नीतू 18 साल की हैं. लखनऊ की रहने वाली हैं. वो अपने पीरियड पेन से बहुत ज़्यादा दुखी हैं. पीरियड पेन यानी पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द. ये दर्द उन्हें पीरियड शुरू होने से एक हफ़्ता पहले होने लगता है और पीरियड खत्म होने के बाद भी रहता है. वो बताती हैं कि ये आम पीरियड क्रैम्प्स जैसा दर्द नहीं है. उनको पेन किलर्स पर गुज़ारा करना पड़ता है, और कभी-कभी ये पेन किलर्स भी काम नहीं करते. न सिकाई से आराम मिलता है न दवाइयों से.
नीतू बताती हैं कि उनकी फ्रेंड्स को भी पीरियड्स के दौरान दर्द होता है, पर इतना ज़्यादा नहीं. वो चाहती हैं हम डॉक्टर्स से बात करके बताएं कि पीरियड्स के दौरान इतना दर्द क्यों होता है, इसको कम करने के लिए वो क्या कर सकती हैं और इसका इलाज क्या है. पीरियड्स के दौरान या उससे पहले दर्द होना बहुत आम है. ज़्यादातर लोगों को होता है. पर कुछ केसेस में ये दर्द बहुत ज़्यादा होता है. और इसके पीछे कुछ कारण होते हैं, क्या हैं वो कारण, चलिए जानते हैं. पीरियड में ज़्यादा दर्द क्यों होता है? ये हमें बताया डॉक्टर सीमा शर्मा ने.
-औरतों को पीरियड के दौरान जो दर्द होता है उसे डिसमेनोरीया कहते हैं.
-डिसमेनोरीया के दौरान औरतें पेट के निचले हिस्से या पीठ में दर्द महसूस करती हैं.
-ये दर्द पीरियड के पहले दिन से लेकर पीरियड के बाद तक महसूस होता है.
-आमतौर पर 2 तरह का दर्द होता है.
-प्राथमिक कारण है प्राइमरी डिसमेनोरीया.
-दूसरा है सेकेंडरी डिसमेनोरीया.
-प्राइमरी डिसमेनोरीया अस्थायी होता है.
-ये थोड़े दिन के लिए ही रहता है.
-ये दर्द पीरियड के पहले दिन शुरू होता है, पर पीरियड के फ्लो के साथ-साथ कम होता जाता है.
-इस तरह का दर्द उम्र के साथ धीरे-धीरे खत्म हो जाता है.
-सेकेंडरी डिसमेनोरीया ज़्यादातर किसी बीमारी के कारण होता है.
-बीमारियां जैसे एंडोमेट्रियोसिस, बच्चेदानी में रसौली या बच्चेदानी में सूजन.
-कभी-कभी बच्चेदानी के मुंह पर सिकुड़न होने के कारण भी दर्द होता है.
-हॉर्मोनल परिवर्तन के कारण PMS (प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम) होता है, जिसकी वजह से दर्द महसूस होता है.
-सेकेंडरी डिसमेनोरीया समय के साथ बढ़ता जाता है.

-अगर सेकेंडरी डिसमेनोरीया है और प्राइवेट पार्ट्स में किसी बीमारी के कारण है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. किन लोगों को ये दिक्कत ज़्यादा होती है? -20 साल से कम उम्र की लड़कियों को प्राइमरी डिसमेनोरीया ज़्यादा होता है.
-अगर किसी लड़की को पीरियड्स 11 साल की उम्र से पहले शुरू हो जाते हैं तो ज़्यादा दर्द होता है.
-ज़्यादा ब्लीडिंग होने पर या रेगुलर ब्लीडिंग न होने पर दर्द ज़्यादा होता है.
-स्मोकिंग करने से पीरियड पेन ज़्यादा होता है.
-दर्द के कारण का पता लगाना ज़रूरी है.
-फिर उस दर्द का इलाज करवाना चाहिए. इलाज -इलाज के लिए ये पता लगाना ज़रूरी है कि ये प्राइमरी डिसमेनोरीया है या सेकेंडरी डिसमेनोरीया.
-जांच के द्वारा ये पता लगाना ज़रूरी है कि ये दर्द बच्चेदानी में किसी बीमारी के कारण हो रहा है या ये नॉर्मल दर्द है.
-अगर ये प्राइमरी डिसमेनोरीया है जो अस्थायी होता है और 1-2 दिन में खत्म हो जाता है, वो पेन किलर से ठीक हो जाता है.
-किसी लंबे इलाज की ज़रुरत नहीं पड़ती.

-लेकिन अगर ये दर्द सेकेंडरी डिसमेनोरीया के कारण है तो कुछ केसेस में ऑपरेशन से ही इलाज हो सकता है.
-कभी-कभी इस दर्द को कम करने के लिए कुछ दवाइयां दी जाती हैं.
-कभी-कभी हॉर्मोनल थेरेपी भी देनी पड़ती है.
-दवाइयां और ऑपरेशन मिलाकर ही असर देखने को मिल पाता है. दर्द को कम करने की टिप्स -कुछ लोगों में PMS होता है, जो पीरियड्स शुरू होने से एक हफ़्ता पहले होता है.
-ऐसे में एक्सरसाइज पर ध्यान दें.
-हेल्दी डाइट लें.
-डॉक्टर की सलाह से मल्टीविटामिंस के सप्लीमेंट्स लें.
-जो लोग बहुत ज़्यादा स्मोकिंग करते हैं, अगर वो सिगरेट पीना कम कर दें तो भी इस दर्द से काफ़ी हद तक निजात मिल जाती है.
-कुछ विटामिंस और सप्लीमेंट्स पेशेंट्स को दिए जाते हैं.
-जैसे विटामिन बी 6, विटामिन बी 1, विटामिन ई और विटामिन डी.

-प्राइमरी डिसमेनोरीया दवाइयों से ठीक हो जाता है, पर सेकेंडरी डिसमेनोरीया में एक्सपर्ट की सलाह लेना ज़रूरी है.
अगर आपको भी पीरियड्स के दौरान ज़्यादा दर्द होने की शिकायत रहती है तो सिर्फ़ पेन किलर और सिकाई के भरोसे न रहें. न ही इसे टालें. आपने डॉक्टर की बातें सुनीं, हो सकता है ये दर्द किसी बीमारी के कारण है. इसलिए समय पर एक्सपर्ट को दिखाना और इलाज बेहद ज़रूरी है.