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खुले आम रेप की बातें और लड़कियों के प्राइवेट पार्ट्स पर चर्चा, सोशल मीडिया पर लोग भड़के

एक वायरल ऑडियो ने सुल्ली डील्स मामले को फिर चर्चा में ला दिया है.

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सार्थक चर्चाओं के बजाय क्लबहाउस को अशलील हरकतों का अड्डा बना दिया है
सोशल मीडिया ऐप क्लबहाउस का एक ऑडियो ट्विटर पर वायरल हो रहा है. इस ऑडियो में लड़कियों पर बोली लगाई जा रही है. ये कैसे किया जा रहा है, ये आपको बताएंगे. मगर पहले समझिए कि क्लबहाउस क्या है. क्लबहाउस एक सोशल मीडिया ऐप है. भारत में इसका क्रेज़ मई-जून के महीने में ख़ूब चढ़ा था. ये एक बात-चीत का प्लेटफ़ॉर्म है. मगर सिर्फ ऑडियो. यानी यहां वीडियो नहीं दिखता. यहां ग्रुप्स लाइव डिस्कशन करते रहते हैं. और आपका अपनी रुचि के मुताबिक जिस रूम में जाने  का मन हो, आप जा सकते हैं. उस ग्रुप की बातें सुन सकते हैं. बोल भी सकते हैं.  यहां जो बातचीत होती हैं वो बाद में गायब हो जाती हैं. यानी क्लबहाउस कुछ स्टोर नहीं रखता.

पूरा मामला -

मिधत किदवई नाम के एक ट्विटर यूज़र ने ये वीडियो ट्वीट की, जिसमें लड़कियों की बोली लगाते ये लोग सुनाई दे रहे हैं. ये 'चर्चा' सिंगलपुर नाम के रूम में हो रही थी. संवाद के दौरान, महिला जननांग पर अभद्र टिप्पणी करते हुए एक व्यक्ति कहता है कि यह पंद्रह रुपये की है, दूसरा कहता है, ओए पांच रूपए का, तीसरा और उचककर कहता है, इतनी महंगी नहीं है. उस रूम में जुड़ा हुआ एक और व्यक्ति कहता है, "मैं इक्कीस दे रहा हूं, तुम लोगों के पास पैसे नहीं हैं." इतने पर उनका नेता कहता है कि जो सबसे सस्ते रेट देगा, मैं उसको दूंगा. यह नेता लगभग युद्ध जीत जाने वाले भाव से कहता है सिंगलपुर की जय, सिंगलपुर की जय. ऑनलाइन ट्रोलिंग और हरासमेंट के ख़िलाफ़ काम करने वाली संस्था 'टीम साथ' ने ट्वीट कर इस मुद्दे पर सख़्त आपत्ति जताई. क्लबहाउस के सह-संस्थापक रोहन सेठ से सवाल खड़े किए. रोहन सेठ को टैग कर के पूछा,
"क्या आप महिलाओं की नीलामी, उनके शरीर पर हो रही भद्दी टिप्पणियों, रेप थ्रेट्स और अश्लील व्यवहार के लिए अपना प्लेटफ़ॉर्म देते हैं? आपकी चुप्पी इस बात की निशानी है कि आप इसे स्वीकार कर रहे हैं."
टीम साथ के ट्वीट के बाद राज्य सभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने सरकार की नज़रअंदाज़ी को ऐसे व्यवहार का दोषी बताया. प्रियंका ने लिखा,
"क्योंकि भारत सरकार ने सुल्ली डील्स मामले को नज़र अंदाज़ किया, महिलाओं को ऑब्जेक्टिफाई करने के नए नए वर्ज़न देखने को मिल रहे हैं. मैंने सुल्ली डील्स मुद्दे को उठाया था, इसे भी उठाऊंगी. हम ऐसे घोर मिसॉजिनिस्ट और बुली व्यवहार के सामने आंखे नहीं मूंद सकते."
  इस मुद्दे पर पत्रकार और फिल्म निर्माता विनोद कापरी ने कहा,
"Clubhouse पर 100 सेकेंड की ये बातचीत इतनी घिनौनी और वीभत्स है कि आप घर में सुन भी नहीं सकते. ये सारे के सारे राष्ट्रवादी हैं और इन पर कोई कार्रवाई इसलिए नहीं हो सकती क्योंकि इनके जैसे लोगों को देश के प्रधानमंत्री फ़ॉलो करते हैं, केंद्रीय मंत्री मिलते हैं."
बिहार के किशनगंज से MP डॉ एमडी जावेद ने इसको सुल्ली सौदे मामले को गंभीरता से न लेने का परिणाम बताया. शशि थरूर से अनुरोध करते हुए उन्होनें  कहा,
“संसदीय स्थायी समिति में इस ऐप के क्रियेटेर्स से ऐसी गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. सुल्ली सौदे की घटना के संबंध में, 56 सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र, जो अमित शाह के समक्ष प्रस्तुत किया गया था,उसमें कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसका परिणाम आज यह है."

सुल्ली डील्स क्या है?

दरअसल जिस सुल्ली डील्स की बात ये कर रहे हैं, वो कुछ समय पहले का मामला है. गिटहब नाम के ओपन सोर्स प्लैटफॉर्म पर सुल्ली डील्स नाम का एक ऐप बनाया गया था. इस ऐप में मुस्लिम महिलाओं की सोशल मीडिया प्रोफाइल से तस्वीरें लेकर डाला गया था. तस्वीरों के साथ उनकी कीमत लिखी हुई थी. 'सुल्ली' एक लिंग-धर्म सूचक शब्द है, जो मुस्लिम महिलाओं के लिए इस्तेमाल होता है. गाली की तरह. कुछ महीने पहले ये मामला बेहद गर्म था, मगर पुलिस की ओर से कोई अपडेट नहीं आया. सुल्ली डील्स मामले के बारे में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

(ये स्टोरी हमारे साथ इंटर्नशिप कर रहे हर्ष ने लिखी है)