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कानपुर: दलित को झूठे केस में फंसाया! 14 पुलिसवाले लाइनहाजिर

ACP और थानेदार पर जांच के बाद होगी कार्रवाई

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कानपुर में दलित व्यक्ति को झूठे केस में फंसाने के मामले में सभी 14 आरोपी पुलिसकर्मियों को लाइनहाजिर कर दिया गया है (फोटो: आजतक)
कानपुर (Kanpur) के पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा ने अपने महकमे पर बड़ी कार्रवाई की है. मंगलवार, 22 मार्च को उन्होंने एक दलित व्यक्ति को झूठे केस में फंसाने के मामले में 14 आरोपी पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया. साथ ही इन सभी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दे दिए. इसके अलावा इस मामले में कानपुर के बर्रा थाने के एसएचओ दीनानाथ मिश्रा और गोविंद नगर के ACP विकास पांडेय की भूमिका की भी जांच की जाएगी. क्या था मामला? जानकारी के मुताबिक कानपुर की यादव मार्केट चौकी क्षेत्र के रहने वाले महादेव ने उमराव नाम के व्यक्ति के साथ 35 लाख रुपये में अपने मकान की डील तय की थी. आरोप है कि उमराव ने 10 लाख रुपए देकर मकान की रजिस्ट्री करवा ली, लेकिन महादेव के बार-बार कहने के बाद भी उन्हें पूरा पैसा नहीं दिया. इस वजह से महादेव ने अपने मकान पर उमराव को कब्जा नहीं दिया.
हाल ही में महादेव ने आरोप लगाया कि 15 जनवरी 2022 को उमराव व उसके कुछ साथी छत के रास्ते उसके घर में घुसे. और पूरे परिवार को जमकर पीटा. इस दौरान महादेव की बेटी का सिर भी फूट गया. ये लोग महादेव के परिवार वालों के मोबाइल भी लूट ले गए. इस घटना के बाद महादेव ने बर्रा थाने में उमराव व उसके साथियों पर लूट और एसी/एसटी समेत कई अन्य धाराओं में केस दर्ज करवाया. लेकिन, महादेव के मुताबिक FIR के बाद भी पुलिस ने उमराव पर कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि 23 फरवरी को पुलिस ने उमराव को जबरदस्ती उनके घर पर कब्जा दिला दिया.
Kanpur Police
एक ही थाने के 14 पुलिस कर्मी लाइन हाजिर
वीडियो होने के बाद एसीपी ने लूट की धारा ही हटा दी आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले पर जब बवाल हुआ तो इसकी जांच कानपुर के एडीसीपी साउथ मनीष सोनकर को सौंपी गई. मनीष सोनकर की जांच में सामने आया कि महादेव के मकान पर उमराव का कब्जा कराने में एसीपी विकास पांडेय, बर्रा थानेदार दीनानाथ मिश्रा और यादव मार्केट चौकी के इंचार्ज आशीष कुमार मिश्रा की बराबर की संलिप्तता है. मनीष सोनकर की जांच रिपोर्ट के मुताबिक महादेव ने एसी/एसटी की धाराओं में केस दर्ज करवाया था, इसलिए बर्रा के थानेदार दीनानाथ मिश्रा को इसकी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजनी चाहिए थी. लेकिन, उन्होंने आरोपियों का साथ देने के चलते ऐसा कुछ नहीं किया और मामले को थाना स्तर पर ही दबा दिया. एडीसीपी मनीष सोनकर की जांच में यह भी सामने आया कि एसीपी विकास पांडेय ने घटना के वीडियो मौजूद होने के बाद भी आरोपी उमराव के ऊपर से लूट की धारा को हटा दिया.
सोनकर के मुताबिक एसीपी पांडेय और बर्रा थाने के एसएचओ के संरक्षण में ही उमराव ने महादेव के मकान पर कब्जा किया जिससे उसका परिवार सड़क पर आ गया. सोनकर के मुताबिक लेकिन इस सब के बाद भी पुलिस ने संवेदनहीनता दिखाते हुए महादेव के खिलाफ ही चोरी का झूठा मुकदमा दर्ज कर लिया.