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IIT का एंट्रेंस एग्जाम आगे बढ़ा, लेकिन असली खबर तो लड़कियों के लिए आई है

लड़कियों के लिए अब सिलेक्शन के चांस बढ़ जाएंगे.

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IIT में लड़कियों की संख्या बेहद कम है. दूसरे इंजीनियरिंग कॉलेजों के मुकाबले. इस कमी को पूरा करने के लिए IIT कोशिश में लगा हुआ है. धीरे-धीरे लड़कियों के लिए सीटें बढ़ाई जा रही हैं.
कोरोना वायरस के फैलने की वजह से देश भर में होने वाली परीक्षाएं भी आगे बढ़ा दी गई हैं. इन्हीं में शामिल है IIT में दाखिले के लिए होने वाले परीक्षा JEE. यानी जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम. पहले ये मई में होने वाली थी. लेकिन अब लॉकडाउन के बाद इसकी नई तारीख घोषित की जाएगी.
इस साल के एंट्रेंस एग्जाम में एक ख़ास डेवलपमेंट हुआ है. इस बार लड़कियों के लिए 20 फीसद सीटें रिजर्व की जाएंगी. पिछले साल तक ये सीटें 17 फीसद थीं. इस तीन फीसद की बढ़ोतरी से ज्यादा छात्राओं को मौका मिलेगा IIT में पढ़ने का.
क्वालीफाई करने वाली लड़कियों के लिए एक अलग मेरिट लिस्ट भी बनेगी. इसकी वजह से उन्हें अपने लिए कैंपस चुनने में आसानी होगी. इससे जुड़ी और भी जानकारी जल्द ही IIT की वेबसाइट पर जारी की जाएगी.
Iit 5 इंजीनियरिंग में लड़कियों की संख्या इतनी कम नहीं है, लेकिन IIT में वो बेहद कम सीट्स ले पाती हैं. (सांकेतिक तस्वीर: आजतक)

2018 में सीटों का ये कोटा 14 फीसद था. उस साल एडमिशन लेने वाले तकरीबन 12 हजार स्टूडेंट्स में से सिर्फ 1800 लड़कियां थीं. 2019 में ये कोटा 17 फीसद किया गया. और इस साल इसे बीस फीसद कर दिया गया है. IIT अपने कॉलेजों में लड़कियों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए ये रिजर्वेशन और आगे बढ़ाने के प्लैन बना रहा है.
तो क्या लड़कियां लड़कों की सीटें 'खा' रही हैं?
नहीं. ये सीटें सुपरन्यूमररी हैं. यानी पहले से जो सीटें मौजूद हैं, उनके अलावा ये सीटें बढ़ाई जाती हैं. इन बढ़ी हुई सीटों को लड़कियों के लिए रिजर्व रखा जाएगा. इससे पहले ये सुपरन्यूमररी सीट्स फॉरेन कोटे के लिए बनाई जाती थीं.
Iit 2 JEE परीक्षा के दो हिस्से हैं- मेन और एडवांस्ड. इन्हीं परीक्षाओं के रिजल्ट के आधार पर कई इंजीनियरिंग कॉलेज दाखिला देते हैं स्टूडेंट्स को. (सांकेतिक तस्वीर: आजतक)

IIT में लड़कियां कम क्यों?
हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ 2018 में जिन स्टूडेंट्स ने IIT के लिए क्वालीफाई किया था, उसमें टॉप 500 में से सिर्फ 23 लड़कियां थीं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इंजीनियरिंग में लड़कियों की संख्या कम है. हर साल लगभग 3 हजार इंस्टिट्यूट्स से पास आउट होकर निकलने वाले 15 लाख इंजीनियर्स में से 30 फीसद लड़कियां थीं. यानी कुल साढ़े चार लाख के आस-पास. फिर IIT में इनकी संख्या इतनी कम कैसे है?
रिपोर्ट के अनुसार डिपार्टमेंट ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सेक्रेटरी आशुतोष शर्मा ने इसके पीछे की वजह बताई. उनके अनुसार समाज में लोगों का रवैया काफी हद तक ज़िम्मेदार है इसके लिए. लड़कों को अपने माता-पिता की तरफ से प्रोत्साहन मिलता है. लड़कियों में पोटेंशियल होता है, पर उन्हें उस तरह प्रोत्साहित नहीं किया जाता. IIT में लगने वाले साइंस मेलों और एडमिशन प्रोसेस के लिए जब लोग आते हैं, वहां भी लड़कियों को एडमिशन लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. लेकिन पेरेंट्स की चिंताओं का जवाब देना मुश्किल हो जाता है. जैसे मेरी बेटी सुरक्षित कैसे रहेगी. घर से इतनी दूर रहकर मैनेज कैसे करेगी. कोर्स कठिन है, कहीं उसकी सेहत पर तो असर नहीं पड़ेगा.
Iit 3 लड़कों को पेरेंट्स कोचिंग भी भेज देते हैं, पैसा भी लगा देते हैं. लड़कियों के लिए ये इतना आसान नहीं होता. (सांकेतिक तस्वीर: आज तक )

कोचिंग क्लासेज का दूर होना, शाम को क्लासेज के बाद कोचिंग होना, इनका महंगा होना. ये सभी वजहें हैं जिनके कारण पेरेंट्स लड़कों को IIT के लिए तैयारी करवाते हैं. लेकिन लड़कियों के मामले में झिझक जाते हैं. उन्हें लोकल कॉलेज में पढ़ाना प्रेफर करते हैं.
IIT का ये पॉजिटिव कदम शायद लड़कियों को प्रोत्साहित करे. और देश के इस प्रीमियम इंस्टिट्यूट का मौजूदा जेंडर रेशियो सुधर सके.


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