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स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट क्यों जारी हुआ?

एक दिन पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्य ने योगी सरकार से इस्तीफा दिया है.

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तस्वीर स्वामी प्रसाद मौर्य के ट्विटर अकाउंट से साभार है.
स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है. एक दिन पहले वो उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री थे. मंगलवार 11 जनवरी को स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. और आज 12 जनवरी को उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया. सियासी गलियारों में बहस होनी तय है कि ये अदालती कार्रवाई महज इत्तफाक है या राजनीति, लेकिन हम यहां बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य को किसी नए मामले के चलते अरेस्ट वारंट जारी नहीं हुआ है. क्या है मामला? बात 2014 की है. तब स्वामी प्रसाद मौर्य बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के राष्ट्रीय महासचिव हुआ करते थे. आजतक की एक ख़बर के मुताबिक सितंबर 2014 में स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बयान दिया. लखनऊ में कर्पूरी ठाकुर भागीदारी महासम्मेलन में दलितों से अपील करते हुए उन्होंने कहा था,
आप शादी-ब्याह में गौरी-गणेश की पूजा बंद करें. ये एक मनुवादी व्यवस्था है जो दलितों और पिछड़ों को गुमराह कर उन्हें शासक से गुलाम बनाने की चाल है. मनुवादी लोग सूअर को वराह भगवान कहकर सम्मान दे सकते हैं. गधे को भवानी, उल्लू को लक्ष्मी और चूहे को गणेश की सवारी कहकर पूज सकते हैं, लेकिन शूद्र को सम्मान नहीं दे सकते.
स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान के बाद काफी सियासी बवाल हुआ था. इस पर बसपा प्रमुख मायावती ने सफाई भी दी थी. कहा था कि ये स्वामी प्रसाद मौर्य की निजी राय है, इसे पार्टी से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. बाद में मामला कोर्ट तक पहुंचा और स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ वारंट जारी हुआ था. हालांकि 2016 में उन्होंने हाई कोर्ट से स्टे ले लिया था. बीते सालों के दौरान मामले पर सुनवाई चलती रही. इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक बीती 6 जनवरी को एमएलए कोर्ट ने स्वामी प्रसाद मौर्य को आदेश दिया था कि बुधवार 12 जनवरी को हाजिर हों. लेकिन वो हाजिर नहीं हुए. ऐसे में अरेस्ट वारंट जारी कर दिया गया. यानी ये कोई नया वारंट नहीं है. साथ ही कोर्ट ने स्वामी प्रसाद मौर्य को आगामी 24 जनवरी को पेश होने का आदेश दिया है. उस दिन मामले पर फिर सुनवाई होगी. अब तक पता नहीं, कहां जाएंगे मौर्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी और योगी सरकार का दामन छोड़ दिया है. लेकिन अब वो कहां जाएंगे, ये अभी तक साफ नहीं है. पहले खबरें आईं कि उन्होंने समाजवादी पार्टी जॉइन कर ली है. अखिलेश यादव के ट्विटर अकाउंट से उनकी तस्वीर पोस्ट किए जाने के बाद इस संभावना को हर किसी ने सही मान लिया था. लेकिन खुद स्वामी प्रसाद इस बारे में कुछ नहीं बोले. बाद में बीजेपी की संघमित्रा मौर्य ने दावा किया कि स्वामी प्रसाद सपा में नहीं गए हैं. ये सस्पेंस बुधवार को भी बना रहा. ट्विटर पर स्वामी प्रसाद ने कहा कि वो शुक्रवार 14 जनवरी को बताएंगे कि उनकी नई सियासी पारी कहां और किसके साथ शुरू होगी. उन्होंने लिखा,
14 जनवरी सुबह 11 बजे लखनऊ में ऐतिहासिक फैसला एवं नई राजनीति पारी की शुरुआत होगी.
मतलब दो दिन तक इंतजार करना है. चलते-चलते बता दें कि स्वामी प्रसाद के बाद योगी सरकार के एक और मंत्री दारा सिंह चौहान ने भी इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने दलित-पिछड़ों की उपेक्षा का हवाला देते हुए ये कदम उठाया है. वहीं बीजेपी के 3 अन्य विधायक मंगलवार को ही बीजेपी से रिजाइन कर चुके हैं.