ये देखकर दिल टूटता है कि हमारे आस पास की दुनिया कितनी दुखी और नाखुश होती जा रही है. सो कॉल्ड इंटेलेक्चुअल अपनी मूर्खता के साथ, अज्ञानी अपनी सस्ती और कभी कभी फनी गॉसिप के साथ, दोस्त जो कभी बने नहीं, साथी जो कभी मिले नहीं, सभी मेरी लाइफ और मेरे करैक्टर के बारे में अपना महान ओपिनियन और ज्ञान शेयर कर रहे हैं. हर तरह से गोल्ड डिगर कह रहे हैं.
ये शब्द हैं सुष्मिता सेन के. गोल्ड डिगर कहने वालों को सुष्मिता ने अपने अंदाज़ में जवाब देते हुए कहा, गोल्ड डिगर वगैरह नहीं हूं मैं. गोल्ड से मेरा काम नहीं चलता. मैं डायमंड प्रिफर करती हूं.और हां आज भी उन्हें खुद खरीदती हूं.
इससे पहले कि कोई और आकर वही सवाल करे मैं एक बात सपष्ट कर देना चाहती हूं. हमने सुष्मिता से कोई पैसे नहीं लिए हैं भाई. खैर, पिछले एपिसोड में हमने बात की थी सुष्मिता और ललित मोदी के रिलेशनशिप पर लोगों के रिएक्शन और कुछ घटिया कमेंट्स पर. अब अपडेट ये है कि सुष्मिता ने खुद ही उन ट्रोल्स का जवाब दिया है. एकदम अपने अंदाज़ में. हमेशा की तरह. वो पोस्ट देखकर मुझे लगा हमें उन चीज़ों के बारे में बात करनी चाहिए जो हम सुष्मिता से सीख सकते हैं. सुष्मिता की कही हुई बातों में महिलाओं के लिए खासकर की यंग लड़कियों के लिए कभी सीख होती है तो कभी इंस्पिरेशन. शुरुआत ताज़ा पोस्ट से करते हैं.
ललित मोदी और सुष्मिता के रिश्ते के बारे में सुनते ही ज़्यादातर लोगों का रिएक्शन था कि सुष्मिता ने पैसों के लिए ललित के साथ संबंध बनाया. लोग उन्हें गोल्ड डिगर बता रहे थे. इसका जवाब देते हुए सुष्मिता ने कहा,
" गोल्ड से मेरा काम नहीं चलता. मैं डायमंड प्रिफर करती हूं.और हां आज भी उन्हें खुद खरीदती हूं."
डायमंड रिंग से जुड़ा एक और किस्सा है. साल 2015 का. सुष्मिता के हाथ में बड़ी सी डाइमंड रिंग देख उस वक़्त भी कई लोगों ने कयास लगाए कि सुष्मिता ने सगाई कर ली. इसलिए उनके हाथ में डाइमंड रिंग है. उन कयासों का जवाब देते हुए सुष्मिता ने कहा था,
“मुझे लाइफ में डायमंड में लिए किसी पुरुष की ज़रूरत नहीं है. मैं अपने लिए खुद खरीद सकती हूं”
सुष्मिता की ये बात लड़कियों को इंडिपेंडेंट बनने की सीख देती है. सिखाती है कि अपनी इच्छा पूरी करने के लिए किसी और पर निर्भर होने की ज़रूरत नहीं है. साथ ही ये भी बताती है कि खुद को पैंपर करना, अपनी इच्छा पूरी करना और अपने लिए पसंद के तोहफे लेने में कोई बुराई नहीं है.
मैंने अपने जीवन में अपने आस पास की ज्यादातर लड़कियों को, महिलाओं को खुद के लिए कभी कुछ करते नहीं देखा. पैसे जोड़कर भी वो घर में, परिवार में, बच्चों के लिए कुछ न कुछ खरीदलेंगी या उन्हें तोहफे देने में लगा देंगी.अपने लिए तोहफा लेने वाली बहुत कम लड़कियों को मैं जानती हूं, नहीं के बराबर. कई महिलाओं को मैं जानती हूं जिन्हें अपने लिए कुछ चाहिए हो तब या तो वो पति से कहती हैं या इच्छा यूं ही दबाकर रह जाती हैं. इसलिए मेरे लिए सेल्फ पैंपर या खुद को तोहफा देने वाली सुष्मिता की बात सीख भी थी और इंस्पिरेशन भी. आज भी जिस तरह अपने ऊपर आए घटिया और छिछले कमेंट्स का सुष्मिता ने रिप्लाई किया ये काफी सैवेज और कूल है.
दूसरी बात, जो सुष्मिता से सीख सकते हैं वो ये कि बच्चों की ज़िम्मेदारी तब उठाओ जब आप तैयार हो
एक बार मैं यूट्यूब पर सुष्मिता का एक पुराना इंटरव्यू देख रही थी. उनसे सवाल किया गया कि 25 साल की उम्र में सिंगल मदर बनने के फैसले पर घर वालों ने क्या कहा? जवाब में सुष्मिता ने कहा, "मैं 18 साल की उम्र में मिस इंडिया बनी थी. 19 की उम्र में मिस यूनिवर्स.मैं एक मिडिल क्लास परिवार से थी. हमारे पास गाउन तक खरीदने के लिए पैसे नहीं थे. मैं वहां तक पहुंच ही इसलिए पाई कि पैरेंट्स का सपोर्ट था. उन्होंने मुझे अपने सपने पूरा करने के लिए आज़ादी दी. उन्हीं सपनों में एक सपना मेरा मां बनने का था. 25 साल की उम्र में जब मैंने अपनी बेटी रेने को अडॉप्ट करने की बात कही तब सुप्रीम कोर्ट में जज ने भी मेरे बाबा से कहा,
" अभी तो आपकी बेटी की शादी भी नहीं हुई. आने वाले वक़्त में शादी के बाद कोई बच्ची की ज़िम्मेदारी उठाने को तैयार न हो तब?"
इसके जवाब में सुष्मिता के पापा ने कहा था,
"ऐसे आदमी की ज़रूरत ही क्या है जो उसके डिसिजन को अप्रूव या रिजेक्ट करे".
सुष्मिता सेन
ये किस्सा बताते हुए सुष्मिता ने कहा था कि मातृत्व के एहसास के लिए शादीशुदा होना ज़रूरी नहीं है. एक ऐसे वक़्त में सुष्मिता ने अपनी बेटी को अडॉप्ट किया था जब वो अपने करियर के टॉप पर थीं. उन्हें अपने ताम के लिए अवॉर्ड मिल रहे थे. बीवी नंबर 1 के लिए सपोर्टिंग एक्ट्रेस के रोल के लिए तरीफ़ें मिल रही थी. उन्होंने रेने को अडॉप्ट कर के एग्जाम्पल सेट किया था कि करियर के साथ भी आप मां बनने की ज़िम्मेदारी निभा सकते हो. बाद में उन्होंने एक और बच्ची अलीसा को भी अडॉप्ट किया. ये साबित किया कि आप सिंगल और हैप्पी पैरेंट हो सकते हो. कई इंटरव्यूज में अपनी बच्चियों के बारे में बात करते हुए कहा कि बच्चों को पालना और काम करना इतना भी मुश्किल नहीं है. मैं जब शाम को बच्चों के साथ होती हूं, उन्हें पढ़ाती हूं तो अपने काम को बिलकुल अलग रखती हूं. और जब मैं काम पर होती हूं तब बच्चे मुझे कॉल नहीं करते जब तक कोई अर्जेन्सी न हो. आपको बस एक बैलेंस बनाने की ज़रूरत है.
इसी से जुड़ी तीसरी सीख है. शादी तब करो जब आप तैयार हो.
सुष्मिता एक सिंगल मदर हैं. और हर सिंगल पेरेंट् की तरह उन्हें भी कुछ कॉमन सवाल सुनने मिले. स्कूल से घर आकर एक बार उनकी बेटी ने पूछा, "मम्मी, मेरे पापा कौन हैं?" सुष्मिता ने जवाब देते हुए भगवान शिव की ओर इशारा किया और कहा ये हैं.
सुष्मिता ने किस्सा बताते हुए कहा था कि सिंगल पेरेंट्स को कई बार बच्चों के मासूम सवालों का जवाब देना होता है. ज़रूरत बस इतनी है कि आप ईमानदारी से बच्चों को जवाब दें. सुष्मिता ने ये भी कहा था कि अपनी लाइफ में वो कई लोगों के साथ रिलेशनशिप में रहीं. और उन्हें ये देखकर ख़ुशी हुई कि उनके बच्चों ने उनके पार्टनर्स के साथ इक्वल रेस्पेक्ट देकर बात की. बच्चे कभी शादी या रिश्तों में रोड़ा नहीं बने. बस उन्हें कोई ऐसा मिला नहीं जिसके साथ रिश्ते को शादी तक पहुंचाया जा सके. लेकिन जैसा मैंने पहले भी बताया था, बार बार प्यार में पड़ना, गलत लोगों से प्यार कर बैठना और पछताना, गलतियां करना और उनसे सीखते जाता, ये बात सुष्मिता ने कभी छुपाई नहीं. लोग उन्हें मोरालिटी का ज्ञान देते रहे, कुछ जज करते रहे लेकिन सुष्मिता ने अपने टर्म्स पर फैसला लेना या ज़िन्दगी जीना नहीं छोड़ा. हमें बचपन से सिखाया जाता है कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती. पर्सनैलिटी डेवलपमेंट की क्लास में बताया जाता है कि गिरकर उठना, उठकर गिरना सफल होने की पहली सीढ़ी है. लेकिन जब यही बात प्रेम की आती है तो लोग जज करने लगते हैं, तरस खाने लगते हैं. पर सुष्मिता की लाइफ चॉइसेस मुझे सिखाती हैं कि प्यार करने में बुराई नहीं है, प्यार में फेल होने में भी बुराई नहीं है, दोबारा प्यार करना भी गलत नहीं है. हर वो चीज़ सही है जो आपके मन को अच्छी लगे.
सुष्मिता सेन
सुष्मिता ने कभी नहीं छुपाया कि वो कब और किसके साथ रिलेशनशिप में रहीं. कि सुष्मिता के कई लोगों के साथ रिश्ते रहे. उन्होंने अपने जीवन के पुरुषों के बारे में एक बार कहा था, "मैं हर एक के लिए शुक्रगुज़ार हूं. उन्होंने मुझे कोई न कोई सीख दी. प्यार करना और बेहतर तरह से प्यार करना और ज़्यादा से ज़्यादा प्यार करना सिखाया. कई बार रिलेशनशिप नहीं वर्कआउट करते लेकिन इसमें किसी इंसान की गलती नहीं होती" इसलिए मेरे मन में किसी के प्रति नाराज़गी या गुस्सा नहीं है. सुष्मिता ने ब्रेकअप तक को गॉसिप नहीं बनने दिया. बड़े ही ग्रेसफुल अंदाज़ में उसके क्लोज़र के बारे में बताया. इन्ही रिश्तों और फेलियर के बारे में बात करते हुए सुष्मिता ने कहा था,
“मुझे फेल होने से डर नहीं लगता.मैंने ये एक्सेप्ट कर लिया है कि मैं परफेक्ट नहीं हूं. लाइफ में किसी ना किसी पॉइंट पर मैं फेल होउंगी. और मेरी ही तरह कोई भी परफेक्ट नहीं है.”
जब मैं सुष्मिता की लाइफ चॉइसेस को देखती हूं तो पाती हूं कि उन्होंने जो किया डंके की चोट पर किया. जो किया वो अपनी मर्ज़ी से किया. जो किया उसके लिए किसी के आगे झुकीं नहीं और न ही किसी से माफी मांगी. हो सकता है कि आप इस बात पर मुझसे सहमत न हों, पर एक बात तय है कि सुष्मिता की जर्नी मुझे इंस्पायर करती है, कॉन्फिडेंस देती है.
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