसिटी. प्रेग्नेंसी लेट होना. ड्रग्स और हॉर्मोन्स रीप्लेसमेंट थैरेपी का इस्तेमाल बढ़ रहा है. एक्सरसाइज़ न करना
-जेनेटिक. कुछ ऐसे जीन्स हैं जिनमें बदलाव की वजह से कैंसर होने के चांसेज़ बढ़ जाते हैं
ओवेरियन कैंसर क्या होता है, ये तो पता चल गया. अब इसके लक्षण और इलाज भी जान लेते हैं.
लक्षण:
-ओवेरियन कैंसर का कोई बहुत क्लियर लक्षण नहीं होता
-शुरुआत में पेट भारी-भारी सा लगता है
-भूख कम लगती है
-कब्ज़ होता है
-आम लक्षण होते हैं
ओवरीज़ में गांठ बनती है जो बढ़ती जाती है. इसे ओवेरियन कैंसर कहते हैं. -जब बीमारी बढ़ जाती है तो पेट फूल जाता है
-पेट के निचले हिस्से में दर्द होने लगता है
-ब्लीडिंग भी हो सकती है
-ज़्यादातर केसेज़ में ओवेरियन कैंसर जांच में ही नज़र आता है
डायग्नोसिस
ओवेरियन कैंसर बाकी कैंसर से डायग्नोज़ करने में थोड़ा अलग होता है. दूसरे कैंसर में अगर कहीं भी गांठ नज़र आती है तो बाईयोप्सी करके थोड़ा सा टुकड़ा जांच में भेजते हैं या सुई की मदद से शरीर से पानी निकालकर उस पानी को जांच के लिए भेज देते हैं. तब पता चलता है कि कैंसर है या नहीं. ओवरी गुब्बारे की तरह होती है. कुछ उसमें सॉलिड एरिया होते हैं. कुछ में लिक्विड भरा होता है. अगर जांच में गांठ दिख रही है तो उसे छेड़ना नहीं होता है, अगर चीरा लगाएंगे तो पानी रिसेगा. इससे बीमारी के बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है.
गांठ से छोटे-छोटे सेल्स पूरे पेट में और शरीर के बाकी हिस्से में फैलते हैं इलाज:
-ओवेरियन कैंसर में इलाज दो भागों में बांटा जाता है
-अर्ली ओवेरियन कैंसर. अगर जांच में पता चलता है कि बीमारी सिर्फ़ ओवरी तक ही है. तो सर्जरी करके ओवरीज़ को निकाल देते हैं. अगर मरीज़ की उम्र अधिक है तो गर्भाशय को भी निकाल दिया जाता है. उम्र कम है, और एक ओवरी में ही कैंसर है तो एक ही ओवरी निकाली जाती है. ताकि उसके मां बनने की संभावना बनी रहे. इसके अलावा पेट के जिन हिस्सों में कैंसर फैले होने की आशंका होती है, वहां के सैम्पल निकालकर जांच के लिए भेजा जाता है.
-अगर बीमारी काफ़ी फैली हुई नज़र आती है तो उसे कीमोथरैपी से उसे कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है. जिस हिस्से में बीमारी फैल गई है उसमें देखा जाता है कि कितना हिस्सा निकाल सकते हैं. ओवेरियन कैंसर में सर्जरी करके कैंसर के बल को कम कर दें तो कीमोथरैपी ज़्यादा बेहतर काम करती है. पूरा कैंसर निकालना अगर मुश्किल होता है तो पहले दवाइयों से बीमारी कम की जाती है
ओवेरियन कैंसर के लक्षण अगर दिखें तो उन्हें एकदम इग्नोर न करें. सही समय पर मदद लें.
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