The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

इंटरमिटेंट फास्टिंग सेहत के लिए अच्छी या खतरनाक?

इंटरमिटेंट फास्टिंग वज़न कम करने में कारगर है. लेकिन, इससे दिल की गंभीर बीमारियों के कारण मौत तक होने की बात कही जा रही है. जानिए, इस दावे में कितनी सच्चाई है.

post-main-image
वज़न घटाने में इंटरमिटेंट फास्टिंग काफी कारगर मानी जाती है

आपने इंटरमिटेंट फास्टिंग का नाम खूब सुना होगा. वजन घटाने और खुद को फिट रखने के लिए लोग इस फास्टिंग को बहुत फॉलो कर रहे हैं. महिलाओं में तो इसका क्रेज़ अलग ही लेवल पर है. इंटरमिटेंट फास्टिंग में दिन के निश्चित घंटों में ही खाना खाया जाता है. कई लोगों ने इस फास्टिंग को करने के बाद पॉज़िटिव रिज़ल्ट भी देखे हैं.

लेकिन, इसे लेकर चिंता तब बढ़ गई, जब एक स्टडी में ये कहा गया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग दिल की सेहत बुरी तरह बिगाड़ सकता है. स्टडी के मुताबिक, जो लोग 16:8 विंडो वाली फास्टिंग करते हैं, उनमें हार्ट डिजीज से मौत का खतरा ज़्यादा होता है. तो, आज डॉक्टर से जानेंगे कि इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या होती है? क्या इसे करना नुकसानदायक है? इंटरमिटेंट फास्टिंग पर पुरानी स्टडीज क्या कहती हैं? और, इस फास्टिंग को करते समय क्या ध्यान रखना चाहिए? 

इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या होती है?

ये हमें बताया डायटिशियन रेखा गुप्ता ने.

रेखा गुप्ता, डायटिशियन, रेखाज़ डाइट क्लिनिक, वाराणसी

इंटरमिटेंट फास्टिंग का मतलब है हर दिन कुछ घंटों के लिए व्रत रखना. इंटरमिटेंट फास्टिंग कई तरह की होती है. इसे टाइम रेस्ट्रिक्टेड डाइट भी बोलते हैं यानी समय को ध्यान में रखकर खाना. इसमें 16:8 की विंडो होती है. इसमें 16 घंटे आप भूखे रहते हैं और दिन के 8 घंटे खाना खाते हैं. यह 14:10 और 12:12 घंटे की विंडो भी हो सकती है. यह आपकी मर्ज़ी पर है. इंटरमिटेंट फास्टिंग का एक और तरीका होता है. जैसे 5:2, इसमें 5 दिन आप नॉर्मल खाना खाते हैं और दो दिन कम खाते हैं. दूसरा तरीका अल्टरनेटिव फास्टिंग का है. इसमें हर दूसरे दिन इंटरमिटेंट फास्टिंग की जाती है. हालांकि सबसे ज़्यादा चर्चित 16:8 घंटे वाली इंटरमिटेंट फास्टिंग ही है. इसमें 16 घंटे भूखे रहने के दौरान आप ग्रीन टी, ब्लैक कॉपी जैसी चीज़ें पी सकते हैं.

क्या इंटरमिटेंट फास्टिंग हानिकारक हो सकती है?

इंटरमिटेंट फास्टिंग से दिल की बीमारियां बढ़ने का दावा इन दिनों चर्चा में है. इसे लेकर अमेरिकन डायबिटीज़ असोसिएशन और अमेरिकन हार्ट असोसिएशन की कॉन्फ्रेंस में एक पोस्टर प्रिज़ेंट किया गया था. इसमें 2003 से 2018 के बीच 20 हजार लोगों से लिए गए सैंपल का डेटा शामिल किया गया था. सैंपल लेने के दौरान लोगों से उनके दिन भर के खाने के बारे में पूछा गया था. पता चला कई लोग तो भूल ही गए कि उन्होंने क्या खाया. वहीं आधे लोग सही से नाश्ता भी नहीं करते थे. ये इंटरमिटेंट फास्टिंग नहीं है.

इंटरमिटेंट फास्टिंग से दिल की बीमारियां बढ़ने की बात गलत है. हो सकता है कि लोगों के कोलेस्ट्रॉल लेवल पहले से बढ़े हों या 8 घंटे के पीरियड में वो पौष्टिक खाना न खा रहे हों. इंटरमिटेंट फास्टिंग का बहुत फायदा है. इससे आप ज़्यादा हेल्दी और ज़्यादा अच्छी लाइफस्टाइल जी सकते हैं. इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान अगर आप रात 8 बजे अपना डिनर करना चाहते हैं तो दिन का पहला खाना दोपहर 12 बजे खाएं. आप सलाद और प्रोटीन ले सकते हैं. फिर अपना लंच लें. इसके बाद शाम में हल्का नाश्ता करें और रात में खाना खाकर समय से सोएं.

इंटरमिटेंट फास्टिंग में 16:8 की विंडो सबसे फेमस है

पुरानी स्टडीज़ क्या कहती हैं?

शोध और रिसर्च से पाया गया है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग बहुत फायदेमंद है क्योंकि इस दौरान हमारा लिवर आराम कर पाता है. वहीं जब हम लगातार खाना खाते हैं, तब हमारा लिवर बहुत ज़्यादा काम करने की वजह से ठीक तरीके से काम नहीं कर पाता. यह देखा गया है कि जो लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग करते हैं, उनकी मेटाबॉलिक हेल्थ, डायबिटीज, दिल से जुड़ी बीमारियां और थायरॉयड समेत सब सुधरता है. ऐसे लोगों के एनर्जी लेवल भी बेहतर होते हैं. इंटरमिटेंट फास्टिंग बहुत लाभकारी है, अगर कर सकते हैं तो आपको यह ज़रूर करनी चाहिए

इंटरमिटेंट फास्टिंग में किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी?

इंटरमिटेंट फास्टिंग सीधे 16 से 8 घंटे की शुरू करने की ज़रूरत नहीं है. आप 12: 12 की शुरू कर सकते हैं. इसके लिए आप डिनर एक घंटा पहले करें और ब्रेकफास्ट एक घंटा देरी से खाएं. धीरे-धीरे आपकी विंडो 16:8 पर आ जाती है. कई लोग 18:6 और 20:4 की विंडो भी करने लग जाते हैं. 

हालांकि इंटरमिटेंट फास्टिंग में कुछ बातों का खास ध्यान रखना ज़रूरी है. कई बार लोग सोचते हैं कि 8 घंटे के विंडों में वो कुछ भी खा सकते हैं. जैसे- बर्गर, पिज़्ज़ा, फ्राइज़ या मीठा. अगर आप ये खाएंगे तो फास्टिंग आपको बहुत फायदा नहीं करेगी क्योंकि आप इन्हें खाकर बहुत सारी कैलोरीज़ ले लेंगे जिससे वज़न बढ़ेगा. ईटिंग पीरियड में पौष्टिक चीज़ें खानी चाहिए ताकि खाने में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट आदि की जितनी मात्रा आपको चाहिए वो उस 8 घंटे में मिल जाए.

इंटरमिटेंट फास्टिंग हमारी सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है. बशर्ते जब भी खाएं, खाने में संतुलन हो. पौष्टिक खाना खाएं और तला-भुना खाने से परहेज़ करें. डॉक्टर की सलाह लेकर इंटरमिटेंट फास्टिंग करना आपके लिए और भी अच्छा  होगा.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहत : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कैंसर का इलाज CAR T-cell थैरपी लॉन्च किया