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दुनिया के सबसे मशहूर इतिहासकार ने रूस-यूक्रेन युद्ध और पुतिन पर अपनी बात रखी है

इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में क्या बोले युवाल नोआ हरारी?

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(बाएं से दाएं) युवाल नोआ हरारी और व्लादिमीर पुतिन. (तस्वीरें इंडिया टुडे और एपी से साभार हैं.)
रूस-यूक्रेन जंग में दोनों ओर के सैनिकों के साथ आम लोगों के हताहत होने की तस्वीरें भी सामने आ रही हैं. दुनिया के कई विशेषज्ञ और बुद्धिजीवी इस संकट को लेकर अपनी राय सामने रख रहे हैं. इसी सिलसिले में चर्चित इतिहासकार युवाल नोआ हरारी ने इंडिया टुडे को इंटरव्यू दिया. इसमें उन्होंने रूस- यूक्रेन युद्ध और इसके संभावित भावी परिणामों पर चर्चा की. इंडिया टुडे से बातचीत में हरारी ने कहा कि अगर रूस इस युद्ध में कामयाब हो जाता है तो आगे इस तरह के और हिंसक संघर्ष देखने को मिल सकते हैं. बकौल हरारी,
"1945 के बाद ये बात गवारा नहीं करती कि कोई ताकतवर देश किसी कमज़ोर देश पर ऐसे ही हमला करे. लेकिन पुतिन ऐसा करते नज़र आ रहे हैं. अगर पुतिन सफल हो जाते हैं तो हमारी दुनिया एक अंधकार में दाखिल हो जाएगी. इसे आप सभी देशों के रक्षा बजट से समझने की कोशिश करें. अगर सभी देशों के रक्षा बजट का औसत निकाला जाए तो वो कुल बजट का 6 पर्सेंट होता है. जब हम इतिहास को देखते हैं तो पाते है कि ये हिस्सा पहले की तुलना में कम हो गया है. सरकारें अब स्वास्थ्य, शिक्षा में ज़्यादा पैसा ख़र्च करती हैं. अगर पुतिन इसमें सफल हो जाते हैं तो फिर सभी देश अपना रक्षा बजट बढ़ाएंगे और वो पैसा स्वास्थ्य, शिक्षा के हिस्से से लिया जाएगा. जो पैसा डॉक्टर और शिक्षक को जाता था वो फिर जंग लड़ने वाले टैंक, एयर क्राफ़्ट में लगेगा. किसी भी देश पर क़ब्ज़ा कर लेना आसान होता है बनिस्बत उसको सम्भालने के. हमने ये अफगानिस्तान, ईराक़ जैसे देशों में देखा है."
हरारी ने आगे कहा,
पुतिन को लगता है कि यूक्रेन का अपना कोई अस्तित्व नहीं है. यूक्रेन के लोग रशियन हैं. पुतिन ने सोचा कि ये सब आसानी से हो जाएगा लेकिन यूक्रेन की सेना लड़ रही है. वहां के नागरिक अपना प्रतिरोध दिखा रहे हैं. हो सकता है पुतिन यूक्रेन पर क़ब्ज़ा कर लें. लेकिन ये नफ़रत कई नस्लों तक रहेगी.
युवाल नोआ हरारी से पूछा गया कि क्या ये जंग तीसरे विश्व युद्ध की तरफ जाती दिख सकती है तो उन्होंने जवाब दिया,
मैं उम्मीद करता हूं ऐसा ना हो. रूस ताक़तवर देश है लेकिन सोवियत यूनियन जैसी ताक़त अब उसमें नहीं है. अगर दूसरे देश जैसे चीन, ईरान इसमें कूदते हैं तो परस्थिति और ख़राब हो सकती है. लेकिन अभी तक ऐसा कुछ होता नहीं दिख रहा है. रूस इतना ताक़तवर नहीं है कि सिर्फ़ उसकी वजह से तीसरा विश्व युद्ध हो जाए. लेकिन अगर इसमें परमाणु हथियार इस्तेमाल होते हैं तो ये बुरा है. परमाणु हथियार से मानवता का नुक़सान हो सकता है. हमें इस बात की चिंता करने की ज़रूरत है.
हरारी से ये भी पूछा गया कि इस युद्ध के बाद अर्थव्यवस्था पर क्या-क्या प्रभाव पड़ सकते हैं. इसके जवाब में हरारी ने कहा,
अर्थव्यवस्था के रूपों में अब बदलाव आ चुका है. पहले जब राजा को किसी पड़ोसी देश पर हमला करना होता था तो वो उस देश के खेतों, ज़मीन पर क़ब्ज़ा करते थे. लेकिन आज के दौर में असल दौलत ज्ञान है. और आप ज्ञान को जंग से नहीं जीत सकते. हाल ही में आपने देखा कि जर्मनी, चीन, जापान जैसे देश अमीर बने हैं, लेकिन जंग से नहीं. रूस अलग दिशा में जा रहा है.
युवाल नोआ हरारी इजरायल के रहने वाले हैं. जाहिर है उनसे पूछा गया कि इस मौजूदा अंतरराष्ट्रीय संकट को लेकर उनके देश का क्या स्टैंड है. इस पर चर्चित इतिहासकार ने कहा,
मैं रूस-यूक्रेन जंग में अपने देश इज़रायल की प्रतिक्रिया से भी नाराज़ हूं. हमारे देश के लोग दुनियाभर में जाते हैं और नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं. लेकिन जब असल परीक्षा होती है तो हमारा देश सिर्फ़ अपने हितों के बारे में सोचता है. EU ने रूस के विमानों पर रोक लगाई, लेकिन इज़रायल ने नहीं लगाई. मैं इज़रायल से ये उम्मीद नहीं करता कि वो अपनी सेना वहां भेजेगा. लेकिन उसे इस जंग के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ तो उठानी चाहिए. मैं अपने देश से इस मामले में नाराज़ हूं.

कौन हैं युवाल नोआ हरारी?

युवाल नोआ हरारी एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें कई लोग आधुनिक दुनिया के कुछ सबसे बुद्धिमान व्यक्तियों में से एक मानते हैं. वो ‘सेपियंस’, ‘होमो डेस’ और ‘ट्वेंटी वन लेसंस फॉर ट्वेंटी फ़र्स्ट सेंचुरी’ जैसी बेस्टसेलर्स किताबें लिख चुके हैं. युवाल नोआ हरारी का जन्म 1976 में इजराइल के एक यहूदी परिवार में हुआ, जो पूर्वी यूरोपीय और लेबनानी मूल के लोगों के साथ रहता था. 44 साल के युवाल जेरूसलम के हिब्रू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में प्रोफेसर हैं. उनकी किताब सेपियंस बहुत लोकप्रिय हुई थी. ये किताब मानव इतिहास के कई चौंकाने वाले किस्सों से भरपूर है. ये इंटरनेशनल बेस्टसेलर 30 से ज्यादा भाषाओं में ट्रांसलेट हो चुकी है. कहा जाता है कि ये किताब इंसानी इतिहास का विस्तृत विवरण है.