आंध्रप्रदेश में एक गांव है कडाली. यहां 45 साल की एक महिला रहती हैं, इनका नाम है रूथम्मा. इनकी 30 और 32 साल की दो बेटियां भी हैं. वो दोनों भी इन्हीं के साथ रहती हैं. कुछ दिनों पहले द न्यूज़ मिनट में ख़बर छपी कि ये तीनों 15 महीने से घर से बाहर नहीं निकली हैं. कोविड के डर के कारण. हाल ही में इन तीनों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया. धूप नहीं मिलने के चलते इनके शरीर में विटामिन बी और डी की काफ़ी कमी हो गई थी. हीमोग्लोबिन लेवल भी काफ़ी कम हो गया था. साथ ही ये डिप्रेशन का शिकार भी हो गईं.
रूथम्मा और उनके परिवार के साथ जो हुआ, वो देश में कई लोगों की कहानी है. कोविड पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, ऐसे में डॉक्टर और सरकार दोनों ही लोगों से अपील कर रहे हैं कि जब तक बहुत ज़रूरी न हो, तब तक घर से बाहर न निकलें. अब मुसीबत ये है कि अगर कोई घर में एकदम बंद हो जाता है तो उसे काफ़ी हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं. जैसे रूथम्मा के साथ हुआ. तो इसलिए हमने डॉक्टर से बात करके ये जानने की कोशिश की कि घर में बंद रहने पर हमारे शरीर में क्या परेशानियां आ सकती हैं. साथ ही उनसे पूछा कि इसका उपाय क्या है. क्या मेडिकल प्रॉब्लम्स हो सकती हैं? ये हमें बताया डॉक्टर आभा मंगल ने.

डॉक्टर आभा मंगल, स्पेशलिस्ट एंड हेड कम्युनिटी हेल्थ डिपार्टमेंट, सेंट स्टीफेंस हॉस्पिटल, नई दिल्ली
कोविड-19 के समय में गाइडलाइंस की वजह से लोग घरों में ही रह रहे हैं. गाइडलाइंस भी यही कह रही है कि जब तक जरूरी न हो घर से बाहर न निकलें. वर्क फ्रॉम होम चल रहा है, इससे कई तरह की शिकायतें सामने आ रही हैं. इनमें सबसे प्रमुख है कुपोषण यानी शरीर में पोषक तत्वों की कमी. खासतौर पर जो लोग फ्लैट्स में रहते हैं या जो वर्क फ्राम होम कर रहे हैं, उनमें से कई लोग बिल्कुल ही घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं. वो अपना रूटीन फॉलो नहीं कर पा रहे हैं, ताजे फल सब्जियों की कमी हो रही है उनकी डाइट में. एक्सरसाइज नहीं कर पा रहे हैं, लोगों से मिलना-जुलना नहीं हो रहा है.
जब हम धूप में निकलते हैं या सुबह के वक्त सूरज की रौशनी में बैठते हैं तो हमारे शरीर में विटामिन डी बनता है. लेकिन घर से नहीं निकलने के चलते ऐसे लोगों के शरीर मेंं विटामिन डी भी नहीं बन पा रहा है. विटामिन डी शारीरिक और मानसिक क्रियाओं के लिए बेहद ज़रूरी होता है. इसकी कमी होने पर मसल वीकनेस, बोनलॉस, फ्रैक्चर का रिस्क बढ़ जाता है. इसके अलावा विटामिन डी का रोल इम्युनिटी डेवलप करने में भी होता है.

बच्चों में इसकी कमी से रिकेट्स या सॉफ्ट बोन, मसल वीकनेस और ग्रोथ डिले देखा जाता है. विटामिन डी की कमी शाकहारी लोगों में देखी जाती है क्योंकि ये डाइट से नहीं मिल पाता इसीलिए इसके सप्लीमेंट लेने पड़ते हैं. इसके अलावा कई और विटामिन भी ज़रूरी है जैसे विटामिन के, ए , बी 12, कैल्शियम, मैग्नीशियम. ये सारी चीजें हमें खाने से मिलती हैं. खाने में अगर हम ताज़े फल और सब्जियों को शामिल नहीं करते हैं तो इनकी कमी हो जाती है. डाइट, लाइफस्टाइल टिप्स सबसे पहले तो संतुलित आहार लेना चाहिए जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट, मिनरल्स संतुलित मात्रा में होने चाहिए. 3-4 लीटर तक पानी ज़रूर पिएं. एक दिनचर्या का पालन करना चाहिए, उसमें व्यायाम को जरूर शामिल करें. व्यायाम आप अपने टैरेस पर, छत पर या पार्क में खुली जगह में जाकर कर सकते हैं. अगर आपको थकान, शरीर में दर्द या और किसी पोषक तत्व की कमी के लक्षण दिखें तो डॉक्टर की सलाह लें, साथ ही अपने परिवार और मित्रों से टच में रहें ताकि मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकें.

मेंटल हेल्थ विटामिन डी सीधा जुड़ा है आपकी मेंटल हेल्थ से. जिन लोगों को विटामिन डी की कमी हो जाती है, उनमें एंग्जायटी और डिप्रेशन ज्यादा होता है, तो जिन लोगों को भी एंग्जायटी या डिप्रेशन फील हो रहा है वो अपना विटामिन डी चेक कराएं, अगर वो नॉर्मल रेंज से कम है तो सप्लीमेंट लें. नॉर्मल रेंज 20 - 40 ng/ml मानी जाती है. इससे उनकी ये समस्या दूर हो जाएगी. ये भी देखा गया है कि कई लोग बाहर नहीं निकल रहे हैं क्योंकि वो बहुत ज्यादा डरे हुए हैं, और ये डर ही एंग्जायटी देता है, टेंशन देता है. इंसान असुरक्षित महसूस करता है और लोगों से मिलने में डरता है. लंबे वक्त तक यदि कोई व्यक्ति एक जगह पर बंद रहे तो उसे डिप्रेशन भी हो सकता है.
आखिर में अगर आप कोविड की वजह से घर से नहीं निकल पा रहे हैं तो कोशिश करें कि घर की बालकनी या छत पर जाएं, सुबह के वक्त कुछ समय वहां बिताएं. या घर के बाहर ही थोड़ा टहल लें. ताकि धूप मिलती रहे और फ्रेश हवा में आप भी अच्छा महसूस करें. इसके अलावा जब भी बाहर निकलें तो सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो करें, हाथों को बार-बार धोएं, सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें, मास्क लगाकर रखें. अपनी डाइट, एक्सरसाइज और मेंटल हेल्थ का ध्यान ज़रूर रखें.