(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
किसके दिल में हो सकता है छेद, क्या है इसका इलाज?
95-99 प्रतिशत केसेस में पेशेंट ठीक हो जाता है.

आपको रोहन राठौड़ नाम का लड़का याद है. जब अपन स्कूल-कॉलेज में थे तब इसके बड़े चर्चे थे. कहानी ये थी कि बंदे ने उस ज़माने में एक वायरल गाना गाया था. 'तूने मेरे जाना, कभी नहीं जाना, इश्क मेरा दर्द मेरा.' उस वक़्त इस गाने के साथ इसकी एक सैड बैकस्टोरी भी खूब चली थी. कहानी ये थी कि कि रोहन IIT मुंबई में पढ़ता था. उसके दिल में छेद था. इस वजह से उसकी गर्लफ्रेंड छोड़कर चली गई थी. दिल टूटने के बाद उसने ये गाना गया जो खूब चला. बाद में पता चला कि कहानी फेक थी. दरअसल ये गाना गाया था सिंगर गजेंद्रा वर्मा ने. आज अपन इस गाने का ज़िक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि गाने और फ़िल्मों ने हमें दिल में छेद वाली बीमारी से सबसे ज़्यादा राबता करवाया. हममें से ज़्यादातर लोग किसी ऐसे इंसान को नहीं जानते थे, जिसके दिल में छेद हो. पर इसके बारे में हम फ़िल्मों में ज़रूर सुनते थे. जैसे 80-90 के दशक में शायद ही कोई ऐसी फिल्म थी, जिसके कम से कम एक किरदार के दिल में छेद नहीं होता था.
अब आपका दिल एकदम तंदरुस्त है. सही काम कर रहा है. आप किसी ऐसे इंसान को जानते भी नहीं, जिसके दिल में छेद होता है. तो ये लोग हैं कौन जिनके दिल में छेद होता है? और उससे बड़ी बात उनके दिल में ये छेद आया कहां से?
ये हमें बताया डॉक्टर कश्यप सेठ ने.

बच्चों में पाई जाने वाली सबसे आम बीमारी है दिल में छेद होना, ये एक डेवलपमेंटल डिफेक्ट है. मतलब जब बच्चा मां के पेट में बढ़ रहा होता है, तब दिल का डेवलपमेंट एक छोटे से ट्यूब से होता है. इस ट्यूब के अंदर कभी-कभी एक ट्विस्ट आ जाता है, जिससे वहां एक विभाजन हो जाता है. जब इस विभाजन के बनने में कोई प्रॉब्लम आती है. तब इसको दिल का छेद बोला जाता है, हार्ट के बाएं और दाएं हिस्से को बांटने वाले विभाजन में कुछ जगह रह जाती है, लेफ्ट साइड में जो प्रेशर वाला खून है वो राइट साइड चला जाता है
लक्षणजन्म से पहले ज़्यादातर बच्चों में इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते, जन्म के बाद जिन बच्चों में छेद का साइज़ बड़ा होता है उनमें खून लेफ्ट साइड से राइट साइड चला जाता है. इससे बच्चे के हार्ट और लंग्स पर प्रेशर पड़ता है. ऐसे बच्चों में जन्म के बाद सांस फूलना, दूध पीते ही थक जाना, पसीना ज़्यादा आना, वज़न कम बढ़ना, बार-बार सर्दी, कफ़, निमोनिया जैसी प्रॉब्लम होती है. जिन बच्चों में छेद बड़े होते हैं उनमें छोटी उम्र में ही लंग्स हमेशा के लिए ख़राब हो जाते हैं. इसे एक सीरियस इशू माना जाता है.

इलाज
जिन बच्चों के दिल के पर्दे में छेद होता है, उनका इलाज ओपन हार्ट सर्जरी से किया जाता है या क्लोज़्ड टेक्नीक जिसको एंजियोप्लास्टी कहा जाता है, उससे किया जाता है. ये निर्भर करता है कि बच्चे के दिल में छेद किस साइज़ का है, उसकी लोकेशन क्या है. इस सबकी जांच कर के डॉक्टर इलाज के लिए सबसे बेस्ट तरीका चुनते हैं. ओपन हार्ट सर्जरी में बच्चे के दिल की धड़कन को रोका जाता है. फिर चेस्ट ओपन कर के दिल में जो छेद है उसे बंद किया जाता है. बिना ऑपरेशन के तरीके में हाथ या पैर की नसों में एक यंत्र डाला जाता है. ये यंत्र दिल तक पहुंचाया जाता है. उसके बाद छेद को बंद किया जाता है. आजकल दोनों की टेक्नीक में काफ़ी सुधार हो गया है, 95-99 प्रतिशत केसेस में पेशेंट ठीक हो जाता है. सही टाइम पर इलाज हो वो ज़रूरी है.

इससे बचने का सबसे बेस्ट तरीका है कि टाइम पर बच्चे की जांच हों, जब वो मां के पेट में होता है. ये फ़ीटल सोनोग्राफी से किया जा सकता है. 16-20 हफ़्ते में इसका पता लगाया जा सकता है. अगर बच्चे के हार्ट में कोई दिक्कत होती है तो डॉक्टर गाइड करते हैं कि उसका इलाज कैसे किया जाए.
अब समझ में आया ये दिल में छेद का चक्कर क्या है. अव्वल तो किसी के दिल में छेद होगा या नहीं, इसका पता तो पैदा होने से पहले ही लगाया जा सकता है. और चलो, किसी के दिल में छेद हो भी गया तो उसका भी पक्का इलाज है. तो टेंशन लेने की कोई ज़रूरत नहीं है.
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