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तालिबान में धार्मिक सभा में होगी महिला मुद्दों पर चर्चा, महिलाओं के बिना!

इस सभा में अफ़ग़ानिस्तान के 400 से ज़्यादा ज़िलों के तीन-तीन प्रतिनिधि होंगे.

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कुछ दिनों पहले तालिबान ने कंधार में पोस्टर लगाए, जिसमें लिखा था कि वो मुस्लिम महिलाएं जो हिजाब नहीं पहनती हैं, वो जानवरों की तरह दिखने की कोशिश कर रही हैं. (फ़ोटो - AP)

तालिबान में एक धार्मिक सभा होने रही है. और, तालिबान सरकार के डिप्टी प्रधान मंत्री मौलवी अब्दुल सलाम हनफ़ी ने घोषणा की है कि इस सभा में महिलाएं नहीं होंगी और महिलाओं का प्रतिनिधित्व पुरुष ही करेंगे.

ANI में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, 1 जूलाई को काबुल के लोया जिरगा हॉल में तीन हज़ार से ज़्यादा धर्म गुरुओं, ट्राइबल्स, स्कॉलर्स, प्रभावशाली हस्तियों और देश के व्यापारी की सभा हो रही है. इस सभा को स्थानीय भाषा में 'जिरगा' कहते हैं. सभा तीन दिन की होगी. न्यूज़ एजेंसी AFP के मुताबिक़, इस सभा में सरकार के काम पर अपनी बात रखी जा सकती है. इसके साथ ही तालीबान सरकार के काम या काम करने के तरीके को लेकर कोई समस्या है तो उसे रखा जा सकता है. इस जिरगा में लड़कियों की शिक्षा, सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भूमिका पर भी चर्चा होने की बात सामने आई थी, लेकिन इस चर्चा में महिलाएं शामिल नहीं हो सकेंगी. 

अपने डिफ़ेंस में उप-प्रधानमंत्री मौलवी अब्दुल सलाम हनफ़ी ने कहा कि महिलाओं की कोई ज़रूरत नहीं है. उनका प्रतिनिधित्व उनके घर के पुरुष करेंगे. कहा,

"महिलाएं हमारी मां हैं, बहनें हैं. हम उनका बहुत सम्मान करते हैं. अगर उनके बेटे सभा में हैं, तो मतलब कि वो भी एक तरह से सभा में शामिल हैं."

AFP के मुताबिक़, मंत्रालय के एक आदेश में कहा गया था कि अफ़ग़ानिस्तान के 400 से ज़्यादा ज़िलों से हर बैठक में तीन प्रतिनिधियों को होना होगा.

अफ़ग़ानिस्तान के स्थानीय मीडिया में ये अटकलें थीं कि क्या तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्ला अखुंदज़ादा सभा में शामिल होंगे या नहीं. हाल के दिनों में अखुंदज़ादा को सार्वजनिक रूप से देखा नहीं गया है.

Afghanistan में महिलाओं की स्थिति

अगस्त 2021 में सत्ता पर क़ब्ज़े के बाद से ही तालिबान ने अफ़ग़ान महिलाओं की स्थिति को बद से बदतर करने के लिए प्रतिबंध लगाए हैं. पब्लिक स्पेस से उनकी भागीदारी कम करने के लिए एक के बाद एक फ़रमान निकाले. दसियों हज़ार लड़कियों को माध्यमिक विद्यालयों से बाहर कर दिया गया है. और, महिलाओं को सरकारी नौकरियों में लौटने से रोक दिया है. महिलाओं के अकेले यात्रा करने पर भी बैन लगा दिया.

इसके अलावा महिलाओं के अधिकारों के लिए विरोध प्रदर्शनों पर भी प्रतिबंध लगा दिए. इसी साल मई में तालिबान प्रमुख हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा ने एक फ़रमान निकाला, जिसमें मूल रूप से यही कहा गया था कि महिलाओं को आमतौर पर घर पर रहना चाहिए. अगर बाहर जाना ही है, तो सिर से पांव तक बुर्का पहन कर जाएं.

सत्ता पर क़ब्ज़े के बाद तालिबान ने इस्लामी शासन के एक सॉफ़्ट वर्ज़न का वादा किया था, लेकिन समय के साथ उनकी कट्टरता बढ़ती जा रही है.

15 जून को UN Security Council में हुई खुली बहस में भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी. कहा था कि देश में अराजकता की वजह से लड़कियों की शिक्षा असर पड़ा है. साथ ही UN सुरक्षा परिषद से आतंकवाद के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करने की मांग की थी.