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क्या रस्सी कूदने से लड़कियों के ब्रेस्ट में ढीलापन आ जाता है?

महिलाओं के वर्कआउट से जुड़े मिथ्स और उनकी सच्चाई.

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बाएं से दाएं: स्किपिंग रोप वर्कआउट करती एक लड़की. 'मेरे ब्रदर की दुल्हन' फिल्म का एक सीन. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

पिछले साल कोरोना आया, तो ऑफिस वालों ने कहा घर से काम करो. 10 महीने तक बैठे-बैठे काम करते रहने और अटर-चटर खाने की वजह से ढेर सारा वज़न बढ़ गया था. ऑफिस वालों ने जब ऑफिस बुलाना शुरू किया तो लगा कि अब बढ़ता वज़न रुक जाएगा, लेकिन कुछ ही महीनों बाद फिर से वर्क फ्रॉम होम शुरू कर दिया. इस बार मैंने सोचा कि कुछ भी हो जाए, वज़न बढ़ने नहीं देना है. थोड़ा वर्कआउट शुरू किया. रस्सी कूदना बड़ा पसंद है, तो सोचा कि यही किया जाए.

पर मेरे कुछ दोस्तों ने मुझे टोक दिया. कहा कि लड़कियों को रस्सी नहीं कूदना चाहिए. इससे ब्रेस्ट सैगी यानी ढीले हो जाते हैं. यूट्यूब पर भी इसी तरह की बात करते कुछ वीडियोज़ हमें दिखे. तब हमने सोचा कि इसका तो भई सही जवाब जानना ही होगा. फिटनेस एक्सपर्ट से बात करने की ठानी. साथ ही कुछ दोस्तों से भी बात की. छह ऐसी धारणाओं की यानी मिथ्स की लिस्ट तैयार हो गई, जो वर्कआउट करने वाली लड़कियों को अक्सर सुननी पड़ती हैं.

इस स्टोरी में हम इन्हीं छह धारणाओं के बारे में बताएंगे, और ये जानेंगे कि इसमें कितनी सच्चाई है. इसके लिए हमने बात की फिटनेस कोच साजिद अहमद कुरैशी से. यूपी के बॉडी-बिल्डिंग एंड फिटनेस असोसिएशन के प्रेसिडेंट हैं. खुद का जिम भी है. 20 साल से फिटनेस कोच के तौर पर काम कर रहे हैं. आगे आप मिथक और उनकी सच्चाई के जवाब एक-एक कर जानेंगे-


पहला मिथ- रस्सी कूदने या भारी वर्कआउट करने से ब्रेस्ट सैगी हो जाते हैं.

इसके जवाब में साजिद ने कहा कि ऐसा नहीं होता. स्किपिंग रोप एक सिंपल कार्डियो वैस्कुलर ट्रेनिंग है. जिससे शरीर का हार्ट और फैट पर्सेंटेज बहुत अच्छा इम्प्रूव करता है. फैट पर्सेंटेज काफी कम करता है. ये एक अच्छी फैट और वेट लॉस ट्रेनिंग है. इसे करना चाहिए. जो भी फैट लूज़ होता है, उसे टाइट करने के लिए टोन-अप करने के लिए लोगों को वेट ट्रेनिंग सजेक्ट की जाती है. फीमेल्स को वेट ट्रेनिंग करनी चाहिए. अगर वेट ट्रेनिंग नहीं करते तो बॉडी में जो भी फैट लूज़ होगा, वो लटकेगा. ये बड़ी दिक्कत है. रस्सी कूदनी चाहिए, एक अच्छे स्पोर्ट्स ब्रा और अच्छे शू के साथ. इसके साथ अच्छी वेट ट्रेनिंग भी करते रहें.


Sajid Ahmed Qureshi
फिटनेस कोच साजिद अहमद कुरैशी.

दूसरा मिथ- साइकिल चलाने से, घुड़सवारी करने से, या हैवी वर्कआउट करने से वर्जिनिटी चली जाएगी.

इसका जवाब है नहीं. चाहे साइकिल हो, घुड़सवारी हो, वेट ट्रेनिंग हो, कोई भी साइंस या एक्सपर्ट इस बात को साबित नहीं कर पाया है कि इन चीज़ों से वर्जिनिटी जाए. ये केवल मिथ है, पुराने लोगों द्वारा आए हैं. आज भी कई लोग इसे मानते हैं. ये सभी कार्डिक ट्रेनिंग के फॉर्म हैं. घुड़सवारी एक बहुत अच्छा स्पोर्ट है महिलाओं के लिए साइकिल चलाना भी अच्छा वर्कआउट है पूरे शरीर के लिए.


तीसरा मिथ- पीरियड्स में वर्कआउट ही नहीं करना चाहिए.

हम महिलाओं को उनके पीरियड्स के पहले और दूसरे दिन रेस्ट करने कहते हैं. अगर आप करना ही चाहते हैं वर्कआउट, तो साइकलिंग या कोई लाइट ट्रेनिंग करे. वेट ट्रेनिंग पहले दो दिन सजेस्ट नहीं करते. तीसरे और चौथे दिन आप काफी सारी ट्रेनिंग्स कर सकते हैं. केवल पहले और दूसरे दिन सेफर साइड हम हैवी ट्रेनिंग्स के लिए मना करते हैं. खासतौर पर रनिंग तो पहले और दूसरे दिन मना ही करते हैं. बाकी दिन आप सब कर सकते हैं आसानी से.


चौथा मिथ- प्रेगनेंसी में वर्कआउट नहीं करना चाहिए.

प्रेग्नेंसी के पहले 12 या आठ हफ्तों में हम महिलाओं को योगा के अलावा किसी तरह की ट्रेनिंग का सजेस्ट नहीं करते हैं. या फिर ईज़ी वॉक सजेक्ट करते हैं. क्योंकि पहले 12 हफ्ते बहुत ज़रूरी होते हैं बच्चे के लिए. बाकी ट्रेनिंग्स को अवॉयड करते हैं. लेकिन 13-14 हफ्ते के बाद साइकलिंग की जा सकती है. साथ ही साथ हम योग पर बहुत ध्यान देते हैं. योगा के पॉश्चर्स प्रेग्नेंसी के लिए बहुत ज़रूरी हैं, ताकि डिलीवरी टाइम पर हो बिना किसी दिक्कत के. ये सारी चीज़ें एक अच्छी ट्रेनिंग और अच्छे एक्सपर्ट के साथ कर सकते हैं. हमारे पास बहुत से ऐसे लोग आते हैं जो प्रेग्नेंसी के आठवें महीने तक वर्कआउट करते हैं.


पांचवां मिथ- लड़कियों वो वेट्स (वेट लिफ्टिंग) नहीं, कार्डियो करना चाहिए.

लड़कियों के लिए वेट ट्रेनिंग और कार्डियो दोनों ही ज़रूरी है. ये बहुत बड़ा मिथ है कि फीमेल्स को केवल कार्डियो ही करना चाहिए. बहुत सी एक्ट्रेस या मॉडल्स वेट लिफ्टिंग करती हैं. इससे शरीर टोन्ड होता है. कार्डियो पर निर्भर होने वाले लोगों के शरीर टोन्ड नहीं मिलेंगे. बॉडी में एक लूज़नेस होगी. एक ढीलापन पाया जाता है. भले ही हफ्ते में दो या तीन दिन वेट ट्रेनिंग करें, लेकिन करें ज़रूर. क्योंकि इससे मसल टोन-अप होगी और शरीर भी टोन्ड होगा. कार्डियो ट्रेनिंग भी ज़रूरी है. बॉडी फैट डाउन करता है, पूरे शरीर के लिए बहुत ज़रूरी है. तो दोनों का कॉम्बिनेशन बहुत ज़रूरी है.


छठा मिथ- जिम छोड़ देने से शरीर फूल जाएगा.

साजिद ने इस मिथ पर कहा कि जो लोग भी वर्कआउट करते हैं, जितने भी दिन करते हैं, वो अपनी ट्रेनिंग और डाइट दोनों का बहुत अच्छे से ध्यान रखते हैं. लेकिन जब आप अचानक से एक दिन सब छोड़ देते हैं, अपनी डाइट को भी भूल जाते हैं और कुछ भी खाने लगते हैं, तो ज़ाहिर सी बात है कि वज़न बढ़ेगा ही. माने डाइट और ट्रेनिंग दोनों छोड़ दी हैं, तो मोटापा तो आना ही आना है, लेकिन अगर आप डाइट को मेंटेंन रखते हैं, वर्कआउट या वेट ट्रेनिंग नहीं भी करते हैं, तो भी आप मेंटेंन रह सकते हैं. आपने जो भी अचीव किया है, आपकी डाइट उसे मेंटेंन रख सकती है. माने जो कहा जाता है कि जिम छोड़ने से मोटापा बढ़ जाता है, इसमें कुछ सच नहीं है. डाइट जारी रखिए.

ये कुछ मिथ थे, जिनकी सच्चाई हमने आपको हमारे एक्सपर्ट के ज़रिए बताई. इसलिए अब आप आराम से फैसला कर सकते हैं कि आपको क्या करना है क्या नहीं. लेकिन महिलाएं ये ज़रूर ध्यान रखिए कि अच्छी स्पोर्ट्स ब्रा ज़रूर पहनें. ये आपके ब्रेस्ट के मूवमेंट को कंट्रोल करके रखेगा.