सेहत पर हमें मेल आया प्रभात का. वो कोचि में रहते हैं. बारिश का सीज़न शुरू हो गया है और अब उनके इलाके में डेंगू के केसेस शुरू हो गए. ऐसा नहीं कि डेंगू के केसेस सिर्फ़ कोचि में बढ़ रहे हैं. दिल्ली, गोवा, कर्नाटका-सब जगह यही हाल है. बरसात शुरू होते ही डेंगू के मच्छरों का आतंक भी शुरू हो जाता है. डेंगू एक भयानक वायरल इन्फेक्शन है. अब हमें कोविड के साथ-साथ डेंगू से भी बचकर रहना है. ऐसे में प्रभात चाहते हैं हम डेंगू के बारे में लोगों तक सही जानकारी पहुंचाएं. क्योंकि बुखार तो डेंगू में भी आता है. कहीं आप इसे कोविड न समझ लें. तो सबसे पहले ये समझ लीजिए कि डेंगू क्यों होता और इसके लक्षण क्या हैं. क्या होता है डेंगू? ये हमें बताया डॉक्टर मनीष गर्ग ने.

डॉक्टर मनीष गर्ग, कंसल्टेंट, धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली
-डेंगू एक वायरल बीमारी है जो एक वायरस से फैलती है. ये 4 प्रकार के होते हैं डेंगू 1, 2, 3 4
-किसी भी एक प्रकार के वायरस के संक्रमण के बाद उसके लिए प्रतिरोधक क्षमता आप में पैदा हो जाती है
-लेकिन बाकी प्रकार के डेंगू से खतरा बना रहता है
-दूसरी बार होने वाला डेंगू , पहली बार होने वाले डेंगू से ज्यादा ख़तरनाक होता है डेंगू क्यों होता है? -डेंगू एडीज इजिप्टी मच्छर से होता है
-ये मच्छर अगर डेंगू से ग्रस्त किसी व्यक्ति को काटने के बाद आपको काटता है तो आपको डेंगू बुखार हो जाता है
-ये मच्छर दिन में ज्यादा काटते हैं, ये ठंडी और छांव वाली जगह में ज्यादा रहते हैं
-आर्टिफिशियली कलेक्टेड वॉटर जैसे कूलर में भरा पानी , फूलदान में जमा पानी, घर के आसपास जमा पानी, गड्ढों में भरे पानी में ये मच्छर ज्यादा मिलते हैं, जहां ये मच्छर पैदा होते हैं उसके 300 मीटर के दायरे में लोगों को इंफेक्ट करते हैं. ज्यादा ऊंचा या दूर तक नहीं उड़ पाते हैं लक्षण -मच्छर काटने के 5-6 दिन के बीच लक्षण दिखाई देते हैं

-ठंड लगकर तेज बुखार आना , सिरदर्द , आंखों में दर्द, बदन में दर्द , जोड़ों में दर्द होना
-कभी कभी उल्टी –दस्त और शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं
-जटिल डेंगू को हेमोरेजिक फीवर के नाम से भी जाना जाता है, इसमें आंख- नाक से और शरीर के अन्य भागों से रक्तस्राव हो सकता है
-डेंगू हेमोरेजिक फीवर में शरीर में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है, जिसकी वजह से रक्तस्राव देखने को मिलता है बचाव और इलाज -डेंगू से बचाव ही इसका सबसे अच्छा उपचार है क्योंकि ये एक वायरल जनित बीमारी है. जिसकी वजह से इसमें एंटी बॉयोटिक दवाइयों की भूमिका बेहद सीमित है इसका जो ट्रीटमेंट है वो सपोर्टिव है. सपोर्टिव का मतलब है जैसे कि बुखार आने पर पैरासिटामॉल दे देना. अन्य बुखार की दवाइयां जैसे कांबीफ्लेम, इकोस्प्रिन इसमें नहीं दे सकते क्योंकि ये रक्तस्राव बढ़ा देती हैं.
-जब भी डेंगू हो तो डॉक्टर से सलाह लेकर नियमित प्लेटलेट्स की जांच कराएं ताकि समय से पता चल सकें कि प्लेटलेट्स कितनी हैं और वो किस दिशा में जा रही हैं. हर किसी की इम्युनिटी के हिसाब से प्लेटलेट्स की संख्या घटती या बढ़ती है.

-अगर प्लेटलेट्स 20,000 से कम हो या रक्तस्राव ज्यादा हो तो आपको हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ता है. डॉक्टर को दिखाना होता है
-बीमारी के दौरान मरीज को अच्छा और संतुलित आहार लेना चाहिए, ताकि उसकी इम्युनिटी बढ़ सके
-पानी जमा नहीं होने देना है, खुले हुए बर्तन , पक्षियों के पानी के बर्तन, खुली हुई टंकी को बार-बार साफ़ करें, पानी चेंज करते रहें
-समय-समय पर गड्ढों को भर दें. कीटनाशक का छिड़काव करें
-शाम के समय खिड़की दरवाजों को बंद कर दें
-पूरी बांहों के कपड़े पहनें, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें
-बच्चों को मॉस्कीटो रेपलेंट लगाकर और पूरी बांहों के कपड़े पहनाकर ही बाहर खेलने भेजें
इस मौसम में डेंगू से बचकर रहना बेहद ज़रूरी है. इसलिए लक्षण आते ही डॉक्टर से ज़रूर मिलें. इलाज तुरंत शुरू करें.
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