"जब मैं BHEL में नौकरी कर रही थी, तो मुझे एहसास हुआ कि मुझे किसी ऐसे क्षेत्र में काम करना है जिसमें विविधिता हो. कुछ मतलब का करना है. मुझे पता था कि IAS बन जाने पर आपके काम में विविधिता आ जाती है. आप रोज नए लोगों से मिलते हैं. मुझे यह भी एहसास हुआ कि IAS बनना मेरी पर्सनैलिटी से मैच करता है."यह एहसास होते ही जागृति ने BHEL की अपनी दो साल की नौकरी छोड़ दी. नौकरी छोड़ने से पहले उन्होंने पिता से बात भी की. भोपाल में होम्योपैथिक प्रोफसर के तौर पर काम कर रहे उनके पिता सुरेश चंद्र अवस्थी ने कहा कि BHEL की नौकरी भी क्लास 1 की नौकरी है, ऐसे में जागृति को सोच समझकर फैसला लेना चाहिए. हालांकि, बाद में उन्होंने बेटी को नौकरी छोड़ने की मंजूरी दे दी.
जागृति ने नौकरी के दौरान ही सिविल सर्विसेज के लिए तैयारी शुरू कर दी थी. 2019 के अपने पहले प्रयास में वो प्रीलिम्स भी क्लियर नहीं कर पाईं. हालांकि, जागृति का खुद कहना है कि उनका फोकस 2020 के एग्जाम पर था. इंजीनियरिंग बैकग्राउंड होने के बाद भी उन्होंने समाजशास्त्र को ऑप्शनल सब्जेक्ट बनाया और रोजाना 8 से 10 घंटे पढ़ाई शुरू की. इस दौरान उन्होंने कोचिंग के लिए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का रुख भी किया, लेकिन कोविड महामारी की वजह से जल्द ही घर लौट आईं और फिर ऑनलाइन तैयारी शुरू की.
जागृति का कहना है कि वो ग्रामीण, महिला और बाल विकास के क्षेत्र में काम करना चाहती हैं. अंग्रेजी अखबार द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को उन्होंने बताया कि वो सुधा मूर्ति और भक्ति शर्मा की तरह समाज में योगदान देना चाहती हैं. लंबा चला इंटरव्यू जागृति से इंटरव्यू में करीब 25 सवाल पूछे गए. उनका इंटरव्यू करीब 45 मिनट तक चला. इंटरव्यू देने के बाद ही उन्हें एहसास हो गया था कि उनका चयन हो जाएगा. जागृति ने बताया कि इंटरव्यू में उनसे संस्कृत से लेकर अफगानिस्तान में मची उथल-पुथल तक के बारे में पूछा गया. उनका इंटरव्यू सवाल और जवाब से भरा ना होकर एक चर्चा की तरह हुआ. उनसे आदिवासी विकास और जातीय जनगणना पर भी उनके विचार जाहिर करने के लिए कहा गया. जब उनसे आरक्षण के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह अंतिम हल नहीं हो सकता बल्कि हाशिये के समाज से आने वाले लोगों के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उन्होंने कहा कि अभी के लिए आरक्षण जरूरी है लेकिन आखिर में तो विकास ही असली मुद्दा है.

सफलता हासिल करने के बाद Jagriti Awasthi का मुंह मीठा कराते उनके पिता. (फोटो: इंडिया टुडे)
इसी तरह जातीय जनगणना पर उन्होंने कहा कि इस तरह की जनगणना इस बात पर निर्भर करती है कि इसको कराने के पीछे का उद्देश्य क्या है. जातीय जनगणना के जरिए रिजर्वेशन सिस्टम को और अधिक प्रभावशाली बनाना है या फिर अपनी राजनीति चमकानी है. उन्होंने कहा कि वो ऐसी सिविल ऑफिसर बनना चाहती हैं जो नेताओं के प्रति नहीं, बल्कि लोगों के प्रति जवाबदेह हो.
एकेडेमिक्स के क्षेत्र में जागृति ने हमेशा बेहतरीन प्रदर्शन किया. चाहे वो भोपाल के महर्षि विद्या मंदिर में स्कूली पढ़ाई हो या फिर इंजीनियरिंग की पढ़ाई, जागृति ने हमेशा अपनी मेधा का प्रदर्शन किया. साल 2017 में जागृति ने गेट एग्जाम में 51वीं रैंक हासिल की. जिसके बाद उन्हें सात बेहतरीन नौकरियों के ऑफर मिले. इनमें IOCL, GAIL, ONGC और BHEL जैसे बड़े संस्थान शामिल रहे. लेकिन फिर उन्होंने नौकरी छोड़ दी. तैयारी करते भी वो ये सोचती रहीं कि उन्होंने एक उद्देश्य के लिए नौकरी छोड़ी है और आखिर में अपना लक्ष्य हासिल ही कर लिया.
जागृति ने UPSC के अभ्यर्थियों को भी संदेश दिया है. उनका कहना है कि जो भी लोग इस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, वो अपने सोर्स सीमित रखें. सिलेबस सिलेक्ट करें और रिवीजन पर खास ध्यान रखें. लगातार प्रैक्टिस और लगन से सफलता जरूर मिलेगी.
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