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यूपी के 'सबसे अमीर' विधायक ने मायावती का साथ क्यों छोड़ दिया?

शाह आलम ने बतौर BSP MLA विधानसभा की सदस्यता भी छोड़ दी है.

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(बाएं) शाह आलम और (दाएं) मायावती. (तस्वीरें गूगल और पीटीआई से साभार.)
चुनावी मौसम में दलबदल और इस्तीफों का खेला देखने को ना मिले, ये कैसे हो सकता है. और बात उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की हो तो इस खेल पर नजर रखने वालों की दिलचस्पी और बढ़ जाती है. ये खबर इस्तीफे से जुड़ी है.  एक बड़े नेता और विधायक ने BSP और मायावती का साथ छोड़ दिया है. पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. ये नेता हैं आजमगढ़ के मुबारकपुर के विधायक शाह आलम. गुरुवार 25 नवंबर को उन्होंने अपना रेजिग्नेशन BSP नेतृत्व के हवाले कर दिया. BSP के अलावा शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है. समाचार एजेंसी ANI के अनुसार शाह आलम ने पार्टी से इस्तीफ़ा देते हुए कहा,
“आपके (यानी मायावती) साथ बैठक में मुझे लगा कि आप पार्टी के प्रति मेरी भक्ति और ईमानदारी के बावजूद संतुष्ट नहीं हैं. अगर मेरा नेता मुझसे या मेरे काम से संतुष्ट नहीं है तो मैं पार्टी पर बोझ नहीं बनना चाहता.”
मीडिया रिपोर्टों में शाह आलम का त्यागपत्र भी सामने आया है. इसमें लिखा हैं,
"बहन जी, मैं हमेशा आपका आभारी रहूंगा. आपने मुझ पर विश्वास जताते हुए दो बार विधायकी और एक बार लोकसभा सीट से चुनाव लड़वाया. 2012 से लेकर अब तक मैं पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ बिना किसी छल कपट के पार्टी का और आपका वफ़ादार रहा. लेकिन हाल ही में 21 नवंबर को हुई मीटिंग में मुझे महसूस हुआ कि अब आप पार्टी के प्रति मेरी ईमानदारी से संतुष्ट नहीं हैं. अगर मेरा नेता मुझसे संतुष्ट नहीं है तो मैं इस बात को उचित नहीं समझता कि मैं पार्टी में बोझ बनकर रहूं. इसलिए मैं पार्टी के विधान मंडल दल के नेता और विधायक पद से भी त्यागपत्र दे रहा हूं."
कौन हैं शाह आलम? शाह आलम आज़मगढ़ के मुबारकपुर से विधायक हैं. उन्होंने 2012 और 2017 में BSP के टिकट से विधायकी का चुनाव जीता. 2014 में शाह आलम ने आज़मगढ़ सदर लोकसभा की सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई. हालांकि उन्हें लगभग 2 लाख 70 हज़ार वोट मिले थे. शाह आलम को यूपी का सबसे अमीर विधायक माना जाता है. उनकी कुल संपत्ति 118 करोड़ रुपए से भी ज़्यादा आंकी जाती है. जाहिर है उनके जाने से पार्टी का चुनावी कैंपेन प्रभावित हो सकता है. शाह आलम BSP छोड़ने वाले पहले नेता नहीं हैं. उनके पीछे बहुत लंबी लिस्ट है. बीते 15-20 सालों में BSP की बुनियाद मजबूत करने वाले कई कार्यकर्ताओं और नेताओं ने पार्टी छोड़ी है. हालिया प्रकरणों की बात करें तो शाह आलम से पहले बीते जून में मायावती ने लालजी वर्मा और रामअचल राजभर को पार्टी से बाहर किया था. विधायक वंदना सिंह भी BSP के निलंबित नेताओं में शामिल हैं. वो भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर चुकी हैं.